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जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक पेश, अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों को मिलेगा फायदा

लोकसभा में जम्मू एवं कश्मीर आरक्षण विधेयक पेश. यह कानून, जम्मू एवं कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश 2019 की जगह लेगा.

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प्रतीकात्मक तस्वीर, लोकसभा का एक दृश्य, फाइल फोटो.

नई दिल्ली: लोकसभा में सोमवार को जम्मू एवं कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया गया. इससे अंतर्राष्ट्रीय सीमा के आसपास रहने वाले लोगों को नौकरियों, पदोन्नति और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ उसी तरह मिलेगा जिस तरह नियंत्रण रेखा के पास रहने वालों को मिलता है. यह कानून, जम्मू एवं कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश 2019 की जगह लेगा.

गृह राज्य मंत्री जी.किशन रेड्डी ने गृहमंत्री अमित शाह की तरफ से विधेयक को पेश किया. शाह भी सदन में मौजूद थे.

इस विधेयक से अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास रहने वाले लोगों को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास रहने वालों की तरह ही लाभ मिलेगा. अभी तक आईबी के पास रहने वालों को जम्मू एवं कश्मीर आरक्षण अधिनियम 2004 व नियम 2005 से बाहर रखा गया था.

विधेयक को पेश करने के कारणों को बताते हुए सरकार ने एक बयान में कहा कि सीमा पर लगातार तनाव के कारण अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे इलाकों में रहने वाले व्यक्तियों को सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन का सामना करना पड़ता है.

इसमें कहा गया, ‘यह स्थिति अक्सर इन निवासियों को अन्य सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर करती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और शैक्षिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.’

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एक लिखित बयान में अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रपति ने 19 दिसंबर, 2018 को संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत एक घोषणा जारी की, जिसमें कहा गया है कि जम्मू एवं कश्मीर राज्य की विधायिका की शक्तियां संसद के अधिकार के तहत या उसके द्वारा इस्तेमाल की जाएंगी.

उन्होंने कहा कि इस कानून के बनने से सीमा के नजदीक रहने वाले लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी होगी.

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