होम राजनीति शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा- उद्धव और सोनिया के बीच होती...

शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा- उद्धव और सोनिया के बीच होती है सीधी बात, MVA में दरार से इनकार

राउत ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा दो सहयोगियों के बीच दरार संबंधी मीडिया रिपोर्टों के विपरीत एमवीए सरकार- जो तीन दलों के गठबंधन के नेतृत्व में चल रही और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) भी इसका एक हिस्सा है- अपना पूरा कार्यकाल पूरा करेगी.

संजय राउत की फाइल फोटो | Twitter @ANI

नई दिल्ली: शिवसेना सांसद संजय राउत का कहना है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच सीधा संवाद होता है और राज्य की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में सहयोगी इन दोनों राजनीतिक दलों के बीच कोई मतभेद नहीं है.

राउत ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा दो सहयोगियों के बीच दरार संबंधी मीडिया रिपोर्टों के विपरीत एमवीए सरकार—जो तीन दलों के गठबंधन के नेतृत्व में चल रही और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) भी इसका एक हिस्सा है—अपना पूरा कार्यकाल पूरा करेगी.

उन्होंने बताया, ‘जब उद्धव जी सीएम बने और दिल्ली आए तो उन्होंने प्रियंका जी और सोनिया जी दोनों से मुलाकात की. जब भी जरूरत पड़ती है, मुख्यमंत्री सीधे सोनिया जी से बात कर लेते हैं. मैं फिर से कहना चाहूंगा कि उनके बीच सीधा संवाद है और उन्हें किसी मध्यस्थ की आवश्यकता नहीं है.’

59 वर्षीय राज्यसभा सदस्य राउत, जो राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पार्टी की सबसे मुखर आवाज बनकर उभरे हैं, इस समय चल रहे मानसून सत्र में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली में हैं. मानसून सत्र शुक्रवार को समाप्त होने वाला है. यहां रहते हुए वह भाजपा के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने को लेकर विपक्ष के हो-हल्ले में भी शामिल रहे. विपक्षी दलों ने भाजपा पर संसद में पेगासस विवाद पर उनकी आवाज को कुचलने का आरोप लगाया है.

मोदी सरकार की तरफ से लाए गए विवादास्पद कृषि कानून एक और ऐसा मुद्दा है जिस पर विपक्ष एकजुटता कायम करने की प्रतिबद्धता जता रहा है. पिछले हफ्ते राउत और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी उन विपक्षी नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने जंतर-मंतर पर कृषि कानूनों के खिलाफ एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

अपने इंटरव्यू में राउत ने एमवीए में दरार को लेकर लगातार आ रही रिपोर्टों और विपक्षी एकता के प्रयासों पर विस्तार से चर्चा की और सरकार पर पेगासस सहित तमाम मुद्दों पर चर्चा से बचने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया.


यह भी पढ़ें: वंशवाद की राजनीति से दूर रहने का दावा करने वाली BJP में लगातार बढ़ रही वंशवादी नेताओं की सूची


‘कांग्रेस एक बराबर की भागीदार’

भाजपा की पूर्व सहयोगी शिवसेना और कांग्रेस के बीच वैचारिक मतभेदों के एक लंबे इतिहास को देखते हुए एमवीए को शुरू से ही एक असंभावित गठबंधन माना जाता रहा है और नवंबर 2019 में सरकार के शपथ लेने के बाद से ही इसके गिरने को लेकर अटकलें लगाई जाती रही हैं.

इस तरह की अटकलें लगने की एक बड़ी वजह कांग्रेस की यह कथित अवधारण भी है कि गठबंधन में उसकी जगह ‘तीसरे पहिये’ के जैसी है और पार्टी नेताओं की तरफ से विभिन्न चुनावों में अकेले मैदान में उतरने की मांग भी की जाती रही है.

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले लगातार ऐसे बयान देते रहे हैं कि उनकी पार्टी आगामी चुनाव, यहां तक कि 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव भी, अकेले ही लड़ेगी. लेकिन पिछले महीने राहुल गांधी के साथ बैठक के बाद उनके रुख में नरमी आई है.

मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भाई जगताप और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) में पार्टी के नेता विपक्ष रवि राजा ने भी कहा है कि पार्टी 2022 के मुंबई निकाय चुनाव अकेले लड़ेगी.

इस बीच, शिवसेना ने कांग्रेस खेमे के इन आरोपों पर पलटवार किया है कि उसे सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रिया से अलग-थलग कर दिया गया है.

महाराष्ट्र में कांग्रेस नेताओं की तरफ से कथित तौर पर दरकिनार किए जाने संबंधी टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर राउत ने ऐसे आरोपों को एकदम बेबुनियाद बताया.

उन्होंने कहा, ‘चार दिन पहले, मैंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ एक बैठक की थी. मैं उनसे मिला और करीब डेढ़ घंटे से अधिक समय तक चर्चा हुई. कांग्रेस एमवीए सरकार में बराबर की भागीदार है. कांग्रेस के पास राजस्व, ऊर्जा, पीडब्ल्यूडी, शिक्षा जैसे कई अहम विभाग हैं. तो इसे दरकिनार किए जाने की बात कहां से आती है?’

पेगासस, कृषि कानून, ईंधन के दाम बढ़ना

राउत ने ‘कृषि कानूनों, ईंधन की कीमतों में वृद्धि, बेरोजगारी और पेगासस जैसे मुद्दों पर चर्चा की अनुमति नहीं देने’ के लिए मोदी सरकार की आलोचना की.

उन्होंने कहा, ‘सरकार चर्चा से क्यों भाग रही है? सरकार को बहस और चर्चा से नहीं भागना चाहिए. अगर ऐसा लगता है कि हम कुछ गलत कह रहे हैं, कि हमारे पास गलत जानकारी है, तो सरकार को हमारी बात में सुधार करना चाहिए और कहना चाहिए कि विपक्ष झूठा है.

उन्होंने कहा, ‘उन्हें ऐसा करने का अधिकार है. लेकिन यह वास्तव में पेगासस पर चर्चा से भागने जैसा है और एक तथ्य यह भी है कि भागने से संदेह बढ़ रहा है कि वे कुछ छिपाने की कोशिश कर रहे हैं. यह कि आप लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं.’

पेगासस विवाद एक वैश्विक मीडिया संघ की तरफ से किए गए खुलासे से जुड़ा है, जिसमें कथित तौर पर जासूसी के शिकार बने लोगों की एक सूची मिलने का दावा किया है. इसमें कहा है कि सूची में शामिल लोगों को इजरायली फर्म एनएसओ ग्रुप के बनाए शक्तिशाली स्पाइवेयर के जरिये निशाना बनाकर उनकी जासूसी की गई. एनएसओ ग्रुप का कहना है कि यह केवल ‘निर्वाचित सरकारों’ की खुफिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सॉफ्टवेयर का लाइसेंस देता है.

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नहीं तो गृहमंत्री…वे इतने बड़े नेता हैं, इतने साहसी नेता हैं, तो भाग क्यों रहे हैं? आपके पास इतना बड़ा बहुमत है फिर आप क्यों भाग रहे हैं?’

राउत ने विपक्षी एकजुटता के बारे में बात करते हुए इसे मौजूदा समय की एक बड़ी जरूरत बताया.

उन्होंने कहा, ‘विपक्षी एकता जरूर कायम की जा सकती है, क्यों नहीं? अटल बिहारी वाजपेयी जी जब प्रधानमंत्री थे, तब एनडीए में 34 राजनीतिक दल एक साथ थे. तब भी विभिन्न विचारधाराओं और विचारों वाली पार्टियां साथ थीं, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल एकजुट साथ थे. हम सबने मिलकर काम किया.

उन्होंने कहा, ‘अब भी, अगर विपक्षी दलों को मिलाकर कोई ऐसा मोर्चा बनता है तो…मुझे लगता है कि संसद के अंदर और बाहर एक मजबूत विपक्ष होना जरूरी और महत्वपूर्ण है. मैं यह नहीं कहूंगा कि कोई मोर्चा बन गया है और हम तुरंत ही सत्ता में आ जाने वाले हैं. लेकिन जब भी कोई अच्छा मोर्चा बनता है, तो उसके सकारात्मक नतीजे सामने आएंगे.’

उन्होंने कहा कि यह देश और संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छी बात नहीं है कि ‘लोकसभा में नेता विपक्ष नहीं है.’

लोकसभा में सीटों के लिहाज से दूसरी सबसे ज्यादा हिस्सेदारी वाली पार्टी कांग्रेस नेता विपक्ष के पद पर दावेदारी के लिए पर्याप्त सीटें (निचले सदन के कुल 543 निर्वाचन क्षेत्रों का 10 प्रतिशत) हासिल नहीं कर पाई थी.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: यह एक नये राहुल गांधी हैं, और विपक्षी एकता के लिए ‘सक्रिय’ भूमिका निभाने में जुटे हैं


 

Exit mobile version