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‘कैश-फॉर-बर्थ’, 100 करोड़ में मिलेगी कैबिनेट सीट, शिंदे के विधायकों के साथ कैसे हुई ठगी की कोशिश

मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि आरोपियों ने शिवसेना के विभाजन—जिसकी वजह से एमवीए सरकार गिरी थी—के दौरान महाराष्ट्र में उपजी राजनीतिक अनिश्चितता का फायदा उठाने की कोशिश की थी.

प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो: commons

मुंबई: पिछले साल जुलाई की बात है जब महाराष्ट्र के पुणे जिले के दौंड से भाजपा विधायक राहुल कुल को किसी ‘रियाज भाई’ का फोन आया, जिसने दावा किया कि वह 100 करोड़ रुपये के बदले विधायक को कैबिनेट मंत्री की सीट दिला सकता है.

छह महीने बाद रियाज शेख और छह अन्य पर ‘कैश-फॉर-बर्थ’ स्कैम में शामिल होने का आरोप लगा है.

इस साल 13 जनवरी को मुंबई पुलिस अपराध शाखा के जबरन वसूली विरोधी सेल (एईसी) ने ‘कैश-फॉर-बर्थ’ स्कैम में सात आरोपियों रियाज अल्लाहबख्श शेख (41), योगेश कुलकर्णी (57), सागर संघोई (37), जफर अहमद उस्मानी (53), नंदकिशोर प्रसाद उर्फ एनके सिंह (59), विशाल दिलीप काले उर्फ सिंह (30) और पवन मुतरेजा (40) के खिलाफ 439 पन्नों की चार्जशीट दायर की.

आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत धोखाधड़ी, खुद को लोकसेवक जालसाजी करने और आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया था.

चार्जशीट में कहा गया है कि आरोपी दिल्ली और महाराष्ट्र के कोल्हापुर, ठाणे और मुंबई जैसे तमाम इलाकों में जालसाली में शामिल रहे हैं और उनके खिलाफ धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं.

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दिप्रिंट ने इस मामले को लेकर मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच के अधिकारियों के साथ फोन पर संपर्क साधा लेकिन उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

दिप्रिंट ने कैश-फॉर-बर्थ स्कैम का निशाना बने तीन वरिष्ठ भाजपा नेताओं राहुल कुल, समाधान औताडे (पंढरपुर से विधायक) और सुभाष देशमुख (सोलापुर से विधायक) को भी मैसेज भेजकर इस मामले में प्रतिक्रिया चाही लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित होने तक कोई जवाब नहीं आया था. उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर रिपोर्ट अपडेट की जाएगी.

प्रारंभिक जांच के मुताबिक, आरोपियों ने जल्दी पैसा कमाने के लिए महाराष्ट्र में अस्थिर राजनीतिक स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश की थी, जो शिवसेना में विभाजन के कारण उपजी थी, और जिसकी वजह से ही महाविकास अघाड़ी (एमवीए) की सरकार गिरी थी.

गौरतलब है कि पिछले वर्ष जून में भाजपा के साथ हाथ मिलाने से पहले एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 40 विधायकों ने एमवीए (शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस) सरकार को गिराने के लिए शिवसेना प्रमुख और तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी. बाद में शिंदे ने मुख्यमंत्री और भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली.

पार्टी टूटने के बाद, ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट से अलग हुए कई शिवसेना विधायक कैबिनेट पद पाने के इच्छुक थे. उसी तरह, 2019 से राज्य में सत्ता भाजपा में भी कई ऐसे लोग थे जो शिंदे-फडणवीस सरकार में कैबिनेट पोर्टफोलियो की उम्मीद कर रहे थे.

शिंदे गुट की सरकार ने 30 जून को शिंदे के सीएम और फडणवीस के डिप्टी-सीएम के पद की शपथ लेने के साथ कार्यभार संभाल लिया था. कैबिनेट का पहला विस्तार अगस्त के शुरू में किया गया. दोनों ही पार्टियों ने नौ-नौ मंत्रियों के साथ जल्द ही दूसरा विस्तार करने का वादा किया था. हालांकि, दूसरा विस्तार अभी तक नहीं हुआ है.


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‘दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में होने का झांसा दिया’

जानकारी के मुताबिक इन ठगों की नजरें महाराष्ट्र में सरकार बदलने पर टिकी थीं, और मामले के चार आरोपियों विशाल काले, जाफर उस्मानी, नंदकिशोर प्रसाद और पवन मुतरेजा ने कथित तौर पर राज्य के विधायकों को झांसा देने की तैयारी कर ली.

जुलाई 2022 में उन्होंने साथी अभियुक्त सागर संघोई से संपर्क किया और उन्हें उन राजनेताओं की पहचान का जिम्मा सौंपा, जो कैबिनेट पदों में रुचि रखते थे. फिर संघोई ने यह काम रियाज शेख और योगेश कुलकर्णी को सौंपा.

चार्जशीट में राहुल कुल का बयान भी शामिल किया गया है, जिसमें भाजपा विधायक ने बताया है कि पिछले साल 12 जुलाई को उनके मोबाइल पर किसी ‘रियाज भाई’ का फोन आया जिसने उन्हें बताया कि वह ‘दिल्ली में एक वरिष्ठ राजनेता के संपर्क में है’, और अगर विधायक की दिलचस्पी हो तो 100 करोड़ रुपये के बदले शिंदे सरकार में कैबिनेट का पद हासिल कर सकते हैं.

कुल ने अपने बयान में कहा, ‘लेकिन मैंने उससे कहा कि मुझे इस तरह कैबिनेट पद पाने में कोई दिलचस्पी नहीं है.’

17 जुलाई को कुल के निजी सहायक ओंकार थोराट ने उन्हें बताया कि दिल्ली से कोई रियाज भाई मिलने आए हैं और उन्होंने मुंबई के एक फाइव स्टार होटल में मिलने का फैसला किया. कुल ने कहा, ‘उस शाम जब मैं उससे होटल के कैफेटेरिया में मिला, तो मुझे यकीन हो गया कि वह वही व्यक्ति है जिसने कुछ दिन पहले मुझसे संपर्क किया था.’

उस मुलाकात के दौरान रियाज ने राहुल कुल से कहा कि उन्हें 90 करोड़ रुपये में कैबिनेट पद मिल सकता है, लेकिन कुल राशि का 20 प्रतिशत (18 करोड़ रुपये) तत्काल देना होगा. विधायक ने कहा, ‘तब मुझे पक्का यकीन हो गया कि वह कोई ठग है और उसके गिरोह को पकड़वाने के इरादे के साथ में मैंने उसे अगले दिन मिलने को कहा.’

बयान के मुताबिक, कुल ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बात करने के बाद ठगों के लिए जाल बिछाने का फैसला किया और इस संबंध में मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. इस वजह से ही रियाज तब पकड़ लिया गया जब वह अगले दिन पांच सितारा होटल में टोकन मनी लेने पहुंचा था.

अभियुक्तों न दो अन्य विधायकों, औताडे और देशमुख को ठगने के लिए भी इसी तरह की कोशिश की थी.

हालांकि, दोनों ने अपने बयान में कहा है कि उन्होंने रियाज से फोन पर ही कह दिया था कि उन्हें पैसे देकर कैबिनेट बर्थ पाने में कोई दिलचस्पी नहीं है. विधायकों ने एईसी को दिए बयान में कहा है, ‘फिर, मुझे उनका कोई फोन नहीं आया और कुछ दिनों बाद टीवी न्यूज में देखा कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है.’


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‘छोटा शकील के साले को ठगा’

रियाज से पूछताछ ने जांचकर्ताओं को योगेश कुलकर्णी, सागर संघोई और जाफर उस्मानी तक पहुंचाया, और दो दिन के भीतर ही इन आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

उस्मानी ने उन्हें दिल्ली में रहने वाले झारखंड के बोकारो जिले के एक खदान मालिक नंदकिशोर प्रसाद उर्फ एन.के. सिंह तक पहुंचाया जो कथित तौर पर दिल्ली में वरिष्ठ राजनेताओं के संपर्क में होने का दावा करता था.

इसके बाद पुलिस की एक टीम ने नंदकिशोर सिंह को बोकारो से गिरफ्तार किया.

चार्जशीट के मुताबिक, पुलिस अभी आरोपी पवन मुतरेजा का पता नहीं लगा पाई है, जिसका फोन ‘अगस्त से बंद’ है.

क्राइम ब्रांच ने आगे कहा कि नंदकिशोर सिंह ने केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ कर्मचारी के तौर पर फर्जी विजिटिंग कार्ड का इस्तेमाल किया था.

चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि पुलिस ने फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे गए आरोपियों के मोबाइल हैंडसेट के अलावा कॉल डेटा रिकॉर्ड (सीडीआर), व्हाट्सएप चैट, सिम कार्ड और फोन कॉल की ऑडियो रिकॉर्डिंग को साक्ष्य माना है, जिसमें कथित मांग की पुष्टि होती है.

दिलचस्प बात यह है कि आरोपियों के मोबाइल चैट और कॉल रिकॉर्ड से यह भी पता चला है कि उन्होंने गैंगस्टर छोटा शकील के साले सलीम कुरैशी उर्फ फ्रूट से इस वादे पर 50 लाख रुपये ठग लिए थे कि वे उसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के चंगुल से छुड़ा देंगे.

(अनुवादः रावी द्विवेदी | संपादनः ऋषभ राज)

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