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अनगिनत प्रोटोकॉल की बदौलत भारत-चीन सैन्य हॉटलाइन सेवा हुई एक ही हफ्ते में ठप

Indian army
लेफ्टिनेंट जनरल लियू ज़ियाओयू और लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अंबू नई दिल्ली में मिलते हुए । भारतीय सेना

चीन इस सैन्य हॉटलाइन को अपने पश्चिमी थिएटर कमान से भारतीय सेना के हेडक्वार्टर दिल्ली को जोड़ना चाहता है, कोलकाता या उधमपुर की क्षेत्रीय कमानों से नहीं

नयी दिल्ली : रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बातचीत के दौरान दिप्रिंट को बताया की भारतीय एवं चीनी सेनाओं के बीच एक टेलीफोन हॉटलाइन चालू करने की योजना को बंद करना पड़ा।  यह  बातचीत पिछले हफ्ते ही शुरू हुयी थी लेकिन प्रोटोकॉल एवं ऑपरेशनल कमांड की पेचीदगियों के कारण रोक दी गयी।

कोलकाता के फोर्ट विलियम में तैनात पूर्वी सेना के सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल  अभय कृष्ण अगले महीने भारतीय  सेना के एक शिष्टमंडल  के नेता के तौर पर चीन के दौरे पर जानेवाले हैं। उनकी यह यात्रा पीपल्स लिबरेशन आर्मी के पश्चिमी थियेटर कमांड के  डिप्टी कमांडर , लेफ्टिनेंट जेनरल लिऊ शाओ वू के भारत दौरे को मद्देनज़र रखते हुए है।

सैन्य हॉटलाइन की बात ठन्डे बस्ते में इसलिए डालनी पड़ी क्योंकि चीन की मांग थी कि यह संपर्क लाइन भारतीय सेना के नयी  दिल्ली स्थित मुख्यालय को उनके पश्चिमी थियेटर कमांड के शेंगडू मुख्यालय से जोड़े।  यह लाइन भारत के सैन्य अभियान महानिदेशक ( डी जी एम ओ ) और पीएलए के  पश्चिमी थियेटर कमांडर द्वारा नामित एक सैन्य अधिकारी  को जोड़नेवाली थी।

ऐसा प्रोटोकॉल की वजह से तो हुआ ही है (भारतीय सेना के मुख्यालय को चीनी थियेटर कमांड के समकक्ष रखना ) , इसके कई अन्य कार्य- सम्बन्धी कारण भी हैं।

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मौजूदा समय में भारत ने चीनी सीमा की देखरेख के लिए थल और वायु सेना, दोनों की तीन तीन टुकड़ियां लगा रखी हैं।  वर्ष 2016 में चीनी पी एल ए ने अपने संस्थागत अनुक्रम को बदलते हुए भारतीय सीमा की और की ओर की सारी टुकड़ियों को एक संयुक्त पश्चिमी थियेटर कमांड के अंदर ला दिया। इसकी तुलना में देखें तो उत्तरी सीमा पर भारतीय सेना के तीन कमांड हैं – कोलकाता स्थित पूर्वी कमांड, लखनऊ की  केंद्रीय कमांड एवं उधमपुर स्थित उत्तरी कमांड। इसके आलावा तीन अन्य  वायुसेना कमांड भी हैं.

शुरुआती दौर में भारत की मंशा  नयी  दिल्ली स्थित डी  जी एम ओ को उसके चीनी समकक्ष से जोड़ने की थी। संक्षेप में, भारत और चीन के बीच की इस  हॉटलाइन को  भारत – रावलपिंडी सैन्य हॉटलाइन  की तर्ज़ पर विकसित किया जाना था।

हालाँकि चीन का कहना है कि 3,488 किलोमीटर लम्बी भारत चीन सीमा स्थायी तो नहीं ही है, साथ ही साथ सीमा के उल्लंघन की घटनाएं भी होती रहती हैं।  ऐसी हालत में यह ज़रूरी हो जाता है कि  थियेटर कमांड इन विवादों का त्वरित समाधान करें।  2012 में चीन ने अपने लान्चू स्थित सीमान्त मुख्यालय को भारत के उधमपुर स्थित उत्तरी कमांड मुख्यालय एवं  शेंगडू को फोर्ट विलियम से जोड़ने का प्रस्ताव दिया था।

जब बात भारत एवं चीन की सेनाओं की हो तब प्रोटोकॉल एवं ऑपरेशन, दोनों ही मुद्दे महत्वपूर्ण हैं. भारत और चीन के सैन्य प्रोटोकॉल एवं दोनों ही देशों की सैन्य संस्कृतियां काफी भिन्न हैं। इसके उलट,भारत एवं पाकिस्तान की सेनाओं के मध्य काफी समानताएं हैं , जिसका कारण है दोनों देशों की औपनिवेशिक विरासत।

इससे आगे बढ़ें तो भारत अब भी उन्हीं मृतजात सुधारों को लाने की कोशिश में है जिनपर 1999 से ही बात चल रही है।  भारत के पास केवल एक थियेटर कमांड है, अंडमान एवं निकोबार कमांड, जोकि एक त्रि- सैन्य थिएटर कमांड है।  बाकी त्रि – सैन्य कमांड , जैसे कि  एकीकृत रक्षा स्टाफ या फिर स्ट्रैटेजीक फाॅर्स कमांड भी थियेटर कमांड की श्रेणी में नहीं आते।

Read in English : India-China military hotline talks run into protocol congestion within a week

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