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महागठबंधन के विरोध के बावजूद ओवैसी के साथ किशनगंज रैली में शामिल होंगे जीतन राम मांझी

हम के अध्यक्ष ने कहा- महागठबंधन में समन्वय का अभाव है. अगर समन्वय समिति नहीं बनी तो राजद नीत गठबंधन में रहने, ना रहने पर करेंगे विचार.

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एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और हम पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी.

पटना: असदुद्दीन ओवैसी के साथ मंच साझा करने के निर्णय पर महागठबंधन के नेताओं की आलोचना का सामना कर रहे हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह किशनगंज की रैली में शिरकत करेंगे. लेकिन वह इन सवालों को टाल गए कि क्या बिहार विधानसभा चुनावों से पहले एआईएमआईएम के प्रमुख के साथ तीसरा मोर्चा बनाएंगे.

मांझी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि वह महागठबंधन में बने हुए हैं, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि अगर पांच दलों के समूह समन्वय समिति बनाने की उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो वह इस पर विचार करेंगे.

उन्होंने कहा कि वह किशनगंज रैली में शामिल होंगे चाहे जो हो. सीएए और एनआरसी को लेकर देश विभाजित है और जो भी इसका विरोध कर रहे हैं मैं उनके साथ हूं. मुझे फर्क नहीं पड़ता कि मुझे किसके साथ मंच साझा करना है.

महागठबंधन के बड़े दलों राजद और कांग्रेस ने मांझी की आलोचना की थी और उन पर हैदराबाद के सांसद का बिहार में समर्थन करने का आरोप लगाया जिन्हें ये दल भाजपा की बी टीम बताते हैं.

उन्होंने कहा कि किसी भी ज्वलंत मुद्दे पर जब महागठबंधन के सहयोगी दलों ने कोई कार्यक्रम किया तो मैं उसमें शामिल हुआ. राजद ने पिछले हफ्ते जब बिहार बंद का आह्वान किया था तो मेरी पार्टी के सदस्य भी सड़कों पर उतरे. खराब स्वास्थ्य के कारण में प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सका.

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‘हम’ के अध्यक्ष ने कहा, ‘लेकिन सच्चाई यह है कि महागठबंधन में समन्वय का पूरा अभाव है. इसी कारण मैं समन्वय समिति बनाने की आवश्यकता पर बल देता हूं. राजग में भी देखिए कि जद (यू) और लोजपा जैसे दल इसी तरह की मांग भाजपा नीत गठबंधन में उठा रहे हैं भले ही वे सत्ता में हैं. हमारे यहां इसकी सख्त जरूरत है.’

उन्होंने कहा कि मैं 30 दिसम्बर तक गठबंधन में हूं और उम्मीद करता हूं कि तब तक समन्वय समिति बन जाएगी. अगर ऐसा नहीं होता है तो हम जनवरी में निर्णय करेंगे (राजद नीत गठबंधन में रहें अथवा नहीं).

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