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प्रशांत किशोर ने फिर साधा राहुल गांधी पर निशाना, कहा- कांग्रेस का नेतृत्व किसी एक व्यक्ति का दैवीय अधिकार नहीं

किशोर पर पलटवार करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि वह पार्टियों/व्यक्तियों को चुनाव लड़ने की सलाह देने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन उनकी राजनीति का एजेंडा तय नहीं कर सकते.

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की फाइल फोटो । फोटो : पीटीआई

नई दिल्ली/कोलकाता: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने स्पष्ट रूप से कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि कांग्रेस जिस विचारधारा और राजनीति का प्रतिनिधित्व करती है, वह अहम है, किंतु उसका नेतृत्व किसी ‘व्यक्ति का दैवीय अधिकार’ नहीं है, विशेषकर तब जब पार्टी पिछले 10 साल में 90 प्रतिशत चुनाव हार चुकी है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा था कि अब कोई संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) नहीं है. इसके एक दिन बाद किशोर ने विपक्ष के नेतृत्व के लिए लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराए जाने का आह्वान किया.

विभिन्न दलों के राजनीतिक सलाहकार रह चुके किशोर के इस बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी और उसके प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ट्वीट किया, ‘यहां जिस व्यक्ति की चर्चा की जा रही है, वह (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) आरएसएस से भारतीय लोकतंत्र को बचाने और संघर्ष करने के अपने नैसर्गिक दायित्व का निर्वहन कर रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘कोई वैचारिक प्रतिबद्धता नहीं रखने वाला एक पेशेवर राजनीतिक दलों/ व्यक्तियों को चुनाव लड़ने के बारे में सलाह देने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन वह हमारी राजनीति का एजेंडा निर्धारित नहीं कर सकता.’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘कांग्रेस के ‘शासन करने के दैवीय अधिकार’ संबंधी झूठी धारणा को ध्वस्त करने की जरूरत है. राहुल गांधी ‘संघर्ष के दैवीय दायित्व’ की हमारी समृद्ध विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.’

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खेड़ा ने बनर्जी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उस क्षेत्रीय नेता का यह दावा बेतुका है कि संप्रग का अब कोई अस्तित्व नहीं है, जो संप्रग का हिस्सा ही नहीं है. उन्होंने कहा, ‘क्योंकि मैं अमेरिका का नागरिक नहीं हूं, तो इसका अर्थ यह नहीं हुआ कि अमेरिका का अस्तित्व ही नहीं है.’

इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पार्टी में संगठनात्मक बदलाव के लिए पत्र लिखने वाले ‘23 नेताओं के समूह’ के सदस्य और पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने भी कहा कि कांग्रेस के बिना संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) एक ऐसे शरीर की तरह होगा जिसमें आत्मा नहीं हो.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘कांग्रेस के बगैर संप्रग बिना आत्मा के शरीर की तरह होगा. यह समय विपक्षी एकजुटता दिखाने का है.’

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी कहा कि कांग्रेस देश का मुख्य विपक्षी दल है तथा भाजपा को पराजित करने के किसी भी राष्ट्रीय प्रयास का मुख्य स्तंभ बनी हुई है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘यह समय की जरूरत है कि भाजपा का विरोध करने और पराजित करने के लिए धर्मनिरपेक्ष, प्रगतिशील और लोकतांत्रिक पार्टियों के बीच जनता के मुद्दों को लेकर व्यापक समझ एवं सहयोग हो. यह लोगों की अकांक्षाओं से भी जुड़ा है.’

शर्मा ने कहा, ‘कांग्रेस देश की मुख्य विपक्षी पार्टी है और राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले सामूहिक प्रयास का प्रमुख स्तंभ बनी हुई है.’

किशोर ने ट्वीट किया, ‘जिस विचारधारा और राजनीति का कांग्रेस प्रतिनिधित्व करती है, वह मजबूत विपक्ष के लिए अहम है, लेकिन कांग्रेस का नेतृत्व किसी एक व्यक्ति का नैसर्गिक अधिकारी नहीं है, विशेषकर तब जब पार्टी पिछले 10 साल में 90 प्रतिशत चुनाव हारी है.’

उन्होंने कहा, ‘विपक्ष के नेतृत्व का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से होने दीजिए.’

किशोर और उनकी टीम पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद से तृणमूल कांग्रेस के लिए काम कर रही है और राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के विस्तार के लिए रणनीति तैयार कर रही है.

किशोर की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब तृणमूल ने संसद में विपक्ष के कांग्रेस के नेतृत्व की बात का पालन नहीं करने का प्रयास किया है और भाजपा से मुकाबला करने की पार्टी की क्षमता पर सवाल उठाया है.

किशोर ने कुछ महीनों पहले कांग्रेस में शामिल किए जाने की संभावना को लेकर पार्टी नेतृत्व से बातचीत की थी. उन्होंने राहुल गांधी से मुलाकात भी की थी और पार्टी में उन्हें शामिल किए जाने को लेकर गंभीर और काफी देर तक बातचीत भी हुई थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.

किशोर ने दो महीने पहले भी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘लखीमपुर खीरी की घटना के आधार पर देश की सबसे पुरानी पार्टी की अगुवाई में विपक्ष के त्वरित और स्वाभाविक रूप से उठ खड़े होने की उम्मीद लगा रहे लोग निराश हो सकते हैं. दुर्भाग्यवश सबसे पुरानी पार्टी में लंबे समय से घर कर चुकी समस्याओं और ढांचागत कमजोरियों का कोई त्वरित समाधान नहीं है.’

बनर्जी ने बुधवार को राकांपा (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) सुप्रीमो शरद पवार से मुंबई में मुलाकात की थी और कांग्रेस नेतृत्व पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की बात कही थी.

एक ओर बनर्जी ने टिप्पणी की कि ‘अब संप्रग जैसा कुछ नहीं है’ और ‘ज्यादातर समय’ विदेश में रह कर कोई कुछ भी हासिल नहीं कर सकता है, वहीं, पवार ने कहा कि वर्तमान में नेतृत्व कोई मुद्दा नहीं है और भाजपा के खिलाफ लड़ाई में समान विचार रखने वाली सभी पार्टियों का स्वागत है.

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में इस साल बनर्जी की पार्टी को मिली जीत के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है. हाल ही में मेघालय में कांग्रेस के 17 विधायकों में से 12 तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए, जिससे वह राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई.

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