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‘हम नहीं चाहते कि भगवान राम किसी विवाद का हिस्सा बनें’- मंदिर पर कांग्रेस के रुख को दिग्विजय ने स्पष्ट किया

दिप्रिंट को दिए एक खास इंटरव्यू में, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राम मंदिर के समर्थन का बचाव किया और राजीव गांधी की विरासत व गांधी परिवार के प्रति वफादारी पर बात की.

फाइल फोटो: नई दिल्ली में हुए ऑफ द कफ कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह | दिप्रिंट

नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विज सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर अपनी पार्टी के रुख का बचाव किया और कहा कि कांग्रेस नहीं चाहती कि ‘राम मंदिर दो दलों के बीच विवाद का मुद्दा बने’.

दिप्रिंट को दिए एक खास इंटरव्यू में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मंदिर निर्माण के प्रति अपने समर्थन को लेकर कांग्रेस हमेशा स्पष्ट रही है.

सिंह ने कहा, ‘धर्म एक बहुत निजी चीज़ है. आप इसके अंदर सियासत क्यों लाना चाहते हैं? ये निजी आस्था का मामला है. मैं अभ्यास से एक हिंदू हूं, जिसका सनातन धर्म में विश्वास है’.

उन्होंने ये भी कहा, ‘हम नहीं चाहेंगे कि भागवान राम किसी विवाद में शामिल हों’.

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हाल ही में कांग्रेस पर आरोप लगाए गए थे कि खुद को राम मंदिर के समर्थक के तौर पर आगे बढ़ाकर, वो बीजेपी की नकल कर रही है. ये खासकर तब हुआ जब पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ये कहते हुए भूमि पूजन का समर्थन किया कि उन्हें उम्मीद है कि ये समारोह ‘राष्ट्रीय एकता का अवसर’ बनेगा.

सोशल मीडिया पर बहुत से लोगों ने, जिनमें एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल थे, ये कहते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा कि उसने ‘हिंदुत्व की कट्टर विचारधारा को गले लगा लिया है’.

लेकिन सिंह ने इन सब आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हर किसी ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान लिया था. 9 नवम्बर को सुनाए अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया और कहा कि विवादित जगह हिंदुओं की है.

उन्होंने कहा, ‘एक बार जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि एक राम मंदिर बनना चाहिए तो हम सबने उसे मंज़ूर किया, यहां तक कि मुसलमानों ने भी उसे मंज़ूर किया’.

सिंह ने आगे कहा, ‘ये देश भारतीय संविधान से चलता है, जो हर भारतीय नागरिक को अपने विश्वास के हिसाब से, धर्म के पालन का आधिकार देता है’.

‘जिसने भी अपराध किया उसे सज़ा मिलनी चाहिए’

जहां उन्होंने ‘हिंदुत्व की राजनीति’ करने के आरोपों पर पार्टी का बचाव किया, वहीं सिंह ने ये भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस ने 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने का समर्थन नहीं किया था.

सिंह ने कहा, ‘अगर आप एससी के आदेश को पढ़ें तो उसमें कहा गया है कि बाबरी मस्जिद का गिराया जाना एक आपराधिक कार्य था. कोर्ट ने उस विध्वंस में शामिल लोगों के खिलाफ, त्वरित मुकदमा चलाने की भी सिफारिश की है’.

उन्होंने ये भी कहा कि राम मंदिर के समर्थन में कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता की अपनी लड़ाई में, कहीं से भी नाकाम नहीं हुई है.

राज्य सभा सांसद ने 1990 के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन के नतीजे में हुई हिंसक घटनाओं की भी निंदा की.

6 दिसम्बर को बाबरी मस्जिद गिराए जाने के एक हफ्ते के बाद, 1992-93 के मुम्बई दंगे फूट पड़े थे. उन दंगों में कथित रूप से लगभग 900 लोग हलाक हुए और 2,000 से अधिक घायल हुए.

सिंह ने कहा, ‘जिस तरह उसे हैंडल किया गया, वो बहुत ही खराब था. लेकिन एससी के आदेश के बाद, सबने उसे मान लिया है. इसलिए हम नहीं चाहेंगे कि हमारे भगवान राम किसी विवाद में लिप्त हों’.

विध्वंस की ओर इशारा करते हुए उन्होंने ये भी कहा,’जिस किसी ने भी किसी अपराध को अंजाम दिया है, उसे सज़ा मिलनी चाहिए’.

बीजेपी नेता एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के खिलाफ, बाबरी मस्जिद गिराए जाने से जुड़ा 28 साल पुराना अपराधिक मुकदमा, अभी भी लखनऊ की एक विशेष अदालत में चल रहा है.


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‘भूमि पूजन का समय अशुभ’

राम मंदिर के स्पष्ट समर्थन के बावजूद, सिंह ने पिछला हफ्ता भूमि पूजन समारोह के विरोध में बिताया है. उनका एतराज़ इस बात को लेकर है कि समारोह का समय ‘अशुभ’ है.

सिंह ने कहा, ‘सबसे वरिष्ठ शंकराचार्यों ने जिनमें मेरे गुरू स्वामी स्वरूपानंद जी भी शामिल हैं, इस समारोह के समय को लेकर एक बुनियादी सवाल उठाया है. चतुर मास कहे जाने वाले चार महीनों में, मंदिर निर्माण या धार्मिक गतिविधि से जुड़ा कोई भी कार्य अंजाम नहीं दिया जा सकता. वरिष्ठ धर्मगुरू इस अवधि के दौरान अपनी जगह को नहीं छोड़ते’.

सोमवार को अपने सिलसिलेवार ट्वीट्स में उन्होंने ‘सनातन धर्म के उल्लंघन’ के लिए भी बीजेपी पर निशाना साधा और ये भी इशारा किया कि इस उल्लंघन की वजह से, बीजेपी नेता कोरोनावायरस से संक्रमित हो रहे हैं. सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह का कोविड-19 टेस्ट पॉज़िटिव आया था.

सिंह ने पूछा, ‘पंडितों से विचार विमर्श के बाद, इसे किसी उचित समय पर किया जा सकता था, वाराणसी के पंडितों से भी बात की जा सकती थी, जो पीएम मोदी की अपनी चुनावी सीट है, ऐसी जल्दी क्या थी?’

लेकिन उन्होंने इस बात को दोहराया कि राम मंदिर के निर्माण पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है और ये भी कहा कि वो तो इसके समर्थन में हैं.

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं अपने विरोधियों को चुनौती देता हूं, कि मेरा कोई एक बयान दिखा दें जिसमें मैंने राम मंदिर निर्माण के खिलाफ कुछ कहा हो. बल्कि मैं तो इस निर्माण का समर्थक रहा हूं’.

सिंह ने भूमि पूजन समारोह में आमंत्रित लोगों की सूची पर एतराज़ जताया. कई दूसरे सीनियर कांग्रेसी नेताओं ने भी, पार्टी नेतृत्व को आमंत्रित न करने के लिए, बीजेपी की आलोचना की और कहा कि उसने इसे मुख्य रूप से एक बीजेपी-आरएसएस आयोजन बना दिया है.

सिंह ने कहा, ‘उस मंच पर (आरएसएस प्रमुख) मोहन भागवत क्या कर रहे हैं? उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया कि वहां मौजूद हों’.


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राजीव गांधी की विरासत

सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की विरासत पर भी बात की, जब उन पर आरोप लगे थे कि 1986 में हिंदुओं की पूजा के लिए मस्जिद के दरवाज़े खुलवाकर उन्होंने बाबरी मस्जिद गिराए जाने का रास्ता साफ किया था.

सिंह ने पहले ये कहा था कि गांधी भी चाहते थे कि वहां पर मंदिर बने.

सिंह ने कहा, ‘राजीव गांधी की भरसक कोशिश थी कि अदालत के बाहर ही कोई समझौता हो जाए. और वो काफी हद तक कामयाब भी रहे. नरसिम्हा राव ने भी तमाम शंकराचार्यों और धर्मगुरुओं को एक जगह लाने की पूरी कोशिश की’.

सिंह ने आगे कहा कि ‘वो (राव) चाहते थे कि मंदिर निर्माण का कार्य, धार्मिक नेताओं के हाथों किया जाए, न कि राजनीतिक नेताओं के’.

बाबरी मस्जिद उस समय गिराई गई जब राव प्रधानमंत्री थे. कांग्रेस उसके बाद 1996 में हुए लोकसभा चुनाव हार गई और इस हार के लिए कुछ हद तक, राव के मस्जिद न बचा पाने को ज़िम्मेदार माना जाता है.

इसलिए बहुत से लोगों ने सवाल उठाए हैं कि राम मंदिर का समर्थन, क्या कांग्रेस पार्टी को कोई चुनावी फायदा पहुंचाएगा.

लेकिन सिंह ने कहा कि उनके लिए ये राजनीति की बात नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘मैं धर्म और राजनीति को अलग रखता हूं. मैं सीएम था तब भी मैंने किसी को धार्मिक कट्टरवाद करते देखा…मैंने उनके खिलाफ कार्रवाई की है, भले ही उनका ताल्लुक किसी भी धर्म से हो’.


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गांधी-नेहरू परिवार से निष्ठा पर कोई ‘समझौता नहीं’

कांग्रेस जिन मुसीबतों में घिरी है उनके बीच पिछले सप्ताह युवा और पुराने नेताओं के बीच एक नई रस्साकशी शुरू हो गई. कांग्रेस सांसद राजीव सातव, जिन्हें राहुल गांधी का करीबी माना जाता है, ने 2014 और 2019 में हुई चुनावी हार के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की दो क्रमिक सरकारों को ज़िम्मेदार ठहरा दिया.

लेकिन सिंह ने इस बात से इनकार किया कि पार्टी के अंदर ऐसा कोई झगड़ा है.

सिंह ने कहा, ‘कोई भी कांग्रेसी कभी भी नेहरू-गांधी परिवार के खिलाफ नहीं जाएगा. इस परिवार ने नेहरू से लेकर यूपीए 1 और 2 तक, देश की भरपूर सेवा की है’.

सिंह ने ये भी कहा, ‘कोई भी कांग्रेसी नेहरू-गांधी परिवार की निष्ठा के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

1 टिप्पणी

  1. 14और 19 घोषणा पत्र में आखिर में एक लाईन में राममंदिर का मुद्दा रखा था। मोदी अध्यादेश भी नहीं लाए।SC ने निर्णय किया

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