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राहुल गांधी जैसे लोग समाज में ज़हर फैलाते हैं: उमा भारती

NEW DELHI, INDIA - JULY 18: Minister of Water Resources Uma Bharti at Parliament House on the opening day of the Monsoon Session on July 18, 2016 in New Delhi, India. A total of 25 bills, including the crucial GST Bill, are expected to come up for consideration and passage during the monsoon session. (Photo by Arvind Yadav/Hindustan Times via Getty Images)
बीजेपी नेता उमा भारती की फाइल फोटो.

राम जन्मभूमि आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने विपक्षी दलों से राम मंदिर मामले पर राजनीति नहीं करने की बात कही है.

नई दिल्ली: राम मंदिर मामले पर बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने की ज़िम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत दूसरे विपक्षी नेताओं पर डालते हुए केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती ने कहा कि विपक्ष गंदी राजनीति और समाज में ज़हर फैलाने का काम करता है.

अयोध्या मुद्दा

उमा भारती ने कहा, ‘अब ये डिस्प्यूट ऑफ लैंड का मुद्दा बन गया है, यह डिस्प्यूट ऑफ फेथ का मुद्दा नहीं है. जब ये डिस्प्यूट ऑफ लैंड का मुद्दा है तो सभी पक्ष इसे अदालत के बाहर भी बैठकर सुलझा सकते हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं राहुल गांधी, सोनिया गांधी, अखिलेश यादव, मायावती और ममता बनर्जी को बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आमंत्रित करती हूं, क्योंकि ये लोग हम पर इसका चुनावी इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हैं.’

विपक्षी पार्टियों से वार्तालाप के लिए आगे आने और एक हल निकालने की बात करते हुए वे कहती हैं, ‘ये वे लोग हैं जो गंदा रोल निभाते हैं. वे विवाद और विभाजन का माहौल पैदा करना चाहते हैं. इसलिए मैं चाहती हूं कि ये लोग आगे आएं और रामलला जहां आसीन हैं वहां मंदिर निर्माण कैसे किया जाये इसकी बातचीत की प्रक्रिया की शुरुआत करें.’

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उन्होंने आगे कहा, ‘अगर यह करने की कोशिश हम करते हैं, तो वे (विपक्ष) ढेर सारी परेशानियां पैदा करते हैं… राहुल गांधी जैसे लोग समाज में ज़हर फैलाते हैं.’

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि मैं चाहती हूं कि देश की सभी राजनीतिक पार्टियां एकजुट होकर इस मुद्दे पर बातचीत की शुरुआत करें.

उन्होंने कहा, ‘अगर कांग्रेस पार्टी, कम्यूनिस्ट पार्टियां और समाजवादी नेता पॉज़िटिव रोल अदा करें तो बड़े आराम से राम मंदिर का निर्माण हो जाएगा.’

सुप्रीम कोर्ट में देरी

सर्वोच्च न्यायालय में सोमवार को अयोध्या ज़मीन विवाद मामले में सुनवाई टल गई. अब मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2019 में एक उचित पीठ के समक्ष होगी. हालांकि राम जन्मभूमि आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने दावा किया कि यह कभी पार्टी के लिए चुनावी मुद्दा नहीं था.

उन्होंने कहा, ‘हमने चुनाव के साथ कभी अयोध्या को जोड़ा नही हैं. हमने इसके लिए सरकारें खोई हैं. हमारे लिए सत्ता महत्वपूर्ण नहीं थी, हमारे लिए राम जन्मभूमि आंदोलन महत्वपूर्ण था.’

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई टालने को भी महज़ एक संयोग बताया.

उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट एक स्वतंत्र निकाय है. यह संयोग है कि बात अभी सामने आ गई है. हमारे राम जन्मभूमि राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़ा मुद्दा है.… वहां राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए ये हमारा विश्वास है.’

राम मंदिर के लिए कानून

अयोध्या मामले में हो रही देरी के चलते आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद समेत दूसरे संगठन भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से कानून बनाकर राम मंदिर निर्माण की मांग कर रहे हैं.

उमा भारती कहती हैं,‘सरकार का हस्तक्षेप तभी होगा जब सारे लोग मिलकर साथ दें जैसे सोमनाथ के समय हुआ था.’

उन्होंने कहा,‘सरकार की भूमिका दोनों पक्षों के बीच बातचीत की शुरुआत करने का मौका देने की होनी चाहिए. जहां तक कानून बनाने की बात है तो इसके लिए संसद की सर्वानुमति की ज़रूरत होगी, इसके लिए कांग्रेस अपना रुख स्पष्ट करे.’

राहुल गांधी के मंदिर जाने और रामजन्मभूमि मामले पर चुप्पी साधे रखने के मामले पर उमा भारती कहती हैं,‘किसी भी मंदिर में मत्था टेकने के लिए जाना और राम मंदिर के बारे में अपनी राय ज़ाहिर करना दो बातें हैं. इस पर मैं टिप्पणी नहीं करना चाहूंगी, वे जहां जाते हैं ये उनकी निजी ज़िंदगी हैं, लेकिन मैं चाहूंगी कि राम जन्मभूमि मामले को लेकर वो कोई राजनीति न करें.’

सबरीमाला पर

सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को अपने फैसले में 10 से 50 साल तक की उम्र की महिलाओं के केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था.

इसे निजी विश्वास का मामला बताते हुए उमा भारती कहती हैं, ‘महिलाएं तो खुद भी जागरूक हैं. मुझे लगता है कि हर महिला को पता है कि किस मंदिर में कब जाना और कैसे नहीं जाना. अब कोई कोर्ट चला जाएगा तो अदालत तो फैसला सुनाएगा ही. वैसे भी मंदिर पिकनिक की जगह नहीं हैं. यह विश्वास की जगह है. जो महिलाएं मंदिर जाएंगी वह उसके लिए दिमाग में सम्मान रखेंगी. इसके लिए उन्हें किसी को बताने की ज़रूरत नहीं हैं.’

मध्य प्रदेश में सवर्ण असंतोष

मध्य प्रदेश में तीन बार से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एंटी एनकंबेंसी के साथ ही साथ सवर्ण जातियों की नाराज़गी का सामना करना पड़ रहा है. एससी-एसटी एक्ट में पर संसद द्वारा कानून बनाने के बाद सवर्ण मतदाता नाराज़ बताए जा रहे हैं.

हालांकि इस केंद्रीय मंत्री उमा भारती कहती हैं, ‘मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया था कि जो एक्ट हैं उसमें किसी का शोषण नहीं होने देंगे किसी के साथ गलत नहीं होने देंगे. उसके बाद लोग शांत हो गए. अब तो ज़बरदस्ती माहौल बनाने की कोशिश हो रही हैं जबकि ऐसा कुछ नहीं हैं. यह साफ हो गया है कि एक्ट रहेगा लेकिन उसका दुरुपयोग नहीं होगा. इससे अपर कॉस्ट में कोई असंतोष नहीं है और एससी-एसटी समुदाय में भी.’

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की झांसी से सांसद उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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