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राष्ट्रपति बाइडन ने चीन के तकनीकी उद्योग में अमेरिकी निवेश पर प्रतिबंध के प्रस्ताव पर लगाई मुहर

अमेरिकी अधिकारियों ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत लिया गया फैसला करार दिया है. हालांकि, चीन इसे अपने उत्थान को रोकने के लिए एक व्यापक अभियान के हिस्से के रूप में देख सकता है.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

नई दिल्ली: राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रमुख प्रौद्योगिकी उद्योगों में अमेरिकी निवेश पर प्रतिबंध लगाने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसका उपयोग बीजिंग की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बाइडन का फैसला अमेरिका और चीन के बीच दूरियां बढ़ाने वाले कदमों की सीरीज़ में नवीनतम है. यह आदेश उद्यम पूंजी, निजी इक्विटी फर्मों को सेमीकंडक्टर और अन्य माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, क्वांटम कंप्यूटर, एआई अनुप्रयोगों को बनाने के चीन के प्रयासों में पैसा निवेश करने से प्रतिबंधित कर देगा.

बता दें कि पिछले हफ्ते भारत सरकार ने लैपटॉप, टैबलेट और सर्वर HSN 8741 कैटेगरी के नौ-वितरकों के चीन से आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह फैसला उस बड़े परिस्थिति को देखते हुए लिया गया है जब देश भर में लैपटॉप, कंप्यूटर और सर्वर की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की कोशिश हो रही है. यहां तक ​​कि विदेश से इन प्रतिबंधित उत्पादों को मंगाना भी सख्त नियमों के साथ होगा.

अधिकारियों ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत लिया गया फैसला करार दिया है.हालांकि, चीन इसे अपने उत्थान को रोकने के लिए एक व्यापक अभियान के हिस्से के रूप में देख सकता है.

अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने एक बयान में कहा, “बाइडन प्रशासन अमेरिका को सुरक्षित रखने और सैन्य नवाचार की अगली पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों की उचित सुरक्षा के माध्यम से अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है.”

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अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कार्यकारी आदेश को मौजूदा निर्यात नियंत्रणों के पूरक के रूप में एक “संकीर्ण लक्षित कार्रवाई” कहा और प्रशासन ने “खुले निवेश के लिए अपनी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता” को बरकरार रखा.

1970 के दशक की शुरुआत में दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू होने के बाद से बाइडन का ये फैसला शायद अमेरिका और चीन के बीच संबंधों में सबसे कठिन हालातों में आया है.

अमेरिकी प्रशासन के अधिकारियों ने कहा है कि राष्ट्रपति समझदारी के साथ काम कर रहे हैं, उन्होंने कहा था कि प्रमुख प्रौद्योगिकियों के संबंध में फैसला वर्षों पहले लिया जाना चाहिए था.

निर्यात प्रतिबंध और अमेरिका में चीनी निवेश के संबंध में चिंताओं का एक लंबा इतिहास रहा है, वाशिंगटन ने पहले चीन में निवेश के प्रवाह पर प्रतिबंध की घोषणा करने की कोशिश नहीं की है.

अमेरिकी ट्रेजरी विभाग, जिसने आगामी आदेश के संबंध में पहले ही अमेरिकी अधिकारियों से संपर्क कर लिया है, अगले साल लागू होने वाले नियमों को तैयार करने से पहले औपचारिक रूप से टिप्पणियां लेने की प्रक्रिया शुरू करेगा. हालांकि, नियमों के प्रभावी होने से पहले अमेरिकी कंपनियां अपनी निवेश रणनीतियों में बदलाव कर सकती हैं.

बाइडन का ये फैसला चीन की अर्थव्यवस्था के लिए कमज़ोरी के समय आया है. चीनी शहरों और कुछ व्यवसायों ने कोविड-19 महामारी के बाद अपनी स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के पुनरुद्धार की उम्मीद में 2023 को ‘चीन में निवेश का वर्ष’ कहा है.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने सिन्हुआ का हवाला देते हुए बताया कि मार्च में शी जिनपिंग ने कहा था, “संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने हमारे खिलाफ चौतरफा रोकथाम, घेरा और दमन लागू किया है, जिससे हमारे विकास के लिए अभूतपूर्व गंभीर चुनौतियां सामने आई हैं.”

मई में जापान के हिरोशिमा में आयोजित जी7 बैठक में बाइडन के प्रतिनिधिमंडल ने अपने समकक्षों के साथ उच्च तकनीक निवेश को सीमित करने के संयुक्त प्रयासों पर चर्चा की. ब्रिटेन और यूरोपीय संघ सहित कई सहयोगियों ने संकेत दिया है कि वे भी ऐसा ही कर सकते हैं.

बाइडन प्रशासन की अन्य देशों तक पहुंच इस बात को रेखांकित करती है कि अमेरिका अपने आप में उतना प्रभावी नहीं हो सकता है और जापान और दक्षिण कोरिया सहित अन्य प्रमुख देशों के साथ मिलकर काम करेगा.


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