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उत्तराखंड में CM धामी की विधानसभा में वापसी के लिए उप-चुनाव के बाद बुलडोजर अभियान तेज करने की योजना

मुख्यमंत्री चंपावत सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां 31 मई को मतदान होना है. उधम सिंह नगर, नैनीताल और हरिद्वार आदि जिलों के अधिकारी मतदान बाद अभियान शुरू करने की तैयारी में हैं.

विध्वंस अभियान के दौरान जेसीबी की प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो: एएनआई

देहरादून: उत्तराखंड में आगामी उप-चुनाव, जिसके जरिये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के फिर विधानसभा पहुंचने की उम्मीद की जा रही है, के बाद राज्य एक व्यापक ध्वस्तीकरण अभियान का गवाह बन सकता है. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.

धामी चंपावत विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में उतरे हैं, जहां 31 मई को मतदान होना है. फरवरी में राज्य विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के बावजूद मुख्यमंत्री खुद अपने पूर्व निर्वाचन क्षेत्र खटीमा से हार गए थे- लेकिन तमाम अटकलों के बीच अपने पद पर बने रहे.

इसके बाद, पिछले महीने ही भाजपा विधायक कैलाश चंद्र गहटोरी ने अपनी चंपावत सीट से इस्तीफा दिया ताकि धामी उपचुनाव लड़ सकें.

राज्य सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, उधम सिंह नगर, नैनीताल और हरिद्वार जिलों में प्रशासन चंपावत में मतदान के बाद ‘अतिक्रमण विरोधी अभियान’ शुरू करने की तैयारी कर रहा है.

अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि अतिक्रमण विरोधी अभियान के लिए डाटा जुटाने की कवायद के तहत ‘बड़े पैमाने पर अतिक्रमण’ वाले क्षेत्रों की पहचान की जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकारी जमीनों पर ‘अवैध’ रूप से बनाए गए घरों और अन्य भवनों को नोटिस जारी किया जाएगा.

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राज्य के शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘आने वाले दिनों में उत्तराखंड में अतिक्रमण विरोधी अभियान तेज होगा. हमें समझना होगा कि अतिक्रमण एक धंधा बन गया है और इसमें शामिल लोग इसे अपना अधिकार मान लेते हैं. चिन्हित होने वाले क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बुलडोजर अभियान चलेगा और जमीन हथियाने वाले सभी लोगों के खिलाफ पूरी जानकारी जुटाने का काम लगातार जारी है.’

उन्होंने कहा, ‘अगर अभी इसका समाधान नहीं किया गया तो अतिक्रमण कैंसर का रूप ले लेगा. हमारी सरकार का उद्देश्य इसे हमेशा के लिए खत्म कर देना है. साथ ही साथ राज्य में शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखना भी हमारी प्राथमिकता है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमें कोर्ट के आदेशों का भी पालन करना होगा. अदालत के निर्देशों का पालन करते हुए कई अतिक्रमणों को हटाया जाना है. सरकार इसमें कोई कसर नहीं छोड़ेगी. अतिक्रमण खत्म होने तक बुलडोजर अभियान जारी रहेगा.’


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‘कानूनी पहलुओं का पूरा ख्याल रख रहे’

जिन कॉलोनियों को अब तक नोटिस दिया गया है, वे मुख्यत: नैनीताल जिले के हल्द्वानी नगर पालिका क्षेत्र और उधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर क्षेत्र की है.

ये राज्य के कुमाऊं मंडल के तहत दो सबसे घनी आबादी वाले शहर हैं. अधिकारियों के मुताबिक उपचुनाव के बाद अगले महीने इन कॉलोनियों में ध्वस्तीकरण अभियान चलाया जाएगा.

उधम सिंह नगर के काशीपुर और खटीमा नगरपालिका क्षेत्रों के साथ-साथ हरिद्वार जिले के कई हिस्सों में भी बुलडोजर अभियान चलाने की तैयारी है.

उधम सिंह नगर के जिला मजिस्ट्रेट युगल किशोर पंत ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘फिलहाल तो हम तालाबों, झीलों जैसे जलाशयों और अन्य सार्वजनिक स्थानों को अतिक्रमण मुक्त कराने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. साल के शुरू में करीब 251 सार्वजनिक जलाशयों को अतिक्रमण वाले स्थानों के तौर पर चिन्हित किया गया था. कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद रिहायशी इलाकों में कुछ बड़े अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाए जाएंगे, जिसकी प्रक्रिया जारी है. जमीन पर कब्जा करने वालों के कोर्ट पहुंचने को देखते हुए कानूनी पहलुओं का बारीकी से ध्यान रखा जा रहा है.’

पंत ने आगे कहा, ‘ज्यादातर अतिक्रमण शहरी क्षेत्रों जैसे जिला मुख्यालय रुद्रपुर, और खटीमा और काशीपुर शहरों में हैं. अगर सरकारी जमीन को खाली कराने के अभियान को सही तरीके से अंजाम तक पहुंचे तो रुद्रपुर का नजारा बिल्कुल अलग होगा.’

हल्द्वानी में ‘रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण’

नैनीताल जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि हल्द्वानी में सबसे बड़े अतिक्रमण विरोधी अभियान का इंतजार है, जहां कथित तौर पर रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर करीब 4500 घर बने हुए हैं.

नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने बताया, ‘हालांकि मामला नैनीताल हाई कोर्ट में लंबित है और राज्य सरकार भी चंपावत में उपचुनाव तक किसी विवाद से बचना चाहती है. आने वाले दिनों में बड़े बुलडोजर अभियान चलाने के लिए भू-माफियाओं के अतिक्रमण वाली जगहों की पहचान की जा रही है.’

संपर्क किए जाने पर हल्द्वानी उप-मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) मनीष कुमार ने बताया कि एक महीने से अधिक समय से वहां अतिक्रमण विरोधी अभियान चल रहा था. उन्होंने कहा कि हालांकि, रेलवे भूमि पर कथित अतिक्रमण के खिलाफ अभियान- जो शायद राज्य में सबसे बड़ा अभियान होगा- में देरी हो रही है क्योंकि मामला हाई कोर्ट में लंबित है, लेकिन मंजूरी मिलते ही इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

उन्होंने आगे कहा, ‘कोर्ट की तरफ से पूछे जाने पर नैनीताल जिला प्रशासन ने 29 एकड़ रेलवे भूमि पर चलने वाले अपने 30 दिन के अतिक्रमण विरोधी अभियान का खाका पेश किया है. हाई कोर्ट की तरफ से मामले के निपटारे के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी.’

कथित तौर पर अतिक्रमण वाली रेलवे भूमि पर बने मकानों में रहने वालों की ओर से दायर की गई याचिका पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई रोकने से हाई कोर्ट पहले ही इनकार कर चुका है. अगली सुनवाई 11 मई को होगी.

हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट विनय शंकर पांडे ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘अब तक अतिक्रमण-विरोधी अभियान अधिकांशत: क्षेत्र में अवैध निर्माण और सार्वजनिक स्थानों पर कब्जे पर केंद्रित थे. आने वाले दिनों में शायद मई के अंत या जून में इसे और तेज किया जाएगा.’

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