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राजस्थान भाजपा बोली, अशोक गहलोत सरकार गिरना तय, हम शक्ति परीक्षण का दबाव नहीं डालेंगे

राजस्थान भाजपा प्रमुख सतीश पूनिया का कहना है कि अगर कांग्रेस के विद्रोही सचिन पायलट शामिल होते हैं तो पार्टी को खुशी होगी, लेकिन अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व के हाथ में है.

राजस्थान बीजेपी चीफ सतीश पूनिया/प्रवीण जैन/दिप्रिंट

जयपुर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राजस्थान इकाई फिलहाल देखो और इंतजार की नीति अपना रही है और अशोक गहलोत सरकार पर सदन में शक्ति परीक्षण के लिए वैसे दबाव की योजना नहीं बनी रही, जैसा मध्य प्रदेश में उसके नेताओं ने मध्य भारतीय राज्य में पिछले साल ऐसी ही उठा-पटक की स्थिति के दौरान बनाया था.

राज्य भाजपा प्रमुख सतीश पूनिया ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि अगर कांग्रेस के बागी सचिन पायलट पार्टी में शामिल होते हैं तो उन्हें खुशी होगी लेकिन अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व के हाथ में है.

पूनिया की यह टिप्पणी पायलट के कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह करने के बाद उपजी विभिन्न संभावनाओं पर चर्चा करने और उसके अनुरूप रणनीति बनाने के उद्देश्य से मंगलवार को हुई राजस्थान भाजपा की एक बैठक के बाद आई है.

सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को मुश्किल में डाल देने वाली बगावत की स्थिति को लेकर एक अन्य बैठक के सिलसिले में भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बुधवार को जयपुर पहुंचने की संभावना है.

राज्य भाजपा प्रमुख पूनिया ने कहा कि गहलोत सरकार अल्पमत में आ चुकी है और साथ ही दावा किया कि यह जल्द ही गिर भी जाएगी.

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पूनिया ने कहा, ‘हम शक्ति परीक्षण की मांग नहीं कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने जनमत खो दिया है और खुद ही इस्तीफा दे देना चाहिए. जहां तक सचिन पायलट का सवाल है, अगर केंद्रीय भाजपा उन्हें पार्टी में शामिल करेगी, तो हम इसका स्वागत करेंगे और अगर वह शामिल होंगे तो हमें खुशी होगी। इससे पहले, सिंधिया जी (ज्योतिरादित्य) शामिल हुए थे और भाजपा एक पार्टी के रूप में सभी का स्वागत करती है.’

30 विधायकों का समर्थन होने के दावे के साथ पायलट की बगावत से गहलोत सरकार पर संकट के बादल छा गए हैं. पायलट को मंगलवार को उपमुख्यमंत्री और राजस्थान पार्टी प्रमुख के पद से बर्खास्त कर दिया गया, लेकिन वह अभी कांग्रेस के सदस्य बने हुए हैं.

पायलट पार्टी के ऐसे दूसरे युवा तुर्क हैं, जिन्होंने कांग्रेस में खुद को दरकिनार किए जाने के आरोप लगाकर बगावती तेवर दिखाए हैं. इससे पहले ग्वालियर राजघराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मार्च में 20 से अधिक विधायकों को साथ लेकर पार्टी से बगावत कर दी थी और कमलनाथ सरकार गिराने में मददगार बने थे. बाद में वह अपने विश्वस्त विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए.

भाजपा सूत्रों के मुताबिक, मध्य प्रदेश के विपरीत, जहां पार्टी सिंधिया के पास संख्याबल को लेकर एकदम आश्वस्त थी, वहीं इसे लेकर अनिश्चितता है कि पायलट को कितना समर्थन हासिल है.

‘कोई जल्दबाजी नहीं’

एक सूत्र ने कहा कि हो सकता है कि पायलट भाजपा में शामिल होने के इच्छुक हों लेकिन उनके खेमे के अन्य विधायकों को इस पर आपत्ति हो.

सूत्र ने आगे कहा, ‘कुछ विधायक हैं जो उनके खेमे में हैं और केवल उन्हें समर्थन देंगे लेकिन अपने निर्वाचन क्षेत्र के गणित को ध्यान में रखते हुए भाजपा में शामिल होने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं, क्योंकि भाजपा में आना उनके लिए फायदेमंद नहीं भी हो सकता है. स्थितियां काफी तेजी से बदल रही हैं, इसलिए हम भी सारी संभावनाओं और गुणा-भाग पर नजर रखें हैं.’

भाजपा के एक केंद्रीय नेता ने कहा कि पार्टी जल्दबाजी में नहीं है और यह देखना चाहती है कि पायलट के आने से पार्टी को क्या फायदा हो सकता है.

उक्त नेता ने कहा, ‘यह तो शुरुआत है, अगर आज नहीं तो कल सरकार निश्चित तौर पर गिरेगी और वह भी हमारे कुछ किए बिना. हम चाहते हैं कि यह अपने आप गिरे. साथ ही, हमें यह देखना होगा कि विधायकों पर पायलट की पकड़ और समर्थन किस हद तक है और इसलिए फिलहाल नजर रखें हैं.’

भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘पार्टी सभी घटनाक्रमों पर गहन नजर रख रही है और पिछले कुछ दिनों में उभरी संभावनाओं को भी देख रही है.’

पदाधिकारी ने आगे कहा, ‘हम तुरंत शक्ति परीक्षण की मांग नहीं कर रहे हैं, लेकिन यह देख रहे हैं कि पायलट को बर्खास्त कर दिया गया है और उन्हें विधायकों के एक वर्ग का समर्थन हासिल है जो विश्वास प्रस्ताव के लिए कह सकते हैं. इसलिए अब हम इंतजार कर रहे हैं.’


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सचिन पायलट खेमे के सदस्यों में से एक ने मंगलवार को सदन में शक्ति परीक्षण की बात उठाई थी लेकिन पूर्व सांसद ने अब तक इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा है.

रमेश मीणा, जो मंगलवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे, का कहना था कि शक्ति परीक्षण यह स्पष्ट कर देगा कि गहलोत को कितना समर्थन हासिल है.

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