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कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने से ‘विश्वासघात’ महसूस कर रहे हैं CPI नेता

भाकपा महासचिव डी राजा ने कहा कि कन्हैया कुमार का कदम उनकी महत्वाकांक्षा का परिणाम था.

28 सितंबर को कांग्रेस में शामिल हुए कन्हैया कुमार | मनीषा मोंडल | दिप्रिंट

नई दिल्ली: भाकपा की राष्ट्रीय परिषद की चार अक्टूबर को समाप्त हुई तीन दिवसीय बैठक में कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने के मुद्दे पर औपचारिक रूप से चर्चा नहीं हुई. लेकिन सूत्रों ने संकेत दिया कि पार्टी नेताओं को उनके इस कदम से ‘विश्वासघात’ महसूस हुआ.

सूत्रों ने कहा कि नेताओं ने महसूस किया कि कुमार को सीधे राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल कर विशेष रूप से भाकपा के भीतर पदोन्नत किया गया था. तीन दिवसीय बैठक में भाग लेने वाले कई नेताओं ने टिप्पणी की कि उनका कांग्रेस में शामिल होना ‘कोई आश्चर्य की बात नहीं है’ और यह ‘अवसरवाद’ को दर्शाता है.

भाकपा महासचिव डी राजा ने कहा, ‘कन्हैया पर कोई चर्चा नहीं हुई. पार्टी के सहयोगियों द्वारा भाकपा छोड़ने के बारे में कुछ टिप्पणी की गई थी. बस. जैसा कि मैंने पहले कहा, कुमार का कदम उनकी महत्वाकांक्षा का परिणाम था. कोई वैचारिक राजनीतिक प्रतिबद्धता नहीं है. उनके पार्टी छोड़ने से विश्वासघात की भावना पैदा हुई है क्योंकि हमने उन्हें हर मौका दिया था. वह सीधे राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हुए, विधानसभा चुनाव लड़ा.’


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