(के जे एम वर्मा)
बीजिंग, पांच मई (भाषा) चीन में भारतीय दूतावास ने उन भारतीय छात्रों के साथ अपना पहला संवाद सत्र आयोजित किया है, जिन्हें चीन के वीज़ा प्रतिबंधों के कारण तीन साल की कोविड -19 की अवधि के दौरान सबसे अधिक परेशानी हुई।
चार मई को आयोजित ‘स्वागत और संवाद समारोह’ में 13 से अधिक चीनी विश्वविद्यालयों के लगभग 80 पुराने और नए छात्रों ने भाग लिया।
चीन में भारतीय राजदूत प्रदीप कुमार रावत और काउंसलर नितिनजीत सिंह ने शनिवार को हुए सत्र के दौरान विद्यार्थियों से बातचीत की और उनकी शिकायतों और अनुभवों को सुना।
दूतावास ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि दूतावास द्वारा पेश की जाने वाली विभिन्न सेवाओं के सचिव (द्वितीय) अमित शर्मा ने सत्र के दौरान विस्तृत प्रस्तुति दी।
साल 2020 के शुरू में चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के समय चीनी विश्वविद्यालयों में 23 हजार से ज्यादा भारतीय विद्यार्थी पढ़ रहे थे जिनमें से ज्यादा मेडिकल के छात्र थे और तब पाकिस्तान के बाद चीनी विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों की संख्या सबसे अधिक थी।
वर्तमान में, पूरे चीन में यह संख्या घटकर लगभग 10,000 रह गई है।
भारत में सरकारी मेडिकल संस्थानों में दाखिला पाने के लिए कड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है, जबकि निजी मेडिकल कॉलेज अत्यधिक फीस वसूलते हैं जिस वजह से अतीत में चीनी विश्वविद्यालय भारतीय छात्रों के लिए पसंदीदा स्थान बन गए थे।
हालांकि, उन्हें भारत में प्रैक्टिस करने की अनुमति हासिल करने के लिए विदेशी मेडिकल स्नातक परीक्षा देनी होती है।
भाषा
नोमान दिलीप
दिलीप
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.