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खाली करना होगा चिराग पासवान को उनके पिता को आवंटित बंगला, बेदखल करने के लिये सरकार ने भेजी टीम

रामबिलास पासवान करीब तीन दशक तक 12-जनपथ स्थित बंगले में रहे थे. ये बंगला केंद्रीय मंत्रियों के लिए निर्धारित है और सरकारी आवास में रहने वालों को इसे खाली करने के लिए कहा गया है.

रामबिलास पासवान/पीटीआई

नई दिल्ली: लोकसभा सांसद चिराग पासवान अब 12 जनपथ पर  उनके पिता दिवंगत रामविलास पासवान को आवंटित बंगले में नहीं रह सकेंगे. केंद्र सरकार ने उस बंगले से बेदखल करने के लिए बुधवार को एक टीम भेजी.

एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाले संपदा निदेशालय ने पिछले साल चिराग पासवान को जारी बेदखली के आदेश को अमल में लाने के लिए अधिकारियों की टीम को जनपथ रोड स्थित बंगले पर भेजा है.

अधिकारियों ने कहा कि 12-जनपथ बंगला केंद्रीय मंत्रियों के लिए निर्धारित है और सरकारी आवास में रहने वालों को इसे खाली करने के लिए कहा गया है.

बता दें कि इससे पहले 2021 सितंबर में भी सरकार ने इसे खाली करने का आदेश दिया था, उस समय चिराग पासवान ने बंगले को स्मारक घोषित करने के लिहाज से प्रांगण में स्टैचू लगा दिया था.

बता दें कि रामबिलास पासवान करीब तीन दशक तक इस बंगले में रहे थे. उनके निधन के बाद केन्द्र सरकार ने इस बंगले का आबंटन रद्द करके इसे खाली करने का नोटिस उनके परिवार को दिया. लेकिन उस दौरान सरकारी आवास खाली तो नहीं हुआ, लेकिन उसमें दिवंगत दलित नेता की प्रतिमा स्थापित कर दी गई थी.

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इस बंगले में रामविलास पासवान की प्रतिमा स्थापित किये जाने का मंतव्य स्पष्ट था कि इसे खाली करने की बजाए एक स्मारक बनाया जाये.

यह घर लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) का आधिकारिक पता रहा है, जो अब पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच दो गुटों में विभाजित हो गयी है.

इसका उपयोग पार्टी की संगठनात्मक बैठकों और अन्य संबंधित कार्यक्रमों के आयोजन के लिए नियमित रूप से किया जाता था.


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