होम विदेश कक्षाओं के अंदर वायु गुणवत्ता में सुधार करने से कोविड-19 को रोकने...

कक्षाओं के अंदर वायु गुणवत्ता में सुधार करने से कोविड-19 को रोकने में मिलेगी मदद

(पैट्रिशिया फेबियन और जोनाथन लेवी, बोस्टन विश्वविद्यालय)

बोस्टन(अमेरिका), नौ अक्टूबर (द कन्वरसेशन) अमेरिका में सर्दियों के मौसम के दस्तक देने के साथ ही कई स्कूलों के लिए न सिर्फ कक्षाओं में हवा के एक ओर से दूसरी ओर जाने होने की व्यवस्था को बरकरार रखना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा, बल्कि छात्रों और शिक्षकों को स्वस्थ एवं सहज माहौल उपलब्ध कराने में भी मुश्किल पेश आएगी।

बच्चे और शिक्षक स्कूल रोजाना औसतन छह घंटे से अधिक समय कक्षाओं में बिताते हैं। ये कक्षाएं अक्सर ऐसी इमारतों में हैं, जो दशकों पुरानी हैं और जिनमें ठंडक, गर्माहट व हवा के आर-पार होने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।

इस साल पतझड़ के मौसम के दौरान कोविड-19 के कारण पढ़ाई प्रभावित रही। इस दौरान स्कूलों के अंदर वायु गुणवत्ता का महत्व पता चला। आदर्श स्थिति यह है कि सभी स्कूलों की इमारतों में हवा के एक तरफ से दूसरी तरफ जाने की पर्याप्त व्यवस्था हो, प्रत्येक कक्षा में शुद्ध हवा हो और खिड़कियां खुली रहें। लेकिन अफसोस की बात है कि ऐसा नहीं है। इसके परिणामस्वरूप कई स्कूलों के अंदर हवा की गुणवत्ता खराब हो गई है।

अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं बचाव केंद्र ने अगस्त 2022 में स्कूलों के लिए कोविड-19 दिशानिर्देश जारी किए थे, जिनके तहत संक्रमण को रोकने के लिए उठाए जाने वाले मास्क पहनने, जांच कराने और पृथक रहने जैसे नियमों में छूट दी गई थी। इन दिशानिर्देशों के मद्देनजर चिंताएं और बढ़ गई हैं।

कोविड-19 के प्रसार को कम करने के अलावा, कक्षा के अंदर की वायु गुणवत्ता भी छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए मायने रखती है। महामारी के शुरुआती दो वर्षों में बच्चों की पढ़ाई को जो नुकसान हुआ है, उसे देखते हुए यह बात विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। गर्माहट, सांस लेने में दिक्कत हाोने वाली कक्षाओं में बच्चों के लिए पढ़ाई करना मुश्किल होगा। ऐसा ही ठंडे तापमान वाली कक्षाओं में भी होगा।

हमारा शोध अंदरूनी वातावरण और स्वास्थ्य पर केंद्रित है। अंदरूनी वातावरण इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकांश कोविड-19 संक्रमण अंदरूनी हवा के जरिए ही फैला है।

इस बात के पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं कि स्कूल इमारतों में हवा की ठीक व्यवस्था संक्रामक रोग के प्रसार को कम कर सकती है। साथ ही यह छात्रों, शिक्षकों और प्रशासकों के लिए पढ़ाई के माहौल तथा स्वास्थ्य को और बेहतर बना सकती है।

कई जिला स्कूलों में संसाधन सीमित हैं और इमारत की हालत खराब है।

साल 2020 की वसंत ऋतु के बाद से, स्कूलों ने कोविड-19 प्रसार को कम करने की कोशिशों में लाखों डॉलर का निवेश किया है। इनके तहत स्कूलों में उच्च दक्षता और लंबे समय तक काम करने वाली फिल्टर इकाइयां लगाई गई हैं और हवा के आर-पार जाने की व्यवस्था में सुधार किया गया है।

कई स्कूलों में, विशेष रूप से कम धनी जिला स्कूलों में आवश्यक संरचनात्मक सुधारों को देखते हुए, ये कोशिशें सागर में एक बूंद के समान हैं, लेकिन ये एक महत्वपूर्ण शुरुआत है। और कोविड-19 के बाद भी इनके लाभ मिल सकते हैं, इसलिए इन्हें छोड़ना नहीं चाहिए।

उदाहरण के लिए, उच्च दक्षता वाले फिल्टर, फ्लू और सामान्य वायरस के साथ-साथ सार्स-कोव-2 वायरस कणों को भी पकड़ लेते हैं।

‘मैकेनिकल वेंटिलेशन’ वाले स्कूल फिल्टर की गई ताजी हवा की मात्रा को बढ़ाने में सक्षम होते हैं। यह सभी अंदरूनी प्रदूषकों को निष्क्रिय कर देती है। बच्चों और स्कूली कर्मचारियों विशेष रूप से दमा, एलर्जी के प्रति संवेदनशील लोगों के लिए यह काफी मददगार साबित हो सकती है। लिहाजा यह बात बिल्कुल स्पष्ट है कि गुणवत्तापूर्ण वायु वास्तव में पढ़ाई और स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है।

(द कन्वरसेशन) पारुल जोहेब सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

Exit mobile version