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SCO शिखर सम्मेलन में मोदी का कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर, कहा- सदस्य देशों को ‘फ्री ट्रांजिट राइट्स’ मिलें

मोदी ने सम्मेलन में खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की जरूरत बताई और कहा कि शंघाई सहयोग संगठन को ‘भरोसेमंद, उदार और विविधापूर्ण सप्लाई चेन’ बनाने पर गौर करना चाहिए.

16 सितंबर को समरकंद, उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के प्रमुखों की बैठक में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी | क्रेडिट: एएनआई फोटो / ANI pic Service

समरकंद, उज्बेकिस्तान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों को ‘भरोसेमंद, उदार और विविधतापूर्ण सप्लाई चेन’ बनाने के प्रयास तेज करने चाहिए और इसके लिए फ्री ट्रांजिट राइट्स (मुक्त पारगमन सुविधा) के साथ व्यापक स्तर की कनेक्टिविटी योजना पर काम करना चाहिए.

एससीओ सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया के मौजूदा हालात को देखते हुए एससीओ को खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए.

मोदी ने कहा, ‘कोविड महामारी और यूक्रेन संकट ने सप्लाई चेन के लिए गंभीर चुनौतियां पेश की हैं. इसने दुनियाभर की खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर प्रतिकूल असर डाला है. एससीओ को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह भरोसेमंद, उदार और विविधतापूर्ण सप्लाई चेन तैयार करे.’

एससीओ शिखर सम्मेलन द इटरनल सिटी में हो रहा है. यह टाउनशिप उज्बेक सरकार की तरफ से ऐतिहासिक शहर समरकंद के बाहरी इलाके में खासतौर पर इस सम्मेलन के आयोजन के लिए बनाई गई है.


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प्रधानमंत्री मोदी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी यहां पर मौजूद हैं.

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2019 के बाद यह पहली बार है जब उज्बेकिस्तान की अध्यक्षता में एससीओ की व्यक्तिगत स्तर की कोई बैठक हो रही है. इस महीने के अंत में इसकी अध्यक्षता भारत के हाथ में आ जाएगी और अगला शिखर सम्मेलन 2023 की गर्मियों में नई दिल्ली में होगा.

बैठक में मोदी ने कहा कि एससीओ क्षेत्र के साथ-साथ पूरी दुनिया में खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा संकट से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए जरूरी है कि सभी एससीओ सदस्य ‘एक दूसरे को फ्री-ट्रांजिट राइट्स दें.’

हालांकि, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुफ्त पारगमन अधिकारों के मोदी के आह्वान को दरकिनार करते हुए कहा कि सबसे पहले तो ‘एससीओ देशों के भीतर सहज कनेक्टिविटी’ की जरूरत है.

मोदी ने एससीओ के भीतर स्टार्ट-अप पर एक विशेष कार्य समूह बनाने का प्रस्ताव भी रखा और भारत में स्टार्ट-अप के फलने-फूलने के उपयुक्त माहौल को रेखांकित किया.

मोदी ने कहा, ‘हम भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब में बदलने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.’ साथ ही जोड़ा कि भारत की आर्थिक वृद्धि से स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को मजबूती मिली है और वे देश के विकास में खासा योगदान भी दे रहे हैं.

खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर जोर देते हुए मोदी ने कहा, बाजरा का उत्पादन बढ़ाने के लिए यह एक उपयुक्त मौका है, और एससीओ देशों को इस पहलू पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘बाजरा एक सुपरफूड है जिसका न केवल एससीओ देशों बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में हजारों सालों से उत्पादन होता रहा है, और खाद्य संकट से निपटने के लिए यह एक पारंपरिक, पौष्टिक और कम लागत वाला विकल्प है. वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के तौर पर मनाया जाएगा. हमें एससीओ के तहत ‘बाजरा खाद्य महोत्सव’ आयोजित करने पर भी विचार करना चाहिए.’

पीएम मोदी ने भारत के दुनिया में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पर्यटन के लिहाज से सबसे किफायती स्थान होने की बात भी एससीओ सदस्यों का ध्यान आकृष्ट किया.

उन्होंने कहा, ‘अप्रैल 2022 में गुजरात में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन का उद्घाटन हुआ था. यह पारंपरिक चिकित्सा पर केंद्रित डब्ल्यूएचओ का पहला और एकमात्र ग्लोबल सेंटर है. हमें एससीओ देशों के बीच पारंपरिक चिकित्सा पर सहयोग बढ़ाना चाहिए. इसके लिए भारत पारंपरिक चिकित्सा पर एक नए एससीओ वर्किंग ग्रुप की पहल करेगा.’

इस बीच, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि वह 2023 के लिए एससीओ की अध्यक्षता पर ‘भारत का समर्थन’ करेंगे.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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