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लॉकडाउन, प्रवासियों की मुसीबतें, ‘ट्रम्प लिंक’- कोविड संकट पर सांसद सरकार से चाहते हैं 5 सवालों के जवाब

राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने, कोरोनावायरस पर चर्चा के लिए दो घंटे का समय रखा था, लेकिन बुधवार को विपक्ष की मांग पर, इसे बढ़ाकर चार घंटे कर दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी/ फाइल फोटो | Twitter: @PMOIndia

नई दिल्ली: बुधवार को विपक्ष ने राज्य सभा में, कोविड महामारी के प्रबंधन पर, मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की, और मार्च में अचानक घोषित हिए लॉकडाउन पर सवाल उठाए, जिसके चलते रोज़गार खोए जाने से प्रवासी लोग मुसीबत में आ गए.

राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने, कोरोनावायरस पर चर्चा के लिए दो घंटे का समय रखा था, लेकिन बुधवार को विपक्ष की मांग पर, इसे बढ़ाकर चार घंटे कर दिया. दो घंटे की चर्चा बुधवार को हुई, जबकि और दो घंटे बृहस्पतिवार के शेड्यूल में रखे जाएंगे.

उसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अपना जवाब पेश करेंगे.

व्यापक रूप से ये हैं वो पांच सवाल जिनपर राज्यसभा सांसद- जिनमें से एक सत्ताधारी बीजेपी से है- मोदी सरकार से इसकी कोविड-19 प्रबंधन योजना पर जवाब चाहते हैं.

1.क्या मोदी सरकार ने 25 मार्च को घोषित किए गए लॉकडाउन की तैयारी की थी?

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पीएम नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च की शाम एक भाषण में, प्रतिबंध लागू होने से बस कुछ घंटे पहले ही, देशव्यापी कोविड-19 लॉकडाउन का ऐलान किया, जिसमें अब एक चरणबद्ध तरीक़े से ढील दी जा रही है.

सदन में कांग्रेस के डिप्टी लीडर आनंद शर्मा, स्वास्थ्य मंत्री से जानना चाहते थे, कि 25 मार्च से लॉकडाउन घोषित करने से पहले, क्या सरकार ने कोई तैयारी की थी.

शर्मा ने आगे कहा, ‘(संसद को) अपने संबोधन में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, कि लॉकडाउन से 14 लाख से 29 लाख मामले कम हुए, और क़रीब 74,000 जानें बचाई गईं. क्या इस संख्या पर पहुंचने का कोई वैज्ञानिक आधार है? सदन को बताया जाना चाहिए.’

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा नामित सांसद, स्वपन दासगुप्ता ने सरकार से ‘आंकड़ों की सांख्यिकीय मजबूती पर स्पष्टीकरण’ मांगा. उन्होंने पूछा, ‘क्या इसके पीछे कोई विज्ञान है?’

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद डेरेक ओब्रायन ने, सरकार के दावों का ज़िक्र किया, कि लॉकडाउन से पहले उसने राज्यों के साथ वीडियो कॉनफ्रेंसेज़ की थीं. उन्होंने कहा, हम जानना चाहते हैं कि 25 मार्च से पहले कितनी वीडियो कॉनफ्रेंस की गईं थीं’.


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2. क्या लॉकडाउन थोपने का फैसला कैबिनेट ने लिया था, और लॉकडाउन घोषित करने से पहले, क्या सरकार ने प्रवासी मज़दूरों के मुद्दे पर, राज्यों से परामर्श किया था?

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सांसद मनोज झा ने कहा, कि वो जानना चाहते हैं कि लॉकडाउन लागू करने का फैसला किस तरह लिया गया. उन्होंने आगे कहा, “कृपया हमें बताईए, कि क्या ये किसी व्यक्ति का निजी फैसला था, या संयुक्त फैसला था, क्योंकि हमारे यहां एक कैबिनेट प्रणाली है”.

ड्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) की तिरुचि शिवा ने पूछा, कि अगर भारत में कोविड-19 का पहला केस, जनवरी में सामने आया था, “तो सरकार मार्च तक क्या कर रही थी”.

शिवा ने कहा, “लोग इधर-उधर जा रहे थे. फ्लाइट्स पहले क्यों नहीं रोकी गईं?”

3.क्या लॉकडाउन की घोषणा में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के फरवरी दौरे की वजह से देरी की गई?

लॉकडाउन लागू करने में “देरी” पर बात करते हुए, तिरुची शिवा ने कहा, “ये देरी डोनाल्ड ट्रम्प की वजह से हुई. आपने एक भव्य समारोह आयोजित किया था”.

25 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, दो दिन के राजकीय दौरे पर आए थे. उनके दौरे के लिए आयोजित कार्यक्रमों में, अहमदाबाद में एक विशाल “नमस्ते ट्रम्प” रैली भी थी.

भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के इलामारन करीम ने कहा, “सरकार को चिंता नहीं थी कि लोग क्या मुसीबतें झेलेंगे. वो अहमदाबाद में ट्रम्प के स्वागत, और मध्य प्रदेश में सरकार गिराने में व्यस्त थी…”

करीम मार्च के अंत में मध्य प्रदेश में, सरकार बदलने की ओर इशारा कर रहे थे, जो ज्योरितादित्य सिंधिया और उनके वफादारों के, पिछली कांग्रेस सरकार के खिलाफ बग़ावत करने के बाद हुआ था.

4.केंद्र ने कोविड-19 के लिए, राज्यों को वित्तीय सहायता क्यों नहीं दी?

बीजू जनता दल (बीजेडी) के प्रसन्ना आचार्य ने कहा, कि तमाम राज्य सरकारें आर्थिक संकट से गुज़र रही हैं, लेकिन केंद्र सरकार ‘उनकी सहायता के लिए आगे नहीं आ रही है’. ‘एडवाइज़रीज़ और सर्कुलर्स जारी करने के अलावा, कोविड से निपटने के लिए, केंद्र से क्या मदद मिल रही है?’

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सांसद, के केशवराव ने भी यही दावा किया, और जीएसटी मुआवज़ा बक़ाया को लेकर, कुछ राज्यों और केंद्र सरकार के बीच चल रहे विवाद का भी ज़िक्र किया.“आपको हमें 800 करोड़ रुपए देने हैं. आप इसकी बात नहीं कर रहे हैं…राज्य अपनी ज़िम्मेदारियों से वाक़िफ हैं. ख़ाली वीडियो कॉनफ्रेंसिंग से काम नहीं चलेगा.”

मोदी सरकार ने इस हफ्ते राज्य सभा को बताया था, कि कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए, उसने राज्यों और केंद्र-शासित को, 4,230.78 रुपए आवंटित किए हैं.

तमिलनाडु से डीएमके सांसद द्वारा, कोविड-19 फंड आवंटन से जुड़े, सिलसिलेवार सवालों के लिखित जवाब में, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री, अश्विनी कुमार चौबे ने मंगलवार को कहा, कि ये पैसा मार्च से अगस्त के बीच, दो चरणों में दिया गया.

5.प्रवासी श्रमिकों की सहायता के लिए सरकार क्या कर रही है?

कई विपक्षी नेता जानना चाहते थे कि सरकार, प्रवासी श्रमिकों की सहायता के लिए क्या कर रही है.

समाजवादी पार्टी (एसपी) के रवि प्रकाश वर्मा ने कहा, कि अचानक लॉकडाउन से सबसे अधिक प्रवासी मज़दूर प्रभावित हुए. टीआरएस सांसद के केशव राव ने कहा कि सरकार को, तुरंत एक प्रवासी डेटाबेस तैयार करना चाहिए.

बीजेडी के प्रसन्ना आचार्य ने कहा कि बहुत से प्रवासी मज़दूर, अब अपने काम की जगहों पर लौट रहे हैं. वो जानना चाहते थे कि अगर कोविड की दूसरी लहर आ गई, तो क्या सरकार के पास उनके लिए कोई योजना है. उन्होंने कहा, ‘केंद्र को स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करने चाहिएं’.


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