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संसद में फिर से पेश होगा तीन तलाक बिल, जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन 6 महीने और बढ़ा

इस विधेयक को अगर संसद से मंजूरी मिल जाती है तो यह इस साल के शुरुआत में लागू किए गए तीन तलाक के अध्यादेश की जगह लेगा.

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प्रतीकात्मक तस्वीर | पीटीआई

नई दिल्लीः मुस्लिम महिलाओं के हितों के मद्देनजर मोदी सरकार आगामी संसदीय सत्र में तीन तलाक बिल ले कर आएगी. केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि पुराना अध्यादेश ही बिल के रूप में कन्वर्ट होगा. साथ ही राज्य में 6 महीने के लिए राज्यपाल शासन को बढ़ा दिया गया है.

वहीं अन्य फैसले की जानकारी में जावड़ेकर ने बताया कि कैबिनेट ने जम्मू कश्मीर में आरक्षण विधेयक, 2019 को मंजूर किया है. वहां 1954 के राष्ट्रपति आदेश में बदलाव कर इसके प्रावधानों में परिवर्तन किया गया है. यह अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों में रहने वाले जम्मू-कश्मीर के लोगों को फायदा पहुंचाएगा. अब वे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में सीधी भर्ती, प्रमोशन और प्रवेश में इसका फायदा ले सकेंगे.

तय थी बैठक

पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की पहली बैठक बुधवार शाम को पहले से ही तय थी. इसमें 5 जुलाई को संसद में पेश होने वाले मोदी सरकार 2.0 के पहले केंद्रीय बजट पर विस्तार से भी चर्चा होनी थी. कैबिनेट में तीन तलाक पर रोक लगाने के लिए एक ​विधेयक को मंजूरी की संभावना जताई जा रही थी जिस पर चर्चा किया जाना था.
वहीं इस विधेयक को अगर संसद से मंजूरी मिल जाती है तो यह इस साल के शुरुआत में लागू किए गए तीन तलाक के अध्यादेश की जगह लेगा. 16 वीं लोकसभा में तीन ​तलाक का विधेयक लोकसभा से पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं होने से यह विधेयक अटक गया था. अब सरकार संसद के आगामी सत्र में पास कराने की कोशिश भी कर सकती है.

हाल में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी स्पष्ट किया था कि मुस्लिम महिलाओं के अधिकार और सम्मान की रक्षा के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है. संसद में मोदी सरकार फिर से तीन तलाश के खिलाफ बिल लाएगी.

संसद का आगामी सत्र 17 जून से शुरू हो रहा है. इसी को देखते हुए कैबिनेट में उन विधेयकों को भी मंजूरी दी जा सकती है जो पिछली सरकार में पास नहीं हो पाए थे. इसके अलावा सभी मंत्रालय के 100 दिनों के एजेंडे पर भी चर्चा की जाएगी.

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