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हार के बाद मोदी सरकार ने जनता का मूड भांपने के लिए आईबी को लगाया

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से घबराई मोदी सरकार ने इंटेलीजेंस ब्यूरो से ‘जनता का मूड भांपने’ को कहा है.

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नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो । पीटीआई

नई दिल्ली : पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से घबराई मोदी सरकार ने मंगलवार को अचानक आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) की मीटिंग बुलाई और ‘जनता का मूड भांपने’ के लिए कमर कसने को कहा है.

दिप्रिंट को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आईबी को सरकार द्वारा उन मुद्दों पर नियमित रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है जो 2019 के आम चुनाव के लिए रास्ता बना सकते हैं.

सूत्रों के मुताबिक सरकार के उच्च अधिकारियों को कहा गया है कि आईबी की पुरानी रिपोर्ट्स को भी पढ़ें और पिछली गलतियों का मूल्यांकन करते हुए आने वाले चुनाव के लिए केस स्टडी तैयार करें.

एक सूत्र के अनुसार, ‘सरकार 2019 के आम चुनाव के लिए कोई खतरा नहीं मोल लेना चाहती है और यह संदेश पार्टी के हर सदस्यों को भेजा जा चुका है. पुरानी रिपोर्ट्स को बाहर निकाला जा रहा है और उनका विश्लेषण करते हुए नई रणनीति बनाई जा रही है.’

जिस समय पांच राज्यों में चुनाव प्रचार चल रहे थे, उसी दौरान आईबी ने मोदी सरकार को रिपोर्ट्स सौंपीं थी कि किस तरह से राजस्थान में वसुंधरा राजे की घटती लोकप्रियता और मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में एंटी इनकंबेंसी से भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. रिपोर्ट्स में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में उभरी निराशा और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से सरकार को नुकसान होने की भी बात कही गई थी.

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पुनर्निरीक्षण वाली पार्टी

नाम न बताने की शर्त पर बीजेपी के एक नेता ने बताया कि यह पुनर्निरीक्षण पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली हार को देखते हुए किया जा रहा है. बीजेपी के एक सदस्य ने बताया, ‘पार्टी को मिली हार के कई कारण बताए गए हैं, जिसमें एंटी इनकंबेंसी सबसे प्रमुख मुद्दा रहा है, लेकिन हमें अपनी हार स्वीकार करते हुए, 2019 के अपने अगले लक्ष्य की तरफ ध्यान देना चाहिए. हमने आने वाले चुनाव के लिए रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है जिसमें नरेंद्र मोदी प्रमुख चेहरा होंगे.’

नेता ने इस बात पर भी जोर दिया कि इन चुनावों में मिली हार का यह मतलब नहीं है कि मोदी लहर खत्म हो गई. उनके अनुसार, ‘जिस अंतर से हम राजस्थान और मध्य प्रदेश में चुनाव हारे हैं, वह बहुत कम है और यह अपने आप में काफी कुछ कह जाता है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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