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वर्ष 2023 में भी भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सके

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

(के. जे. एम. वर्मा)

बीजिंग, 28 दिसंबर (भाषा) पूर्वी लद्दाख में 2020 में सीमा पर हुई हिंसक झड़प के बाद पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ओर से तैनात अतिरिक्त सैनिकों को पूरी तरह से वापस बुलाने के संबंध में चीन के अड़ियल रवैये के कारण भारत के साथ उसके द्विपक्षीय संबंध 2023 में भी सामान्य नहीं हो सके। यहां तक कि कई दौर की राजनयिक और सैन्य वार्ता के नतीजे भी सिफर रहे हैं।

लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी बलों के साथ झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गये थे और चीन के कम से कम चार सैनिकों की मौत हो गई थी। इस झड़प के बाद सीमा पर पहले से जारी गतिरोध की स्थिति और गंभीर हो गई थी।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि चीन ने वस्तुतः सभी द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन करते हुए लद्दाख में सीमा पर पूरी सैन्य तैयारी के साथ हजारों सैनिकों को तैनात किया था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच दो अनौपचारिक शिखर सम्मेलनों के बाद भी दोनों देशों के संबंधों में गतिरोध बना हुआ है और भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सीमा पर शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए बहुत जरूरी है।

पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हो गया था। गलवान घाटी में जून 2020 में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के संबंध काफी प्रभावित हुए।

पूर्वी लद्दाख में कुछ बिंदुओं पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तीन साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है।

चीन में भारतीय राजदूत रह चुके अशोक कंठ ने चीन-भारत संबंधों की मौजूदा स्थिति को लेकर कहा, ‘‘2020 के मध्य से लगातार चार वर्ष सर्दियों के दौरान भी दोनों पक्षों द्वारा तैनात अतिरिक्त सैनिकों को वापस बुलाने के संबंध में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हो सकी है।’’

कंठ ने यहां ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये एक ईमेल साक्षात्कार में कहा, ‘‘इस प्रकार, चीन द्वारा की गई एकतरफा कार्रवाई के कारण पूर्वी लद्दाख में सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति गंभीर बनी हुई है।’’ उन्होंने कहा कि संबंधों में गतिरोध बना हुआ है, इसलिए भारत को गतिरोध समाप्त करने की खातिर चीन के साथ अपने संबंधों में ‘‘रणनीतिक धैर्य’’ बनाए रखना होगा।

भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास लंबित मुद्दों के पारस्परिक रूप से स्वीकार्य एवं शीघ्र समाधान के लिए 20 दौर की वार्ता कर चुके हैं।

कंठ ने कहा कि इन वार्ताओं के जरिये टकराव के पांच बिंदुओं से सैनिकों की वापसी हुई है।

वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष ने देपसांग और डेमचोक में लंबित मुद्दों के समाधान पर जोर दिया है।

भारत लगातार कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति कायम नहीं होती, चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते जबकि चीन भारत पर सीमा मुद्दे और द्विपक्षीय संबंधों को अलग करने और सामान्य स्थिति के लिए काम करने के लिए दबाव डालता रहा है।

कंठ ने कहा, ‘‘हम शायद चीन के साथ अधिक गहन और रणनीतिक बातचीत पर विचार कर सकते हैं। हम त्वरित-सुधार समाधानों का विकल्प नहीं चुन सकते हैं जो जमीनी स्तर पर हमारी स्थिति को कमजोर कर देगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें चीन के साथ संबंधों में अधिक स्थिरता की तलाश करते हुए रणनीतिक धैर्य बनाये रखना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि चीन के साथ वार्ता के संबंध में व्यापक रुख अपनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि वह भारत का सबसे बड़ा पड़ोसी देश है।

भाषा

देवेंद्र अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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