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शिवराज ने जीता विश्वासमत, कोविड-19 संक्रमण के चलते विधानसभा नहीं पहुंचा एक भी कांग्रेसी विधायक

सोमवार रात को राज्यपाल लालजी टंडन ने एक सादे समारोह में शिवराज सिंह चौहान को सीएम पद की शपथ दिलवाई. वे चौथी बार इस पद पर काबिज होने वाले प्रदेश के एक मात्र नेता बन गए हैं.

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. (फोटो साभार: फेसबुक/शिवराज सिंह चौहान)

नई दिल्ली: मध्यप्रदेश के सीएम पद की शपथ लेने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को ​राज्य विधानसभा में विश्वास मत भी हासिल कर ​लिया है. विधानसभा में भाजपा को 104 के आंकड़े की जरुरत थी. लेकिन भाजपा ने 112 विधायकों का समर्थन साबित किया. इसमें भाजपा के 107 विधायकों के अलावा समाजवादी पार्टी के दो, बहुजन समाज पार्टी के दो और एक निर्दलीय विधायक ने भी भाजपा का समर्थन किया है.

कोरोनावायरस के फैलते संक्रमण के चलते कांग्रेस का एक भी विधायक विधानसभा में नहीं पहुंचा. सभी विधायकों ने हां कहकर विश्वास मत का प्रस्ताव पारित कर दिया. विधानसभा की कार्यवाही के पहले राज्य विधानसभा के स्पीकर एनपी प्रजापति ने अपना इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद विधानसभा का सत्र 27 मार्च तक स्थगित कर दिया गया. वहीं मंगलवार को विधानसभा सत्र के बाद इकबाल सिंह बैंस को प्रदेश का नया मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया. उनसे पहले गोपाल रेड्‌डी चीफ सेक्रेटरी थे.

राज्य के चौथी बार सीएम बनने वाले पहले नेता

सोमवार रात को राज्यपाल लालजी टंडन ने एक सादे समारोह में शिवराज सिंह चौहान को सीएम पद की शपथ दिलवाई. वे चौथी बार इस पद पर काबिज होने वाले प्रदेश के एक मात्र नेता बन गए हैं. शपथ लेने के बाद सीएम शिवराज सीधे वल्लभ भवन मंत्रालय पहुंचे. यहां उन्होंने सीएम पद का कार्यभार संभाला. इसके बाद रात को ही कोरोना से जुड़े मसलों की एक फाइल पर दस्तखत की. वहीं अधिकारियों के साथ कोरोना के संदर्भ में बैठक कर आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए.

उपचुनाव में भाजपा को जीतनी होगीं सीटें

मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं. दो विधायकों के निधन के बाद दो सीटें खाली हो गई हैं. वहीं सिंधिया के समर्थक 22 विधायक और मंत्री के इस्तीफे के बाद अब 24 सीटें खाली हो गई हैं. इन सभी 24 सीटों पर छह माह के भीतर आम चुनाव होंगे. इस पर भाजपा को ज्यादा सीटें हासिल करना बड़ी चुनौती होगी.


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वर्तमान में भाजपा के पास 106 विधायक हैं. अगर 4 निर्दलीय विधायक भी भाजपा को समर्थन देते हैं तो भाजपा का आंकड़ा 110 हो जाएगा. इस स्थिति में 24 सीटों पर उपचुनाव होने से भाजपा को बहुमत के लिए 7 और सीटों की जरुरत होगी. अगर निर्दलीय विधायक भाजपा का साथ नहीं देते है तो उपचुनाव में पार्टी को कम से कम 9 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी.

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