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यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का विशेष सत्र आहूत करने के प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा भारत

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 28 फरवरी (भाषा) यूक्रेन पर रूस के हमले के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा का “आपातकालीन विशेष सत्र” आहूत करने को लेकर सुरक्षा परिषद में हुए मतदान में भारत ने भाग नहीं लिया, बहरहाल उसने इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन संकट को निपटाने के लिए कूटनीति और वार्ता के मार्ग पर लौटने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।

इससे दो दिन पहले यूक्रेन के खिलाफ रूसी हमले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक प्रस्ताव को रूस ने वीटो के जरिए बाधित कर दिया था। इस प्रस्ताव के लिए हुए मतदान में भी भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) शामिल नहीं हुए थे।

विशेष सत्र आहूत करने पर मतदान के लिए 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की बैठक (स्थानीय समयानुसार) रविवार की दोपहर हुई। महासभा के 1950 से अब तक ऐसे केवल 10 सत्र आहूत किये गए हैं।

भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात इस मतदान से दूर रहे, जबकि रूस ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया और परिषद के 11 सदस्यों- अल्बानिया, ब्राजील, फ्रांस, गैबॉन, घाना, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको, नॉर्वे, ब्रिटेन और अमेरिका ने इसके समर्थन में मतदान किया। इसके साथ ही यह प्रस्ताव पारित हो गया।

महासभा का सत्र आहूत करने के लिए मतदान प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य- चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे।

महासभा का सत्र आहूत करने को लेकर प्रक्रियात्मक प्रस्ताव में कहा गया है कि परिषद ने यूक्रेन संकट की समीक्षा के लिए महासभा का एक आपातकालीन विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया है। ऐसा फैसला यह ध्यान में रखते हुए किया गया है कि शुक्रवार की बैठक में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्यों के बीच ‘‘सर्वसम्मति की कमी’’ ने उसे अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा कायम रखने की उसकी प्राथमिक जिम्मेदारी को निभाने से रोका।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने रविवार को हुए मतदान को लेकर स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ‘‘यह खेद की बात है कि इस मामले पर परिषद की अंतिम बैठक बुलाए जाने के बाद से यूक्रेन में हालात और खराब हुए हैं।’’

उन्होंने रेखांकित किया, ‘‘कूटनीति और वार्ता के मार्ग पर लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।’’

तिरुमूर्ति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रूसी और यूक्रेनी नेतृत्व के साथ अपनी हालिया वार्ता में इस बात की जोरदार वकालत की है। उन्होंने कहा, ‘‘हम बेलारूस सीमा पर वार्ता करने की दोनों पक्षों की घोषणा का स्वागत करते हैं।’’

उन्होंने कहा कि भारत यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों समेत भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित है। तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘सीमा पर जटिल और अनिश्चित हालात के कारण बचाव के हमारे प्रयास बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘परिस्थितियों को समग्र रूप से देखते हुए हमने मतदान से दूर रहने का फैसला किया है।’’

महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद को जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 49वें नियमित सत्र में शामिल होना था लेकिन उन्होंने “यूक्रेन की वर्तमान स्थिति और सुरक्षा परिषद में होने वाले घटनाक्रम के चलते” यात्रा रद्द कर दी है। उन्होंने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत सर्जेई किस्लितस्या से भी मुलाकात की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी मानवाधिकार परिषद के लिए जिनेवा की अपनी यात्रा रद्द कर दी।

सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी होता है, लेकिन महासभा के प्रस्ताव का पालन करना कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होता। सभा में मतदान, संकट को लेकर दुनिया की राय का प्रतीक है।

भाषा सिम्मी मनीषा

मनीषा

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