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कोविड के बीच बिहार चुनाव लोगों को खतरे में डाल देगा, मतदान घटने के आसार: चिराग पासवान

लोजपा प्रमुख और लोकसभा सांसद चिराग पासवान ने चुनाव आयोग से अच्छी तरह सोच-विचार करने और फिर ऐसा निर्णय लेने का आग्रह किया है जो व्यापक स्तर पर लोगों के लिए फायदेमंद हो.

लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद चिराग पासवान ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच बिहार विधानसभा चुनाव कराना आबादी के एक बड़े हिस्से की जान जोखिम में डाल सकता है और मतदान भी काफी कम रहने के आसार हैं.

उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भाजपा, जो कि बिहार में लोजपा की गठबंधन सहयोगी है, ने चुनाव के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार अभियान छेड़ दिया है, जबकि बिहार में विपक्ष जैसे राष्ट्रीय जनता दल महामारी के दौरान राज्य में चुनाव कराने का विरोध कर रहा है.

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान ने एक के बाद एक कई ट्वीट करके कहा कि लोजपा चुनाव के लिए तैयार है लेकिन पार्टी संसदीय बोर्ड की गुरुवार को हुई बैठक में सदस्यों ने चिंता जताते हुए कहा कि कोरोनावायरस संकट के बीच चुनाव कराना अच्छा विचार नहीं होगा.

पासवान ने चुनाव आयोग से भी आग्रह किया कि इस पर विचार करे और ऐसा फैसला ले जो व्यापक स्तर पर लोगों के हित में हो.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘कोरोना के प्रकोप से बिहार ही नहीं पूरा देश प्रभावित है. कोरोना के कारण आम आदमी के साथ-साथ केंद्र व बिहार सरकार का आर्थिक बजट भी प्रभावित हुआ है. ऐसे में चुनाव से प्रदेश पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा. संसदीय बोर्ड के सभी सदस्यों ने इस विषय पर चिंता जताई है.’

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एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘चुनाव आयोग को भी इस विषय पर सोचकर निर्णय लेना चाहिए कहीं ऐसा ना हो की चुनाव के कारण एक बड़ी आबादी को खतरे में झोंक दिया जाए. इस महामारी के बीच चुनाव होने पर पोलिंग पर्सेंटेज भी काफी नीचे रह सकते है जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.’

विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने की संभावना है. चुनाव आयोग ने इस संबंध में अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है.


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नीतीश कुमार की जदयू के साथ मतभेद

गठबंधन में सहयोगी नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के साथ जारी मतभेदों के बीच पासवान ने गुरुवार को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति तय करने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की.

2015 के विधानसभा चुनाव में लोजपा ने 243 में से 42 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उस समय नीतीश कुमार कांग्रेस और राजद के साथ महागठबंधन का हिस्सा थे.

पार्टी आगामी चुनावों में भी कम से कम 43 सीटें देने के लिए दबाव बना रही है लेकिन अभी तक इस पर कुछ भी तय नहीं हुआ है.

दो क्षेत्रीय दलों के बीच मतभेद की हालिया रिपोर्टों ने भाजपा के लिए सीट बंटवारे की कवायद को और मुश्किल ही बनाया है. भाजपा अब तक स्पष्ट रूप से कहती रहती है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी.

पिछले महीने पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में, पासवान ने अपनी इस टिप्पणी से अटकलों को हवा दे दी थी कि वह भाजपा का समर्थन करेंगे ‘चाहे वह नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़े या अपना मन बदल ले.’

हालांकि, भाजपा के नेता यह बताते रहे हैं कि गठबंधन के भीतर सब कुछ ठीकठाक है.


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बिहार चुनाव अहम

बिहार चुनाव भाजपा के लिए बेहद अहम हैं क्योंकि 2018 के बाद से कई राज्यों के चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा है.

पार्टी 2020 में दिल्ली और 2019 में झारखंड चुनाव हार चुकी है और सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद महाराष्ट्र में सरकार बनाने में असमर्थ रही थी.

बिहार चुनाव पार्टी के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जदयू के साथ गठबंधन में होने के बावजूद, वह लंबे समय में खुद को बड़े भाई के रूप में स्थापित करने की कोशिश करती रही है, खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अग्रिम मोर्चा संभाल रखा है और उन्होंने पिछले महीने एक वर्चुअल रैली भी की थी.

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