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UNSC में चर्चा के दौरान भारत ने कहा- आतंकवाद के लिए इस्तेमाल न करने देने के वादे पर खरा उतरे तालिबान

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने बृहस्पतिवार को अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक चर्चा में कहा कि अफगानिस्तान का पड़ोसी होने के नाते भारत को पिछले महीने 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की अपनी अध्यक्षता के दौरान परिषद में ठोस और दूरदर्शी प्रस्ताव पारित करने का सौभाग्य मिला.

UNSC में भारतीय दूत टी.एस. तिरुमूर्ति की फाइल फोटो

संयुक्त राष्ट्र : अफगानिस्तान में स्थिति को ‘बेहद नाजुक’ बताते हुए भारत ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि तालिबान पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद समेत अन्य आतंकवादी संगठनों को अफगान सरजमीं का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए न करने देने के अपने वादे पर खरा उतरे.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने बृहस्पतिवार को अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक चर्चा में कहा कि अफगानिस्तान का पड़ोसी होने के नाते भारत को पिछले महीने 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की अपनी अध्यक्षता के दौरान परिषद में ठोस और दूरदर्शी प्रस्ताव पारित करने का सौभाग्य मिला.

तिरुमूर्ति ने कहा, ‘सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में कहा गया है कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकाने या उस पर हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने या उन्हें प्रशिक्षित करने या उनके वित्त पोषण के लिए नहीं होना चाहिए. जैसा कि पिछले महीने काबुल हवाईअड्डे पर आतंकवादी हमले में देखा गया तो आतंकवाद अफगानिस्तान के लिए अब भी एक गंभीर खतरा बना हुआ है. अत: यह महत्वपूर्ण है कि इस संबंध में की गयी प्रतिबद्धताओं का सम्मान किया जाए और उनका पालन किया जाए.’

सुरक्षा परिषद के 1267 प्रस्ताव के तहत लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के साथ ही हक्कानी नेटवर्क प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हैं. जैश संस्थापक मसूद अजहर और लश्कर नेता हाफिज सईद वैश्विक आतंकवादियों की सूची में भी शामिल हैं.

सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 में तालिबान के उस बयान पर गौर किया गया है कि अफगान नागरिक बिना किसी बाधा के विदेश यात्रा कर सकेंगे. तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि अफगान और सभी विदेशी नागरिकों के अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकलने समेत इन सभी प्रतिबद्धताओं का पालन किया जाएगा.’

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तिरुमूर्ति ने कहा, ‘अफगानिस्तान में हालात बेहद नाजुक बने हुए हैं. अफगानिस्तान का निकटम पड़ोसी और उसके लोगों का मित्र होने के कारण मौजूदा हालात का हमसे प्रत्यक्ष संबंध है.’

उन्होंने कहा कि अफगान लोगों के भविष्य के साथ ही पिछले दो दशकों में हासिल की गयी बढ़त के बने रहने को लेकर अनिश्चितताएं बनी हुई हैं. उन्होंने कहा, ‘इस संदर्भ में हमारा मानना है कि अफगान महिलाओं की आवाज सुनी जाए, अफगान बच्चों की आकांक्षाओं को पूरा किया जाए और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की जाए। हम तत्काल मानवीय सहायता मुहैया कराने और इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य एजेंसियों को बिना किसी बाधा के लोगों तक पहुंचने की अपील करते हैं.’

भारतीय राजदूत ने कहा कि अफगानिस्तान ने हाल के वर्षों में काफी खूनखराबा देख लिया है. उन्होंने कहा कि भारत ‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय से एक साथ आगे आने, निजी हितों से ऊपर उठने तथा देश में शांति, स्थिरता और सुरक्षा की आकांक्षा में अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़े होने का आह्वान करता है. हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों समेत सभी अफगान नागरिक शांति एवं सम्मान से रहे.’

तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत, अफगानिस्तान में समावेशी सरकार का आह्वान करता है जिसमें अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो.

सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए अफगानिस्तान के लिए महासचिव की विशेष प्रतिनिधि देबरा ल्यॉन्स ने कहा कि अफगानिस्तान में नयी वास्तविकता यह है कि लाखों अफगान नागरिकों की जिंदगी इस पर निर्भर करेगी कि तालिबान कैसे शासन करता है.

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