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एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत को बचाने के अपने अभियान को लेकर मुश्किल में BJP के पूर्व MP सोमैया

मुंबई पुलिस ने पूर्व सांसद और उनके बेटे के खिलाफ केस दर्ज किया है. उन पर आईएनएस विक्रांत को कबाड़ बनने से बचाने के लिए 2013 के अभियान में जमा की गई राशि के दुरुपयोग का आरोप है.

भाजपा नेता किरीट सोमैया | एएनआई

मुंबई: मुंबई पुलिस ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सांसद किरीट सोमैया और उनके बेटे नील पर आईएनएस विक्रांत को कबाड़ से बचाने के लिए एकत्र की गई 57 करोड़ रुपये की राशि के दुरुपयोग के आरोप में मामला दर्ज किया है. आईएएनएस विक्रांत भारत का पहला विमानवाहक पोत था जिसे 1997 में सेवा से हटा दिया गया था.

सोमैया के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 406 (आपराधिक विश्वासभंग), 420 (धोखाधड़ी) और 34 (साझा मंशा) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

मुंबई नॉर्थ ईस्ट के पूर्व सांसद सोमैया ने अपने वकील के जरिए आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि वह पूर्व व्यस्तताओं के चलते 13 अप्रैल से पहले जांच के लिए उपलब्ध नहीं हो पाएंगे.

सोमैया की तरफ से उनके वकील विवेकानंद गुप्ता ने कहा, “हमें 13 अप्रैल के बाद की कोई तारीख दीजिए. हम सहयोग करेंगे. ”

सोमैया और उनके बेटे ने अग्रिम जमानत के लिए मुंबई सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया है. जमानत अर्जी में लगाए गए सभी आरोपों को बेबुनियाद और निराधार बताया गया है.

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शिवसेना सांसद संजय राउत ने दावा किया है कि पिता और पुत्र दोनों ‘अंडरग्राउंड’ हो गए है. उन्होंने सोमैया को सार्वजनिक तौर पर सामने आने के लिए कहा.

राउत ने शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘अगर उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है, तो डर किस बात का है.’


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आईएनएस विक्रांत का इतिहास

आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना का पहला विमानवाहक पोत था. शुरू में इसका नाम एचएमएस हर्कुलस था. यह ब्रिटेन के मैजिस्ट्रेट क्लास का पोत था जिसे साल 1943 में ब्रिटिश नौसेना की सेवा में शामिल किया गया था. जहाज को सक्रिय सैन्य अभियान में शामिल किया जाता उससे पहले ही दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हो गया और फिर 1957 में भारतीय नौसेना को बेच दिया गया. तब इसका जीर्णोद्धार किया गया ताकि भारतीय नौसेना की जरूरतों के अनुसार जहाज को ढ़ाला जा सके. 1961 को इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था.

साल 1971 के युद्ध में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसके कारण बांग्लादेश का जन्म हुआ. जब इसके सी हॉक सेनानियों ने पाकिस्तानी बंदरगाहों में जहाजों को डुबो दिया, एक नौसैनिक नाकाबंदी के लिए अभियान चलाया और पाकिस्तानी बैरकों पर हमला किया गया। 1971 के युद्ध में विक्रांत से जुड़े अधिकारियों को दो महावीर चक्र और 12 वीर चक्र मिले थे.

1999 में सेवामुक्त होने के दो साल बाद, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने इस जहाज को शहीदों के संग्रहालय में परिवर्तित करने के लिए महाराष्ट्र को उपहार में दे दिया था.

इसके रखरखाव की लागत बढ़ रही थी, जिसे देखते हुए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (सप्रंग) की केंद्र सरकार ने जहाज को नष्ट करने का फैसला किया। 2014 में एक ऑनलाइन नीलामी के बाद जहाज को 60 करोड़ रुपये में एक शिपब्रेकर को बेचा गया था। बिक्री को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

जहाज को अंततः 2014 में कबाड़ में बदल दिया गया.


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मामला

1990 से 1997 तक सेना में सेवा देने वाले पूर्व सैनिक 53 साल के बबन भोसले ने ट्रॉम्बे पुलिस स्टेशन में बुधवार को दर्ज कराई गई शिकायत में दावा किया कि आईएनएस विक्रांत को बचाने के लिए 2013 में अभियान चलाने वाले सोमैया ने जमा की गई राशि का दुरुपयोग किया है.

शिकायतकर्ता ने कहा कि उसने जहाज को बचाने के लिए 2000 रुपये का दान दिया था. एकत्र किया गया कुल धन लगभग 57 करोड़ रुपये हो सकता है.

भोसले की शिकायत शिवसेना सांसद राउत द्वारा सोमैया को ‘देशद्रोही’ कहे जाने और उन पर ‘राष्ट्रीय भावना की कालाबाजारी’ करने का आरोप लगाने के बाद आई है.

सोमैया ने किसी भी गलत काम से इनकार किया और शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि सभी आरोप बेबुनियाद हैं. इनका कोई सबूत नहीं है.

सोमैया ने बताया, ‘डेढ़ पेज की एफआईआर में कहीं कोई विवरण नहीं है. और न ही कोई सबूत है.’

उन्होंने कहा, ‘शिकायतकर्ता ने कहा है कि उसे मीडिया के जरिए इस 57 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के बारे में पता चला है. राउत कहते हैं कि नील सोमैया ने मनी लॉन्ड्रिंग की है. इसके आधार पर (महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री) उद्धव ठाकरे ने घोषणा कर दी कि मैं एक अपराधी हूं. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि कथित रूप से हुई मनी लांड्रिंग का पैसा आखिर कहां है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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