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नेपाली कांग्रेस ने नए राजनीतिक मानचित्र के पक्ष में मत देने का फैसला किया

भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल ने हाल ही में देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक मानचित्र जारी किया था जिसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों पर दावा किया गया था.

फाइल फोटो/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पीएम नेपाल केपी शर्मा ओली के साथ/ ट्विटर

काठमांडू: नेपाल की सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत किए गए देश के नए राजनीतिक मानचित्र से संबंधित विधेयक पर मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने शनिवार को चर्चा की और इसके पक्ष में मत देने का फैसला किया है.

इस संबंध में सानेपा में पार्टी मुख्यालय में केंद्रीय कार्यकारिणी समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में यह फैसला किया गया.

‘काठमांडू पोस्ट’ ने सीडब्ल्यूसी सदस्य मिन बिश्वकर्मा के हवाले से कहा है, ‘इस विधेयक को जब मतदान के लिए प्रस्तुत किया जाएगा, पार्टी इसका समर्थन करेगी .’

नेपाली कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक सीडब्ल्यूसी की बैठक में रखा गया प्रस्ताव उस संविधान संशोधन विधेयक से संबंधित है जिसमें संविधान के अनुच्छेद 9 (दो) से संबंधित तीसरी अनुसूची में शामिल राजनीतिक मानचित्र में संशोधन करने का प्रावधान किया गया है.

कानून, न्याय और संसदीय कार्य मंत्री शिवमाया तुम्बाहांगफे को बुधवार को विधेयक को संसद में प्रस्तुत करना था.

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हालांकि, विधेयक को नेपाली कांग्रेस के अनुरोध पर सदन की कार्यवाही की सूची से हटा दिया गया था क्योंकि पार्टी को सीडब्ल्यूसी की बैठक में इस पर निर्णय लेना था.

नेपाली संविधान में संशोधन करने के लिए संसद में दो तिहाई मतों का होना आवश्यक है.

भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल ने हाल ही में देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक मानचित्र जारी किया था जिसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों पर दावा किया गया था.

भारत ने इस कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी और कहा था कि ‘कृत्रिम रूप से क्षेत्र के विस्तार’ को स्वीकार नहीं किया जाएगा.

भारत ने नेपाल से कहा था कि इस प्रकार ‘मानचित्र के द्वारा अनुचित दावा’ न किया जाए.

 नेपाल से बातचीत के संकेत दिये

बता दें कि भारत ने बृहस्पतिवार को संकेत दिया कि वह पारस्परिक संवेदनशीलता और सम्मान के आधार पर नेपाल के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिये बातचीत को तैयार है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत नेपाल में ताजा हालात पर नजर रखे हुए है.

नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपने क्षेत्र में दिखाते हुए एक नया मानचित्र जारी किया है, हालांकि वह इसे वैधता देने के लिये संविधान संशोधन प्रस्ताव लाने की योजना से पीछे हट गया है. इसी को मद्देनजर रखते हुए श्रीवास्तव ने यह बात कही.

उन्होंने ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘हमें पता है कि नेपाल में इस मुद्दे की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए इस पर ध्यानपूर्वक विचार किया जा रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘भारत विश्वास के माहौल में आपसी संवेदनशीलता और सम्मान के आधार पर अपने सभी पड़ोसियों के साथ बातचीत के लिये तैयार है. यह एक सतत प्रक्रिया है और इसके लिए रचनात्मक और सकारात्मक प्रयासों की आवश्यकता है.’

उन्होंने भारत द्वारा नेपाल के साथ गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और मैत्रीपूर्ण संबंधों में बहुत महत्व देने की बात भी कही.

विदेश मंत्रालय ने कहा था कि नेपाल के संशोधित नक्शे में भारतीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया है और काठमांडू को इस तरह के ‘अनुचित मानचित्रीकरण दावे’ से बचना चाहिए.

इसके बाद नेपाल की संसद बुधवार को इस मानचित्र को अद्यतन करने को लेकर होने वाली चर्चा टाल दी थी और संविधान संशोधन से जुड़े विधेयक को अंतिम समय में कार्यसूची से हटा दिया गया था. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय आम सहमति बनाने का फैसला लिया है.

संविधान संशोधन प्रस्ताव मंगलवार को संसद में पेश किया गया था लेकिन इस पर चर्चा नहीं हो सकी क्योंकि ओली ने कहा था कि वह इस मुद्दे पर चर्चा के लिये सर्वदलीय बैठक करना चाहते हैं.

नेपाल के कानून के अनुसार, एक संविधान संशोधन के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है.

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