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म्यांमार में राजनीतिक गतिरोध खत्म नहीं हुआ, अर्थव्यवस्था भी चरमराई

म्यांमार में महंगाई आसमान छूने के कारण देश में हजारों लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है और गरीबी बढ़ गई है. एशियाई विकास बैंक के अनुसार म्यांमार की अर्थव्यवस्था 2021 में 18.4% तक सिकुड़ सकती है.

मणिपुर से सटा भारत-म्यांमार बॉर्डर | फोटो: सिमरन सिरूर/दिप्रिंट

बैंकॉक: म्यांमार में सेना के सत्ता पर काबिज होने के बाद पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था कई साल पीछे चली गई है, और राजनीतिक अशांति तथा हिंसा ने बैंकिंग, व्यापार और आजीविका को बाधित कर दिया है, जिससे लाखों लोग गरीबी में चले गए हैं.

म्यांमार की अर्थव्यवस्था पहले ही मंदी का सामना कर रही थी, और महामारी ने पर्यटन क्षेत्र को पंगु बना दिया था. एक फरवरी को सेना द्वारा अपनी नागरिक सरकार को बेदखल करने के बाद हुई राजनीतिक उथल-पुथल की कीमत यहां के 6.2 करोड़ लोग भीषण महंगाई के रूप में चुका रहे हैं.

राजनीतिक गतिरोध का कोई अंत नहीं होने के कारण, अर्थव्यवस्था के लिए परिदृश्य भी अस्पष्ट है.

म्यांमार में महंगाई आसमान छूने के कारण देश में हजारों लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है और गरीबी बढ़ गई है.

थाई सामान बेचने वाले मा सान सैन ने बताया कि आयातित खाद्य पदार्थों और दवाओं की कीमत पहले की तुलना में दोगुनी हो गई है. कीमतें स्थिर न रहने से विक्रेताओं को भी नुकसान हो रहा है.

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एशियाई विकास बैंक के अनुसार म्यांमार की अर्थव्यवस्था 2021 में 18.4% तक सिकुड़ सकती है.

म्यांमार ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सो टुन ने कहा कि अब ज्यादातर लोग म्यांमार की मुद्रा में विश्वास खो रहे हैं और डॉलर खरीद रहे हैं, इसलिए कीमतें बढ़ रही हैं.


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