नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर हो रही उठापटक के बीच बुधवार को एनसीपी के नेता शरद पवार ने प्रेस कांफ्रेंस की. पवार ने कहा कि राज्य में भाजपा और शिवसेना को सरकार बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि एनसीपी और कांग्रेस पार्टी विपक्ष की भूमिका निभाएगी.
पवार ने कहा कि शिवसेना और एनसीपी की सरकार बनने का कहां से सवाल आ गया है. भाजपा-शिवसेना पिछले 25 सालों से एकसाथ है. आज या कल वो फिर से एक साथ आ जाएंगे. पवार ने कहा कि लोगों ने भाजपा और शिवसेना को बहुमत दिया है. इसलिए उन्हें जल्द से जल्द सरकार बनानी चाहिए. हमें विपक्ष में रहना का जनादेश मिला है.
पवार ने कहा कि भाजपा और शिवसेना को मिलकर इस स्थिति से बाहर निकलने की कोशिश करनी चाहिए और मिलकर सरकार बनानी चाहिए. राष्ट्रपति शासन से बचने के लिए और कोई विकल्प नहीं है.
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राज्य का मुख्यमंत्री बनने को लेकर पवार ने कहा, ‘मुझे मुख्यमंत्री बनने की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है.’
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पवार ने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों की मदद करनी चाहिए. जिन किसानों की बारिश से फसलें बर्बाद हुई है उनकी मदद की जानी चाहिए. वित्त मंत्रालय को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए.
बता दें कि पिछले दिनों शरद पवार ने दिल्ली में कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी. महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर हो रहे घटनाक्रम के बारे में दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी.
प्रेस कांफ्रेंस में पवार ने कहा कि मैंने सारी स्थितियों के बारे में सोनिया गांधी को जानकारी दी है.
संजय राउत की पवार से हुई थी मुलाकात
वहीं सरकार गठन को लेकर जारी खींचतान के बीच शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार से बुधवार को मुलाकात की. राउत ने मुलाकात के बाद कहा, ‘यह एक शिष्टाचार भेंट थी.’
संजय राउत से मुलाकात पर शरद पवार ने कहा, ‘उन्होंने मुझसे आज मुलाकात की और आगामी राज्यसभा सत्र के बारे में हमारी बातचीत हुई. काफी सारे मुद्दे हैं जिनपर हमारे एक जैसे स्टैंड हैं उसपर भी बात हुई है.’
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भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान जारी है.
पिछले विधानसभा चुनाव के विपरीत भाजपा और शिवसेना ने यह चुनाव मिलकर लड़ा था. 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने इस बार 105 सीटें जीतीं जबकि शिवसेना 56 सीटों पर विजेता रही.
राज्यसभा सदस्य राउत ने पहले कहा था कि उनकी पार्टी ढाई-ढाई वर्ष के लिए मुख्यमंत्री पद साझा करने सहित सत्ता के बंटवारे को लेकर भाजपा से लिखित आश्वासन चाहती थी.
उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद साझा करने को लेकर चुनाव से पहले ही ‘सहमति’ हो गई थी. लेकिन भाजपा ने कहा है कि इस तरह की कोई भी बात शिवसेना से नहीं हुई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)