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गैंगवार से चुनाव तक—पोरबंदर में चुनाव मैदानों में डटे माफिया, विकास के वादे के साथ लुभाने की कोशिश

1960 के दशक के अंत से 1990 के दशक के मध्य तक महात्मा गांधी का जन्म स्थान ‘गुजरात का शिकागो’ बन गया था. कुछ पूर्व गैंगस्टर्स के रिश्तेदार अब राजनीति के जरिये अपना दबदबा कायम रखने की कोशिशों में जुटे हैं.

कीर्ति मंदिर | फोटो: मौसमी दास गुप्ता | दिप्रिंट

पोरबंदर/कुटियाना (गुजरात): गुजरात के सोमनाथ मंदिर सर्किट और द्वारका घूमने पहुंचा कोई भी पर्यटक शायद ही जूनागढ़ और द्वारका जिलों से सटे पोरबंदर के कीर्ति मंदिर जाना भूलता हो.

पोरबंदर शहर के पुराने हिस्से में स्थित महात्मा गांधी के इस स्मारक पर प्रतिदिन सैकड़ों पर्यटक आते हैं. गांधी का जन्म 1869 में पोरबंदर में हुआ था और उनका पैतृक घर कीर्ति मंदिर के ठीक बगल में है. यह इस पुराने तटीय शहर में स्थित गांधी की कुछ विरासतों में एक है, जिन्हें अहिंसा का पुजारी कहा जाता है.

समय बीतने के साथ पोरबंदर की बदलती सूरत पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है. लेकिन पोरबंदर पर कोई भी कहानी शहर में अपराधों के जिक्र बिना पूरी नहीं होती. 1960 के दशक के उत्तरार्ध में अहिंसावादी गांधी की जन्मभूमि ‘गुजरात के शिकागो’ नाम से कुख्यात हो गई, और लगभग 90 के दशक के मध्य तक यह उपनाम इसके साथ ही जुड़ा रहा. उस दौरान यहां कई माफिया डॉन का राज रहा और उनके बीच गैंगवार तो एक आम बात हो गई थी.

उन दशकों के दौरान गांधी की जन्मभूमि पोरबंदर में कुटियाना की कुख्यात माफिया डॉन संतोखबेन जडेजा से लेकर इकु गगन, नरेन सुधा और भीमा दुला ओडेदरा जैसे गैंगस्टर्स का राज था, जिनकी गतिविधियों के चलते यहां जीवन किसी ‘दुःस्वप्न’ से कम नहीं था.

कहा जाता है कि वो संतोखबेन के पति सरमन मुंजा जडेजा ही थे, जिन्होंने पहली बार 1960 के दशक में अपने मेर समुदाय के लोगों को इलाके के दबंग लोगों से बचाने के लिए हथियार उठाया था. सरमन ने अपने समुदाय के लोगों को मिलाकर एक गिरोह बनाया, जिनकी इलाके में दहशत थी, वे पैसे वसूलते थे और अवैध खनन में लिप्त थे.

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सरमन को अंततः 1986 में एक प्रतिद्वंद्वी गिरोह के सदस्यों ने मार गिराया. इस मौत का बदला लेने के लिए ही संतोखबेन ने सरमन मुंजा के भाई भूरा की मदद से उसके गिरोह की कमान संभाली. उसने मुंजा का अवैध कारोबार आगे बढ़ाया और कुछ ही समय में पोरबंदर की निर्विवाद माफिया डॉन बन गई.

इसी दौरान पोरबंदर में कई अन्य गिरोह भी फले-फूले और प्रतिद्वंद्वी गिरोहों के बीच गैंगवार और हत्याएं होना यहां आए दिन का सिलसिला बन गया.

अब, गैंगवार में भले ही कमी आ गई है, लेकिन पूर्व गैंगस्टर्स के कुछ वंशज और करीबी रिश्तेदारों अभी भी इलाके में अपना दबदबा बनाए रखने की कोशिशों में जुटे है और खुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए राजनीति में कदम रख रहे हैं.

कुटियाना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे ऐसे ही एक दबंग नेता हैं कांधलभाई जडेजा. संतोखबेन के पुत्र कांधलभाई अगले महीने होने जा रहे विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर कुटियाना से चुनाव लड़ रहे हैं, जो पोरबंदर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है. पोरबंदर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत छह विधानसभा सीटें आती हैं—गोंडल, जेतपुर, धोराजी, पोरबंदर, मनावदर और केशोद.

कांधलभाई जडेजा की मां संतोखबेन भी कुटियाना से विधायक रही थीं. 1999 में आई फिल्म गॉडमदर में शबाना आजमी ने उन्हीं का किरदार निभाया था. 2011 में संतोखबेन की मृत्यु के बाद बेटे कांधलभाई—जिनके खिलाफ हत्या सहित कई आपराधिक मामले दर्ज हैं—ने उनकी विरासत संभाल ली.

समाजवादी पार्टी के टिकट पर कुटियाना सीट से चुनाव लड़ रहे कांधलभाई जडेजा | फोटो: मौसमी दास गुप्ता | दिप्रिंट

कांधलभाई ने 2012 और 2017 में पिछले दो विधानसभा चुनाव कुटियाना से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के टिकट पर लड़े थे और दोनों में जीत भी हासिल की थी. हालांकि, इस बार एनसीपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, तो वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

कुटियाना के एक दूरवर्ती गांव देवड़ा में चुनाव प्रचार के दौरान दिप्रिंट के साथ बातचीत में जडेजा ने कहा, ‘यह मेरा तीसरा चुनाव है. मेरे क्षेत्र में 102 गांव हैं और उनका विकास मेरी प्राथमिकता है. मेरा मुख्य एजेंडा सड़कों का निर्माण कराना और इस इलाके के लोगों को बिजली और पानी उपलब्ध कराना है.

उनके खिलाफ दर्ज कई आपराधिक मामलों के बारे में पूछे जाने पर जडेजा ने दिप्रिंट से कहा, ‘हाई कोर्ट और सेशन कोर्ट मुझे इन सभी मामलों में क्लीन चिट दे चुकी हैं. मुझे कुछ परेशानी हुई थी लेकिन अब सब ठीक हो गया है. मैंने कभी कोई अपराध नहीं किया है और इसलिए अदालत ने मुझे क्लीन चिट दी है.’

उनके मुताबिक पोरबंदर का आपराधिक इतिहास रहा है, लेकिन अब स्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं.

उन्होंने कहा, ‘पोरबंदर में पहले बहुत अपराध हुआ करते थे. मेरी मां के समय में भी. लेकिन यह सब मेरे जन्म से पहले की बात है. मुझे नहीं पता फिर क्या हुआ. लेकिन अब, मेरे पास अदालतों से क्लीन चिट है. मैं और कुछ नहीं जानता.’

जडेजा के खिलाफ भाजपा की ढेलीबेन ओडेदरा मैदान में हैं. जडेजा के करीबी सहयोगियों ने दिप्रिंट को बताया कि ओडेदरा जडेजा की रिश्तेदार हैं और उनकी मां संतोखबेन की करीबी भी रही हैं. ओडेदरा पिछले 27 सालों से पोरबंदर नगर निगम की अध्यक्ष हैं.

कांग्रेस ने कुटियाना से नाथभाई भूराभाई को मैदान में उतारा है, जबकि यहां आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार भीमाभाई मकवाना हैं.

सिर्फ कुटियाना ही नहीं, जिले की अन्य विधानसभा सीटों पर भी पूर्व गैंगस्टर्स के नाते-रिश्तेदार चुनाव मैदान में हैं.

हालांकि, आम लोग और पुलिस दोनों ने माना कि पोरबंदर में गैंगस्टर्स के दिन बीत चुके हैं, लेकिन क्षेत्र की अन्य समस्याओं पर चिंता जताते हैं, जिसमें पूर्व गैंगस्टरों को संगठित अपराध में लिप्त होना, बढ़ती महंगाई और सार्वजनिक सुविधाओं की कमी आदि शामिल हैं.

इस बार चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के उम्मीदवारों ने विकास को अपने चुनाव अभियान का प्रमुख मुद्दा बनाया है.

आरोप-प्रत्यारोप में उलझे प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार

पोरबंदर विधानसभा क्षेत्र में दो कट्टर प्रतिद्वंद्वियों भाजपा के बाबूभाई बोखिरिया और कांग्रेस के अर्जुन मोडवाड़िया के बीच दिलचस्प मुकाबला हो रहा है.

हालांकि, भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है, लेकिन बोखिरिया गैंगस्टर भीमा दुला ओडेदरा के रिश्तेदार हैं, जो अभी एक दोहरे हत्याकांड के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.

बोखिरिया गुजरात सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं, और पूर्व में चार बार पोरबंदर सीट से जीते हैं. वही मोडवाड़िया दो बार इसी सीट से जीते हैं.

मोडवाड़िया जहां अपने प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी बोखिरिया पर अवैध खनन में शामिल होने का आरोप लगाते हैं, वहीं बोखिरिया गुजरात की पिछली कांग्रेस सरकारों पर पोरबंदर में माफियाओं पर काबू पाने में नाकाम रहने का दोष मढ़ते हैं.

मोडवाड़िया ने दिप्रिंट से कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम पोरबंदर में महात्मा गांधी की तस्वीर रखते हैं, लेकिन उनकी सोच को तो भाजपा ने समुद्र में डुबो दिया है.’

उन्होंने कहा, ‘गैंगस्टर्स को भाजपा का संरक्षण मिलता रहा है. उन्होंने सोचा कि अगर राजनीति में आ गए तो और अधिक लूट पाएंगे. इसलिए वे राजनीति में आ गए. मैदान में मेरे सामने खड़े उम्मीदवार का खनिज माफिया से संबंध हैं.’

उधर, बोखिरिया ने पूर्व में पोरबंदर के आपराधिक इतिहास को लेकर कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया. राज्य में भाजपा 1995 से सत्ता में है.

पोरबंदर से बीजेपी उम्मीदवार बाबूभाई बोखिरिया | फोटो: विशेष प्रबंधन

बोखिरिया ने दिप्रिंट से कहा, ‘1995 से पहले यहां तस्करी का चलन था. अब यह कोई मुद्दा ही नहीं है. एक समय था जब पोरबंदर जेल को बंद करना पड़ा था क्योंकि गैंगस्टर आसानी से अंदर-बाहर होते रहते थे. इससे पता चलता है कि गैंगस्टरों के सामने सरकार भी झुक गई थी.’

उनके मुताबिक कांग्रेस उन्हीं गैंगस्टर्स का सहारा लिया करती थी.

उन्होंने कहा, ‘यह मेरी सरकार (भाजपा सरकार) थी जिसने इस शहर से माफिया का सफाया किया. उन्होंने पूरे सिस्टम में जड़ें जमा रखी थीं, वे राजनीतिक व्यवस्था और प्रशासन के समर्थन से ही फले-फूले. मैंने काफी समय पहले इस इको-सिस्टम को ही भंग कर दिया. एक समय पोरबंदर को तो भारत का शिकागो कहा जाने लगा था, आज यहां राज्य में सबसे कम अपराध दर है. यह अब सही मायने में गांधी का घर है.’

पोरबंदर में अपने चुनाव अभियान में, कांग्रेस और भाजपा दोनों के उम्मीदवार सत्ता में आने पर पुराने तटीय शहर के विकास की बात कर रहे हैं.

मोडवाड़िया ने कहा, ‘गुजरात में पिछले 27 सालों से भाजपा सत्ता में है, उसने पोरबंदर में एक भी सरकारी स्कूल, हाई स्कूल, मेडिकल कॉलेज, अस्पताल, नया बंदरगाह या हवाई अड्डा नहीं बनाया. उनके नेताओं ने अपने लिए फार्महाउस और बड़े-बड़े घर बना लिए. वहीं, गरीब और गरीब होते चले गए.’

मोडवाड़िया ने 330 यूनिट तक मुफ्त बिजली, बुजुर्ग महिलाओं को 300 रुपये पेंशन और बालिकाओं को मुफ्त शिक्षा समेत कई लोकलुभावने वादे किए हैं.

वहीं, बोखिरिया ने भी कहा कि वह विकास के लिए वोट मांग रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘95 से पहले माफियाओं का राज था और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, पेयजल, बिजली जैसी सुविधाएं नहीं थीं. हमने नालियां बनवाई हैं. अब जबकि सरकार ने गांवों को जोड़ने वाली सड़कें बनवा दी है, मेरा काम है कि मैं गांवों के भीतर सड़कें बनवाऊं.’


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‘गैंगवार खत्म, लेकिन गैंगस्टर संगठित अपराध की ओर मुड़े’

पोरबंदर में तैनात रह चुके एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि 1995 के मध्य में छबीलदास मेहता के नेतृत्व वाली तत्कालीन जनता दल-कांग्रेस गठबंधन सरकार ने गैंगस्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का फैसला किया और पुलिस को पोरबंदर में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति पर काबू पाने के लिए खुली छूट दी. सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि इसके बाद पुलिस और प्रशासन ने इस काम को बखूबी अंजाम भी दिया.

मेहता ने तत्कालीन मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता चिमनभाई पटेल की मृत्यु के बाद सीएम की कुर्सी संभाली थी.

अधिकारी ने कहा, ‘एक समय था जब संतोखबेन जडेजा के बेटों में से एक की शादी हो रही थी और लगभग पूरा गुजरात कैबिनेट विवाह समारोह में शामिल था. नेताओं और गैंगस्टरों का गठजोड़ इतना मजबूत था. गैंगस्टर राजनीतिक संरक्षण के कारण ही फले-फूले थे.’

जिला प्रशासन के एक सेवारत अधिकारी ने यह तो माना कि गैंगस्टर्स को कमजोर कर दिया गया है, लेकिन दावा किया कि उनमें से कुछ अवैध चूना पत्थर खनन, बंदरगाहों का कांट्रैक्ट, परिवहन अनुबंध आदि से जुड़े संगठित अपराधों की तरफ मुड़ गए हैं.’

अधिकारी ने आगे कहा, ‘हम अवैध खदानों पर छापे मारते रहे हैं और इसमें शामिल लोगों को दंडित किया जाता है.’

‘पोरबंदर अब शांतिपूर्ण, लेकिन महंगाई, बेरोजगारी परेशान कर रही’

उन्होंने कहा कि पोरबंदर के लोगों को अब रात में बाहर निकलने से पहले दो बार सोचना नहीं पड़ता है, हालांकि, लगातार बढ़ती महंगाई और बंदरगाह शहर में नौकरियों की कमी जैसे मुद्दे जरूर उनकी चिंता के विषय बने हुए हैं.

पोरबंदर के माणेक चौक क्षेत्र में तीसरी पीढ़ी के व्यवसायी जगदीश पटेल ने दिप्रिंट को बताया कि बंदरगाह शहर के व्यापारी अब सुरक्षित हैं.

तीसरी पीढ़ी के व्यवसायी जगदीश पटेल अपनी दुकान में | फोटो: मौसमी दास गुप्ता | दिप्रिंट

उन्होंने कहा, ‘अब गैंगस्टर तो मौजूद नहीं हैं. लेकिन महंगाई हमें परेशान कर रही है.

माणेक चौक इलाके में फूल बेचने वाले संजय बामनिया को लगता है कि महंगाई तो कम होने से रही. उनका कहना है, ‘लेकिन सरकार को कुछ भी मुफ्त बांटने के बजाये कर लगाने की जरूरत है. हमने देखा कि श्रीलंका में क्या हुआ. वहां राष्ट्रपति को क्यों भागना पड़ा?’

पोरबंदर के मानेक चौक इलाके में फूल बेचने वाले संजय बामनिया | फोटो: मौसमी दास गुप्ता | दिप्रिंट

पोरबंदर के पुराने निवासी इस बात से जरूर सहमत हैं कि अब का पोरबंदर पहले के पोरबंदर से बहुत अलग है.

पोरबंदर में रहने वाले ख्यात गुजराती लेखक नरोत्तमभाई पालन ने दिप्रिंट को बताया, ‘गैंगस्टर ज्यादातर दो समुदायों से आते थे, एक मेर जो कृषक समुदाय से आते हैं, और दूसरे खरवास, जो मछुआरे हैं. भाजपा के सत्ता में आने के बाद धीरे-धीरे गैंगवार खत्म हुआ. शहर में अब कानून व्यवस्था की स्थिति काफी अच्छी है. कोई भी देर शाम बिना किसी डर के आसानी से घूम सकता है.’

(अनुवाद: रावी द्विवेदी)

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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