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भारत को 2022 में 111 अरब डॉलर से अधिक का प्रेषित धन मिला : संयुक्त राष्ट्र

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, आठ मई (भाषा) संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी ने कहा कि भारत को 2022 में 111 अरब डॉलर का प्रेषित धन प्राप्त हुआ जो दुनिया में सबसे अधिक है और इसी के साथ भारत 100 अरब डॉलर के आंकड़े तक पहुंचने और बल्कि इसे पार करने वाला पहला देश बन गया है।

‘इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन’ (आईओएम) ने मंगलवार को जारी अपनी विश्व प्रवासन रिपोर्ट, 2024 में कहा कि 2022 में प्रेषित धन प्राप्त करने वाले शीर्ष पांच देशों में भारत, मेक्सिको, चीन, फिलीपीन और फ्रांस शामिल हैं।

प्रेषित धन या ‘रेमिटेंस’ का आशय प्रवासियों द्वारा मूल देश में मित्रों और रिश्तेदारों को किये गए वित्तीय या अन्य तरह के हस्तांतरण से है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारत बाकी देशों में सबसे ऊपर रहा और उसे 111 अरब डॉलर से अधिक धनराशि मिली, जिसके साथ ही वह 100 अरब डॉलर तक पहुंचने और बल्कि इस आंकड़े को पार करने वाला पहला देश बन गया है। मेक्सिको 2022 में दूसरा सबसे ज्यादा प्रेषित धन प्राप्त करने वाला देश रहा। यह स्थान उसने 2021 में चीन को पीछे छोड़कर हासिल किया था। इससे पहले तक चीन भारत के बाद ऐतिहासिक रूप से प्रेषित धन प्राप्त करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश रहा है।’’

रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, भारत 2010 (53.48 अरब डॉलर), 2015 (68.91 अरब डॉलर) और 2020 (83.15 अरब डॉलर) में भी प्रेषित धन प्राप्त करने वाला शीर्ष देश रहा। उसे 2022 में 111.22 अरब डॉलर का प्रेषित धन मिला।

दक्षिणी एशिया में तीन देश भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश दुनिया में अंतरराष्ट्रीय रूप से प्रेषित धन प्राप्त करने वाले 10 शीर्ष देशों में शामिल रहे जो इस उपक्षेत्र से श्रमिकों के प्रवास के महत्व को दिखाता है।

पाकिस्तान और बांग्लादेश 2022 में क्रमश: करीब 30 अरब डॉलर और 21.5 अरब डॉलर के साथ प्रेषित धन प्राप्त करने वाले छठा और आठवां देश रहे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में सबसे अधिक प्रवासी भी भारतीय मूल के होते हैं जिनकी कुल संख्या देश की कुल आबादी का करीब 1.3 प्रतिशत या 1.8 करोड़ है। उसकी ज्यादातर प्रवासी आबादी संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देशों में रह रही है।

वहीं, भारत प्रवासियों के लिए काम करने के क्रम में 13वें नंबर पर आता है और देश में 44.8 लाख प्रवासी मजदूर हैं।

भाषा गोला मनीषा वैभव

वैभव

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