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‘महंगाई, किसान, निलंबन, नागालैंड की घटना,’ कांग्रेस की CPP बैठक में सोनिया ने मोदी सरकार को घेरा

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘मैं समझ नहीं पा रही हूं कि मोदी सरकार क्यों और कैसे इतनी असंवेदनशील है और समस्या की गंभीरता से इनकार करती आ रही है. ऐसा लगता है कि सरकार पर लोगों की पीड़ा का कोई असर नहीं है.’

सीपीसी बैठक में सोनिया गांधी/ @INCIndia

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी सीमा पर वर्तमान स्थिति और पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों पर संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पूर्ण चर्चा की मांग करेगी.

बैठक में सोनिया गांधी ने महंगाई, बेरोजगारी, राज्यसभा के 12 सदस्यों के निलंबन, टीकाकरण और नागालैंड की घटना को लेकर बुधवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा.

संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में हुई कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि राज्यसभा के 12 सदस्यों का निलंबन संविधान और संसदीय नियमों का उल्लंघन है तथा सरकार का यह कदम अप्रत्याशित एवं अस्वीकार्य है.

सीपीपी की बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी और पार्टी के कई अन्य सांसद शामिल हुए.

सोनिया गांधी की अध्यक्षता में संसद के सेंट्रल हॉल में कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में शहीद किसानों, निलंबित सांसदों सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई.

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सोनिया ने कहा कि, ‘आखिरकार 3 कृषि कानूनों को रद्द कर दिया गया है. आदत से मजबूर सरकार ने कानूनों को इसी तरह से अलोकतांत्रिक रूप से बिना चर्चा के रद्द किया जैसे पिछले साल उन्हें बिना चर्चा के पारित कर दिया था.’

सोनिया ने आगे कहा, ‘किसान संगठन आंदोलन के जरिए पिछले 13 महीनों से इन कानूनों का जोरदार विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस ने अन्य विपक्षी दलों के साथ उन्हें रद्द करने के लिए दबाव बनाया. किसानों की एकजुटता और दृढ़ता ने एक अभिमानी सरकार को झुकने पर मजबूर किया है.’

‘पिछले 12 महीनों में जो 700 से अधिक किसान शहीद हुए हैं. हम उनके बलिदान का सम्मान करते हैं. हम MSP कानून, खेती की लागत पर लाभकारी मूल्य और शहीद किसानों के परिवारों को मुआवते देते की किसानों की मांग के साथ खड़े हैं.’

कांग्रेस अध्यक्ष ने नागालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 लोगों के मारे जाने की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि इस घटना पर सरकार का अफसोस जताना पर्याप्त नहीं है, बल्कि आगे ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए उसे ठोस कदम उठाने चाहिए.

कोविड-19 रोधी टीकाकरण का उल्लेख करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि देश की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी को टीकों की दोनों खुराक देने के लिए प्रयास तेज होने चाहिए. उन्होंने संसद के शीतकालीन सत्र में किसानों से जुड़े मुद्दों और जनहित के अन्य विषयों पर चर्चा किए जाने पर जोर दिया.

सोनिया गांधी ने कोरोना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमीक्रॉन’ का उल्लेख किया और उम्मीद जताई कि सरकार कोविड महामारी की, पहले की दो लहरों के दौरान मिले अनुभवों से सबक लेगी और वायरस के इस नये स्वरूप से प्रभावी ढंग से निपटने की तैयारी करेगी.

सोनिया गांधी ने चीन के साथ सीमा पर लंबे समय से चल रहे गतिरोध की पृष्ठभूमि में कहा कि इस सत्र में कांग्रेस सीमा पर स्थिति और पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों पर पूर्ण चर्चा की मांग करेगी.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी से जुड़ी किसानों की मांग का समर्थन करती है और किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इस सत्र की शुरुआत से ही कांग्रेस जरूरी वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी का मुद्दा उठाती रही है.


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‘अर्थव्यवस्था तबाह कर दी’

कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया, ‘मैं समझ नहीं पा रही हूं कि मोदी सरकार क्यों और कैसे इतनी असंवेदनशील है और समस्या की गंभीरता से इनकार करती आ रही है. ऐसा लगता है कि सरकार पर लोगों की पीड़ा का कोई असर नहीं है.’

उनके मुताबिक, सरकार ने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतें घटाने के लिए जो कदम उठाए वह पूरी तरह अपर्याप्त हैं तथा उसने हर बार की तरह इस बार भी राज्यों पर जिम्मेदारी डाल दी जो पहले से ही वित्तीय बोझ का सामना कर रहे हैं.

मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि मोदी सरकार बैंकों, बीमा कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, रेलवे और हवाई अड्डों जैसी बेशकीमती राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने में व्यस्त है. सबसे पहले तो प्रधानमंत्री ने नवंबर 2016 में नोटबंदी के कदम से अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया.

उन्होंने सवाल किया कि अगर यही स्थिति रही तो फिर अनुसूचित जाति, जनजति के लोगों और दूसरे बेरोजगार नौजवानों के रोजगार का क्या होगा ?

सोनिया गांधी ने कहा, ‘पिछले कुछ समय से सरकार के प्रवक्ता यह दावा करते रहे हैं कि अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर आ रही है. लेकिन यह किसके लिए हो रहा है? असली सवाल यह है. इसके उन करोड़ों लोगों के लिए कोई मायने नहीं हैं जिन्होंने न सिर्फ कोविड महामारी के चलते बल्कि नोटबंदी और त्रुटिपूर्ण जीएसटी के कारण अपनी आजीविका गंवा दी.’

उन्होंने कहा कि शेयर बाजार के बढ़ने या कुछ बड़ी कंपनियों के मुनाफा कमाने का यह मतलब नहीं है कि अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही है.

कांग्रेस की शीर्ष नेता ने आरोप लगाया कि सीमा पर खड़ी चुनौतियों पर संसद में चर्चा के लिए कोई मौका नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘इस तरह की चर्चा से हमें अपने सामूहिक संकल्प को प्रकट करने का अवसर मिलता. सरकार भले ही कठिन सवालों का जवाब नहीं देना चाहती हो, लेकिन स्पष्टीकरण मांगना विपक्ष का कर्तव्य है. मोदी सरकार चर्चा के लिए समय आवंटित करने से इनकार करती है.

मैं फिर से आग्रह करती हूं कि सीमा पर हालात और अपने पड़ोसियों के साथ रिश्तों पर संसद में पूर्ण चर्चा की जाए.’


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