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राज्यसभा में बहस, भाजपा सभी चुनाव एक साथ कराने तो विपक्ष ईवीएम हटाने पर अड़ा

भाजपा के सांसद भूपेंद्र यादव ने कहा कि अगर पंचायती चुनाव, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव एक साथ होंगे तो सबसे ज्यादा आम लोगों को होगा.

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भारतीय संसद.

नई दिल्ली: चुनाव सुधार को लेकर बुधवार को राज्यसभा में हुई बहस में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने हिस्सा लिया. चर्चा के दौरान जहां बीजेपी का जोर एक देश, एक चुनाव पर था वहीं विपक्ष चुनावी फंड को मुुुद्दा बनाते हुए ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने पर जोर दिया.

राज्यसभा में चर्चा के दौरान राजस्थान से भाजपा के राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव ने ‘एक देश एक चुनाव’ पर आवाज उठाते हुए कहा, ‘अगर चुनाव एक साथ होते हैं तो चुनावी खर्चा कम कम होगा. सभी पार्टियों को इस मुद्दे पर एक साथ आना चाहिए. अगर सभी चुनाव एक साथ होंगे तो उसका सबसे बड़ा लाभ आदमी को ही होगा. सत्ता पक्ष और विपक्ष को पांच साल में एक चुनाव का चक्र स्थापित करके देश को विकास को आगे ले जाना होगा.’


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उन्होंने आगे कहा, ‘पहले चुनावी प्रक्रिया जटिल और लंबी होती थी. अब ईवीएम से ये प्रक्रिया आसान हुई है. हमें चुनावी प्रक्रिया और आसान बनाने के लिए अब एक ही वोटर लिस्ट लानी चाहिए. मतलब कि राज्य और केंद्रीय स्तर पर एक ही वोटिंग लिस्ट हो. इसके अलावा ईवीएम की पद्धति को मजबूत करना चाहिए. इलेक्ट्रोरल बॉन्ड में पारदर्शिता होनी चाहिए.’

2019 लोकसभा चुनाव में खर्च हुए पैसों की जिक्र करते हुए कांग्रेसी नेता कप्पिल सिब्बल ने कहा, ‘एक प्राइवेट संस्था सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस चुनाव में जितना पैसा खर्च हुआ वो इतिहास में सबसे महंगे चुनाव के रूप में दर्ज हुआ है. इसके मुताबिक इस चुनाव में खर्च हुए 60 हजार करोड़ में से लगभग 27 हजार करोड़ भाजपा ने खर्च किए. जो कालेधन को वापस लाने की बात कहकर आए थे वो जनता को बताएं कि ये पैसा आया कहां से और इसे कौन लाया. आप हिसाब लगाए कि 2024 के चुनाव में कितना खर्च होगा.’

उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा, ‘वोटर्स को लुभाने के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया गया है. हफिंगटन पोस्ट के मुताबिक सोशल मीडिया पर भाजपा ने 1.3 करोड़ रुपए आधिकारिक रूप से खर्च किए हैं तो 4.5 करोड़ रुपए अनाधिकारिक रुप से. इसके अलावा 18.3 करोड़ रुपए गूगल पर खर्च किए गए. आधार से लेकर ईवीएम तक, मिसिंग प्लेन्स से लेकर मिसिंग रोजगार का डेटा, अर्बन नक्सल, जेएनयू और लव जेहाद, हिंदू खतरे में हैं जैसे मुद्दे बनाए गए.’

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उत्तर प्रदेश से एसपी सांसद रामगोपाल यादव ने ईवीएम की गड़बड़ी को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि जनता का भरोस ईवीएम से उठ चुका है इसलिए हमें बैलेट पेपर पर वापस आना चाहिए. लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि ग्राम पंचायत वोटर लिस्ट ही विधानसभा और लोकसभा की लिस्ट होनी चाहिए.


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वो आगे जोड़ते हैं, ‘चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर पोस्टर छपते हैं. उसका खर्चा भी और हेलिकॉप्टर व हवाई जहाजों का खर्चा भी उम्मीदवार के खर्चे में जुड़ना चाहिए.’

पार्टियों में चलने वाले परिवारवाद और तानाशाही के मुद्दे पर ओडिशा से बीजेडी सांसद प्रसन्न आचार्य ने कहा, ‘हम लोकतंत्र की बात करते हैं. वह चाहते हैं कि स्वतंत्र संस्थाओं को पार्टियों के अंदर होने वाले चुनावों का जिम्मा दिया जाए.’

वहीं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष को जवाब देते हुए ईवीएम पर उठाए जा रहे सवाल को बेमानी बताया. उन्होंने केरल सहित दक्षिण के कई राज्यों और जहां बीजेपी की सरकार नहीं बन पाई का हवाला देते हुए कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव होती ते वह वहां भी चुनाव जीत जाते. साथ ही एक देश, एक चुनाव को वर्तमान हालात में जरूरी बताते हुए इस पर सभी पार्टियों से एकमत होने की अपील की.

 

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