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पहलवानों से ममता बनर्जी ने बातचीत कर दिया समर्थन, बोलीं- उनके साथ खड़े, BJP सांसद को बचा रही सरकार

ममता ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार एक ऐसे व्यक्ति को बचा रही हैं जिसपर शारीरिक शोषण का आरोप है. ममता ने आगे पूछा कि बीजेपी सांसद को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी | फाइल फोटो: ANI

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आंदोलन कर रहे देश के शीर्ष पहलवानों को अपना समर्थन दिया है. ममता ने कहा कि वह आंदोलन कर रहे पहलवानों के साथ खड़ी है और उनके मांगों का समर्थन करती हैं.

उन्होंने कहा, “हमारे पहलवानों को पीटा गया और उन्हें प्रताड़ित किया गया. मैंने पहलवानों से बात की और उन्हें अपना समर्थन दिया. हम उनके साथ एकजुटता से हैं और उनकी सभी जायज मांगों के साथ खड़े हैं.”

ममता ने आगे कहा, “एक व्यक्ति पर शारीरिक शोषण का आरोप है. वह बीजेपी का सांसद है. उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है? ‘पूजा-पाठ’ तभी सफल होता है जब मानवता की पूजा होती है.”

बता दें कि दिल्ली में बीते डेढ़ महीने से धरने पर बैठे पहलवान के धरने को रविवार को पुलिस हटा दिया. रविवार को संसद के नए भवन का उद्घाटन था और पहलवान अपना विरोध जताने के लिए संसद के पास जाने चाहते थे लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें पहले ही गिरफ्तार कर लिया था. दिल्ली पुलिस ने उन्हें रविवार को सुरक्षा घेरा तोड़कर महिला ‘महापंचायत’ के लिए नये संसद भवन की ओर बढ़ने की कोशिश करने के बाद कानून-व्यवस्था के उल्लंघन को लेकर हिरासत में लिया था.

“मेडल हरिद्वार में गंगा नदी में बहाएंगे”

आज पहलवानों ने कहा कि वह अपना जीता हुआ मेडल हरिद्वार में गंगा नदी में बहा देंगे. सोशल मीडिया पर जारी एक पत्र में पहलवानों ने कहा,  “हम अपने मेडल आज शाम 6 बजे हरिद्वार में गंगा नदी में बहा देंगे. गंगा हमारी मां हैं, जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं, उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत करके ये सारे मेडल जीते थे.”

 जारी पत्र में आगे लिखा कि “अब लग रहा है कि क्यों जीते थे. क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करें. हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे. कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं. तंत्र को पकड़ना उत्पीड़क को चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना खत्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है. अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है. इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना.”


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