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रेल मंत्री गोयल के लिए टाइमिंग और सुरक्षा की होगी चुनौती

नए ट्रेक बिछाने के लिए पैसे का इंतजाम करना, नई तकनीक का प्रयोग करना और कर्मचारियों की शैली में सुधार लाना रेल मंत्री के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.

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Indian Railways | Commons

नई दिल्ली:  मोदी कैबिनेट-2 ने देश की रफ्तार पीयूष गोयल के हाथों में सौपी है.देश के नए रेल मंत्री पर देश में बुलेट ट्रेन की शुरु करने, ट्रेनों की स्पीड़ बढ़ाने के साथ ही सुरक्षा एक बड़ी चुनौती का सामना करना होगा. पहले कार्यकाल में सुरेश प्रभु और पीयूष गोयल ने रेलवे मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभाली. इस दौरान रेलवे में कई काम हुए. कई नई पॉलिसी ज़रिए रेलवे में बदलाव किया गया. वहीं तेज़ चलने वाली ट्रेन टी-18 (वंदे भारत एक्स्प्रेस) शुरू हुई. इसके अलावा हर राज्यों के लोगों के लिए स्पेशल ट्रेनों को भी शुरू किया गया. साथ ही ट्रेन में खाने-पीने को लेकर या​त्रियों के लिए हर संभव सुविधाएं भी मुहैया करवाने की कोशिश की. इसके अलावा कई महत्वपूर्ण एप भी लांच कर भी यात्रियों को जानकारी देने का प्रयास ​किया गया.

नए सरकार में भारतीय रेलवे ने भी अपने सौ दिन का एक्शन प्लान तैयार कर लिया है. विभाग अगले पांच साल में करीब 10 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगा. जानकारी के अनुसार 100 दिन के प्लान में मोदी सरकार बुलेट ट्रेन के काम में तेजी लाएगी. बुलेट ट्रेन के रास्ते में सबसे बड़ी दिक्कत जमीन अधिग्रहण का मुद्दा है. सरकार इस मसले को जल्द सुधारने में लगी हुई है. भूमि अधिग्रहण के खिलाफ चल रहे आंदोलन के वजह से अब तक इस प्राजेक्ट के लिए 35 फीसदी भूमि का अधिग्रहण हो चुका है. लेकिन 65 फीसदी भूमि के सर्वे लिए प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इसमें अधिग्रहण करना बाकि है.इसका विरोध होने से इसकी प्रोजेक्ट की गति धीमी हो गई है. भूमि अधिग्रहण पिछले साल दिसंबर तक होना था,लेकिन यह काम पूरा नहीं हो सका है. नई सरकार के प्रमुख एजेंडे में शामिल होने के बाद इस प्रोजेक्ट में तेजी से काम किया जाएगा.

ट्रेन की लेट लतीफी से कैसे निपटेंगे मंत्री 

रेलवे मंत्रालय के सामने सबसे बड़ी समस्या ट्रेनों के समय को लेकर है. आए दिन ट्रेनों के लेट होने की शिकायत सामने आती रहती है. ऐसे में नए रेल मंत्री अगर इसमें सुधार लाते है तो यात्रियों के लिए सुविधाजनक होगा. इसके अलावा नए ट्रेक बिछाने के लिए पैसे का इंतजाम करना, नई तकनीक का प्रयोग करना और कर्मचारियों की शैली में सुधार लिए काम करना होगा.

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रेल मंत्री सुरेश प्रभु फिर पीयूष गोयल ने रेलवे य़ात्रियों को मंत्रालय और कर्मचारियों से सीधा जोड़ा और सोशल मीडिया के जरिए पहुंच आसान बनाई. ट्विटर के जरिए रेलवे में लोगों को समस्या हल करने और सुविधा महैया करवाने की दिशा में काम किए. इसे यात्रियों द्वारा सराहा भी गया. इन सबके बावजूद कर्मचारियों के व्यवहार और रवैया के कारण यात्रियों में गुस्सा बना रहता है. नए रेल मंत्री को इन कर्मचारियों से काम लेन एक बड़ी चुनौती रहेगी. इसके अलावा देशभर में रेलवे मंत्रालय में काम करने वाले कर्मचारियों को साधना रेल मंत्री के लिए किसी भी चुनौती से कम नहीं होगा.

रेल दुर्घटना से निपटने के लिए करने होंगे कई काम

रेल दुर्घटनाओं की एक बड़ी समस्या है. इनमें से कुछ रेल कर्मचारियों की लापरवाही के कारण तो कुछ कर्मचारियों के अभाव के कारण. दोनों ही रेल मंत्री सुरेश प्रभु और पीयूष गोयल ने रेलवे फाटक से होने वाली दुर्घटनाओं पर फोकस किया, जिससे पहले की तुलना में इसमें बेहद कमी आई है. विभाग में कर्मचारियों की लापरवाही के अलावा कर्मचारियों की कमी भी बड़ा कारण है.

दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह यह भी है कि रेलवे ट्रैक पर क्षमता से अधिक लोड है. ट्रैक का लोड कम करना होगा वहीं बड़े पैमाने पर नए ट्रैक भी बिछाने होंगे. इससे ट्रैक का लोड कम होगा.

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