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पाक में मची खलबली, इमरान ने उगली आग कहा- ‘भाजपा की विचारधारा नस्लवादी’

इमरान ने सदन में कहा कि मैं चाहता हूं कि इस मामले में वैश्विक नेताओं का ध्यान जाए. उन्होंने सदन को विश्वास दिलाया कि हम इस मामले को अंतरराष्ट्रीय फोरम तक ले जाएंगे.

पाकिस्तान में संयुक्त सदन को संबोधित करते प्रधानमंत्री इमरान खान

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर पर नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले से पाकिस्तान में मची खलबली के बीच पाकिस्तानी राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा बुलाए गए संसद के संयुक्त सत्र से देश के प्रधानमंत्री इमरान खान नदारद रहे. जिसके बाद से पाकिस्तानी सदन में घमासान मचा विपक्ष ने संसद में हंगामा शुरू कर दिया. लेकिन बाद में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान सदन में आए और कहा कि मैं आज जो बोलूंगा उसे सभी को ध्यान से सुनना चाहिए. भारत सरकार ने जो किया है वह उसने चुनावी मेनिफेस्टो में लिखा गया था.  इमरान ने कहा कि यह वास्तव में भाजपा की विचारधारा है, जो हिंदुओं को अन्य सभी धर्मों से ऊपर रखता है और एक ऐसे राज्य की स्थापना करना चाहता है जो अन्य सभी धार्मिक समूहों का दमन करता है.’

इमरान खान ने कहा, भाजपा ने कश्मीर में जो किया वह उनकी विचारधारा के अनुसार है. उनकी विचारधारा नस्लवादी है.’ उन्होंने यह भी कहा, ‘भाजपा ने अपनी विचारधारा के लिए अपने देश को ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून को भी तोड़ा है.’

इमरान ने सदन को संबोधित करते हुए कहा, ‘भारत सरकार अब कश्मीरी लोगों पर और सख्ती करेंगे. वे क्रूरता के साथ कश्मीरी प्रतिरोध को दबाने की कोशिश करेंगे. मुझे डर है कि वे स्थानीय आबादी का सफाया करने के लिए कश्मीर में जातीय सफाई शुरू कर सकते हैं.’

‘इस दृष्टिकोण के साथ, पुलवामा जैसी घटनाएं फिर से हो सकती हैं. मैं पहले से ही अनुमान लगा सकता हूं कि यह होगा. वे हम पर फिर से दोष लगाने का प्रयास करेंगे. वे हमपर फिर से एयर-स्ट्राइक कर सकते हैं और हम वापस उनपर स्ट्राइक करेंगे.’

‘तब क्या होगा? वे हम पर हमला करेंगे और हम जवाब देंगे और युद्ध दोनों तरफ से चल सकता है. युद्ध में हमारा खून बहेगा. फिर यह युद्ध कौन जीतेगा. वह युद्ध कौन जीतेगा? कोई इसे नहीं जीतेगा और इसका प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ेगा और इसके दुखद परिणाम होंगे. यह परमाणु ब्लैकमेल करना नहीं है.’

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इमरान ने सदन में कहा, ‘मैं चाहता हूं कि इस मामले में वैश्विक नेताओं का ध्यान जाए.’

‘उन्होंने सदन को विश्वास दिलाया कि हम इस मामले को अंतरराष्ट्रीय फोरम तक ले जाएंगे. पश्चिमी देश नहीं जानता है कि कश्मीर में क्या हो रहा है. यह हमारा फर्ज है कि हम दुनिया को बताएं कि कश्मीर में क्या हो रहा है.’

सरकार के कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय कार्यों के संबंध में प्रस्ताव में संशोधन के लिए सरकार द्वारा सहमति देने के बाद संसद का संयुक्त सत्र मंगलवार को फिर से शुरू हुई जिसमें पाकिस्तानी पीएम ने सदन को संबोधित करते हुए भारत और मौजूदा भाजपा की सरकार के खिलाफ आग उगली. सुबह के सेशन में अनुपस्थित रहने के बाद सदन में मचे हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही रोक दी गई थी. लेकिन बाद में वे आए और उन्होंने कश्मीर मामले में पॉलिसी पर अपना बयान दिया.

इमरान खान ने सदन को संबोधित करते हुए कहा,’ सरकार की प्राथमिकता अपने पड़ोसी राज्यों से संबंधों को सुधारना है, क्योंकि इससे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा.’

‘यह सेशन सिर्फ कश्मीर के लोगों के लिए महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि पाकिस्तानी लोगों के लिए भी उतनी ही महत्वपूर्ण है. इसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ने वाला है. इसलिए मैं सभी से कहता हूं कि बातें ध्यान से सुनें.’

इमरान ने कहा, जब हमारी पार्टी ने पाकिस्तान में सरकार बनाई तो हमारा मकसद देश की गरीबी को दूर करना था. हमलोग अपने पड़ोसी देशों के पास पहुंचे. क्योंकि अगर पड़ोसी देशों से हमारे रिश्ते ठीक नहीं होगे तबतक हम देश की गरीबी से नहीं लड़ सकते हैं. इसलिए मैं अफगानिस्तान गया, मैंने भारत से बात की और कहा कि अगर आप एक कदम हमारी तरफ बढ़ाएंगे तो हम दो कदम आपकी तरफ बढ़ाएंगे. मैं इरान गया और अमेरिका भी गया.

‘जब मैं भारत पहुंचा तो भारत ने मुझसे कहा कि पाकिस्तान की धरती पर आतंकवाद को शरण मिली हुई है. मैंने नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब पाकिस्तान में आर्मी पब्लिक स्कूल में बच्चों का नरसंहार किया गया था. तभी पाकिस्तान की सभी राजनीतिक पार्टियों ने कसम खाई थी कि आतंक का हमारी धरती से नामो निशान मिटा देंगे . लेकिन मुझे लगता है कि भारत ने इन बातों को सीरियसली नहीं लिया.’

‘मैंने तभी समझ लिया था कि भारत हमसे बात करने में रुचि नहीं ले रहा है. इमरान ने पाकिस्तान के सदन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने हमारी शांति की कोशिश को हमारी कमजोरी के रूप में देखा तो हमने उनसे बात करनी छोड़ दी.’

‘पुलवामा हमला हुआ. भगवान का धन्यवाद कि हमारी वायुसेना ने जमकर जवाब दिया. हमने उनके पायलट को पकड़ा, लेकिन हमने उसे तुरंत वापस किया क्योंकि हम यह संदेश देना चाहते थे कि हम युद्ध नहीं चाहते हैं. हमने तब तक बात नहीं कि क्योंकि भारत में चुनाव होने थे.’

लेकिन सोमवार को जो भारत ने किया है उसने मेरे शक को पुख्ता कर दिया है. इमरान ने सदन को संबोधित करते हुए कहा भाजपा ने कुछ भी अचानक नहीं किया है ब्लकि भारतीय जनता पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में इस मामले को लिखा है.

सुबह के सेशन में नदारद रहे थे इमरान खान, मचा था हंगामा

भारत द्वारा सोमवार को जम्मू-कश्मीर राज्य के दर्जे को बदले जाने के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने मंगलवार को संसद का संयुक्त सत्र बुलाया. लेकिन इस सत्र से प्रधानमंत्री इमरान खान नदारद रहे जिसके बाद अंसेंबली में भारी हंगामा होने लगा जिसके बाद सदन को स्थगित करना पड़ा.

पाकिस्तान ने ज्वाइंट सेशन बुलाया लेकिन आर्टिकल 370 के बारे में लिखना ही भूल गए. पीएमएल-एन के नेता अहसान इक़बाल ने बताया कि हमने भारी दिल से प्रदर्शन किया. इक़बाल ने कहा कि सरकार ने सदन में रेजोल्यूशन तो पेश किया लेकिन सदन का ज्वाइंट सेशन 370 की समाप्त किए जाने पर बुलाया गया है वह लिखना ही भूल गई.

सभी अंतरराष्ट्रीय कानून उस सीमा को पहचानते हैं जो भारतीय अधिकृत कश्मीर और आज़ाद जम्मू और कश्मीर को नियंत्रण रेखा के रूप में अलग करती है. भारत ने नियंत्रण रेखा को एक अंतरराष्ट्रीय सीमा में बदलने की कोशिश की, जो मामूली बात नहीं है.

वहीं उन्होंने आगे कहा कि भारत ने इतना बड़ा बदलाव कर दिया लेकिन रेजोल्यूशन में इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा गया. विपक्षी पार्टियों ने इसलिए सदन में प्रदर्शन किया. पीएमएल-एन नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री तो सदन में आना भी जरूरी नहीं समझा. अब आप समझ सकते हैं कि कश्मीर इश्यू कितना महत्वपूर्ण है.
द डॉन के अनुसार उन्होंने आगे कहा कि विदेशमंत्री देश में नहीं है लेकिन उन्हें सदन को संबोधित करने के लिए आना चाहिए था भले ली एक दिन के लिए हो.

बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आलोचना की थी.
ऐसा कहा जा रहा है कि इमरान सरकार कश्मीर मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय अदालत जा सकती है. साथ ही पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को अमेरिका के सामने भी उठाएगा. आईसीजे में इससे पहले भी भारत-पाक के कई मुद्दों पर सुनवाई हो चुकी है.

आपको बता दें कि पाकिस्तान के संसद का यह संयुक्त सत्र आज सुबह 11 बजे (स्थानीय समयानुसार) आयोजित होना था. इस संयुक्त सत्र में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास जम्मू कश्मीर की तनावपूर्ण स्थिति की समीक्षा की जानी थी.

मोदी सरकार ने सोमवार को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटने का प्रस्ताव रखा था.

विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र, इस्लामिक सहयोग संगठन, मित्र देशों और मानवाधिकार संगठनों से अपील करेगा कि वे इस मुद्दे पर चुप नहीं रहें. कुरैशी ने कहा कि कश्मीर में स्थिति पहले से अधिक गंभीर है. उन्होंने कहा, ‘हम हमारे कानूनी विशेषज्ञों से सलाह लेंगे.’

पाकिस्तान की सरकार ने ट्वीट करते हुए कहा कि सरकार और पाकिस्तान के लोग दमनकारी भारतीय शासन के खिलाफ कश्मीर के लोगों के साथ मजबूती से खड़े हैं अधिकृत जम्मू कश्मीर के लोग स्वतंत्रता के लिए अपने संघर्ष में अकेले नहीं हैं,  हर पाकिस्तानी उनके साथ है.

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष और विपक्षी नेता शहबाज शरीफ समेत पाकिस्तान के कई राजनीतिज्ञों ने भी भारत के इस कदम की कड़ी निंदा की है.

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