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‘अपमानजनक टिप्पणियों का दर्द केवल महिलाएं और शूद्र ही समझ सकते हैं’- स्वामी प्रसाद मौर्य

हिंदू पाठ में छंद पर स्वामी प्रसाद मौर्य की विवादित टिप्पणी से सपा ने खुद को अलग कर लिया था. अब लगता है कि लोकसभा चुनावों पर नजर रखते हुए यह बहस धर्म से जाति की ओर जा रही है.

स्वामी प्रसाद मौर्य | ANI

नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने गुरुवार को कहा कि धर्म की आड़ में की जाने वाली अपमानजनक टिप्पणियों का दर्द केवल महिलाएं और शूद्र ही समझ सकते हैं.

समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले महीने कहा था कि रामचरितमानस में ‘शूद्रों’ को संदर्भित करने वाले कुछ छंदों को हटा दिया जाना चाहिए, तो भाजपा नेताओं ने उन्हें हिंदू पाठ का ‘अपमान’ करने के लिए लताड़ लगाई, और उनकी अपनी पार्टी ने भी उनकी टिप्पणियों से जल्दबाजी में खुद को दूर कर लिया था.

मौर्य ने ट्वीट किया कि ‘‘इंडियंस आर डाग्स’’ कहकर अंग्रेजों ने जो अपमान व बदसलूकी ट्रेन में (महात्मा) गांधी जी के साथ की थी, वह दर्द उन्होंने ही समझा था. उसी प्रकार धर्म की आड़ में जो अपमानजनक टिप्पणियां महिलाओं व शुद्र समाज के लिये की जाती हैं उसका दर्द भी वही लोग समझते हैं .’’

 

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हिंदू पाठ में छंद पर स्वामी प्रसाद मौर्य की विवादित टिप्पणी से सपा ने खुद को अलग कर लिया था. अब लगता है कि लोकसभा चुनावों पर नजर रखते हुए यह बहस धर्म से जाति की ओर जा रही है.

लेकिन धीरे धीरे बहुत कुछ बदल रहा है. पिछले दिनों सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने मौर्या के सपोर्ट में बोलना शुरू कर दिया है और भाजपा को डिस्क्रीमिनेशन को लेकर लताड़ा है. उसके बाद मौर्या जो पिछले साल तक भाजपा में थे उन्हें पार्टी ने प्रमोट कर दिया है उन्हें दंडित करने के बजाए पार्टी का नेश्नल एक्सक्यूटिव बनाया है.

“अपमानजनक टिप्पणियों का दर्द केवल महिलाएं और शूद्र ही समझ सकते हैं”

श्रीरामचरितमानस पर टिप्पणी कर चर्चा में आये मौर्य ने महात्मा गांधी के साथ महिलाओं और ‘शूद्र’ के दर्द की तुलना की, जिन्होंने ट्रेन में अंग्रेजों द्वारा ‘‘भारतीय कुत्ते हैं’’ जैसी टिप्पणी का सामना किया था.

गौरतलब है कि सपा के विधान परिषद के सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने 22 जनवरी को कहा था कि श्रीरामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से वह धर्म नहीं है, यह ‘अधर्म’ है.

मौर्य के खिलाफ कार्रवाई के लिए भाजपा और अन्य हिंदुत्व संगठनों के शोर के बीच, सपा ने शुरू में आधिकारिक लाइन ली कि पूर्व भाजपा नेता के विचार पूरी तरह से उनके अपने थे और पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने एक अध्ययनपूर्ण चुप्पी बनाए रखी.

मौर्य ने कहा था, ‘‘श्रीरामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में तेली और ‘कुम्हार’ जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है, जो इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं.’’

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सपा इस विवाद को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले निचली जाति के वोटों को मजबूत करने के एक अवसर के रूप में देख रही है, अब यह रुख बदलता दिख रहा है.

मौर्य ने मांग की थी कि पुस्तक के ऐसे हिस्से पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए जो किसी की जाति या ऐसे किसी चिह्न के आधार पर किसी का अपमान करते हैं.


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