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अविश्वास मत से पहले इमरान खान ने बुलाई राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक

(सज्जाद हुसैन)

इस्लामाबाद, 31 मार्च (भाषा) पाकिस्तान में सियासी चुनौतियों का सामना कर रहे प्रधानमंत्री इमरान खान ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की एक बैठक बुलाई, जो सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा के लिए सर्वोच्च मंच है। इससे एक दिन पहले सत्ताधारी गठबंधन में एक अहम सहयोगी दल के पाला बदलने के बाद प्रधानमंत्री संसद में प्रभावी रूप से बहुमत खो चुके हैं और विपक्ष पहले ही उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर चुका है।

सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने ट्वीट किया कि एनएससी की बैठक प्रधानमंत्री आवास में होगी। एनएससी की अध्यक्षता प्रधान मंत्री करते हैं और इसमें तीनों सेनाओं के प्रमुख, प्रमुख मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और शीर्ष खुफिया अधिकारी शामिल होते हैं।

चौधरी ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री खान आज शाम राष्ट्र को संबोधित भी करेंगे। प्रधानमंत्री खान के विश्वासपात्र सीनेटर फैसल जावेद खान ने भी ट्वीट कर संबोधन की पुष्टि की और कहा कि संबोधन का सही समय बाद में साझा किया जाएगा।

इससे एक दिन पहले बुधवार को प्रधानमंत्री ने अपने कैबिनेट सदस्यों के साथ जल्दबाजी में बुलाई गई बैठक में एक पत्र साझा किया – कथित तौर पर अपनी सरकार को हटाने के लिए एक “विदेशी साजिश” का सबूत दिखाते हुए। इस बैठक में हालांकि इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के दो प्रमुख सहयोगी दलों – मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) और बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) – ने आमंत्रित किए जाने के बावजूद हिस्सा नहीं लिया।

डान अखबार की खबर के मुताबिक, खान ने टीवी चैनलों के एंकरों के एक चुनिंदा समूह को भी बुलाया और उन्हें बताया कि “पत्र की भाषा धमकी और अहंकार भरी थी” और अविश्वास प्रस्ताव विफल होने पर पाकिस्तान को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। हालांकि खान ने मीडिया को पत्र नहीं दिखाया।

पाकिस्तान की संसद के निचले सदन में बृहस्पतिवार को खान के खिलाफ उनकी सरकार को गिराने के लिए संयुक्त विपक्ष द्वारा पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के लिए बैठक होनी है।

एनएससी की बैठक प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस करने के लिए नेशनल असेंबली सत्र के मौके पर हो रही है।

इस बीच, पत्र का महत्व स्पष्ट रूप से कम हो गया है क्योंकि यह एक पाकिस्तानी दूत ने लिखा था और यह मेजबान देश के अधिकारियों के साथ दूतावास के अधिकारियों की बैठक पर आधारित है, जिन्होंने चल रहे यूक्रेन युद्ध के बारे में पाकिस्तान की विदेश नीति पर नाराजगी व्यक्त की थी।

विपक्ष के दबाव के बाद, सरकार ने सुरक्षा पर एक संसदीय निकाय को पत्र के बारे में जानकारी देने का भी संकेत दिया है।

नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर ने ट्वीट किया, “यदि सरकार और विपक्षी पक्ष के संसदीय नेता सहमत होते हैं, तो संवेदनशील पत्र के मुद्दे पर राष्ट्रीय सुरक्षा पर संसदीय समिति की एक बंद कमरे में होने वाली बैठक में चर्चा की जा सकती है।”

भाषा

प्रशांत पवनेश

पवनेश

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