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निकाय चुनावों से पहले उद्धव सरकार ने अपनी ‘2 साल की उपलब्धियों’ के विज्ञापनों के लिए बनाया 16.5 करोड़ रुपये का बजट

यह प्रचार अभियान मुंबई, पुणे, नागपुर और नासिक सहित 10 नगर निकाय चुनावों से पहले किया जाने वाला है.अधिकारियो का कहना है कि नवंबर में अपनी दूसरी वर्षगांठ पर सरकार ने बहुत अधिक प्रचार नहीं किया था अब होगा.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की फाइल फोटो | ANI

मुंबई: राजधानी मुंबई सहित महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों में होने वाले निकाय चुनावों से पहले, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने विभिन्न मीडिया चैनलों के माध्यम से अपनी उपलब्धियों के बारे में बात करते हुए एक विज्ञापन ब्लिट्जक्रेग (धुआंधार प्रचार) की योजना बनाई है.

राज्य सरकार ने जनवरी और मार्च 2022 के बीच सोशल मीडिया, ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म, एफएम रेडियो चैनल, समाचार पत्र, आउटडोर होर्डिंग्स और निजी टेलीविजन चैनलों जैसे विभिन्न मीडिया माध्यमों में इन विज्ञापनों को जारी करने के लिए 16.53 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है.

इस ‘महा’ प्रचार अभियान का समय राज्य के प्रमुख शहरों- मुंबई, पुणे, नागपुर और नासिक- सहित दस नगर निगमों के चुनावों के साथ मेल खाता है. ये चुनाव इस साल की शुरुआत में ही होने हैं.

महाराष्ट्र सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय (डीजीआईपीआर) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि महा विकास अघाड़ी सरकार ने मुख्य रूप से दो वर्षों में हासिल की गई अपनी उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए इस प्रचार अभियान की योजना बनाई है. शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के गठबंधन से मिलकर बनी एमवीए ने पिछले साल 28 नवंबर को सत्ता में अपने दो साल पूरे कर लिए थे.

इस वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस सरकार के दो साल पूरे होने पर समाचार पत्रों में दिए गए एक विज्ञापन को छोड़कर हमारे पास कोई बड़ा प्रचार कार्यक्रम नहीं था. पहले वर्ष के दौरान भी, विज्ञापन और प्रचार पर किया गया अधिकांश खर्च कोविड -19 महामारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए ही किया गया था और हमने राज्य सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों के प्रचार-प्रसार पर कोई ज्यादा खर्च नहीं किया था.‘

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उन्होंने आगे कहा, ‘अगर आप पिछली सरकार के पांच वर्षों को देखें, तो उन्होंने अपने प्रचार अभियानों पर सैकड़ों करोड़ खर्च किए थे. यहां, हम कम-से-कम संभव लागत पर राज्य सरकार के संदेश को विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.‘


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दूरर्दशन पर दिखाई जाएगी डॉक्यूमेंट्री, मराठी टीवी चैनलों पर होगा इंटरव्यू

सामान्य प्रशासन विभाग – जिसके तहत डीजीआईपीआर गठित किया गया है – द्वारा प्रकाशित एक सरकारी प्रस्ताव के अनुसार, जब एमवीए सरकार ने सत्ता में दो साल पूरे किए थे तब डीजीआईपीआर ने महाराष्ट्र के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी करने के लिए 16.53 करोड़ रुपये के बजट में से 4 करोड़ रुपये खर्च किए थे.

अब, राज्य सरकार ने नए प्रिंट और दृश्य-श्रव्य (ऑडियो विसुअल ) रचनात्मक विज्ञापन (क्रिएटिव) तैयार करने और पुराने विज्ञापनों को अपडेट करने के लिए 1.45 करोड़ रुपये अलग से रखे हैं, जिन्हें सोशल मीडिया, टेलीविजन चैनलों, रेडियो आदि पर प्रसारित किया जा सकता है.

डीजीआईपीआर ने महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में करीब एक हजार होर्डिंग्स द्वारा राज्य सरकार के प्रमुख लोकलुभावन फैसलों को दर्शाने के लिए 4.05 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है, जो इस अभियान के लिए आवंटित कुल बजट का लगभग एक चौथाई है.

इसके अलावा, इसी महीने, राज्य सरकार डीजीआईपीआर की विज्ञापन और दृश्य प्रचार सूची में शामिल निजी मराठी टेलीविजन चैनलों पर विज्ञापनों के साथ-साथ कई साक्षात्कार भी प्रसारित करेगी. इसके लिए ने 2.6 करोड़ रुपये अलग रखे हैं.

राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में थिएटर और नुक्कड़ नाटकों को आयोजित करने हेतु अलग से 1.3 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जबकि महाराष्ट्र सरकार दूरदर्शन और सह्याद्री टेलीविजन चैनलों पर अपने प्रमुख विकास कार्यों पर आधारित एक वृत्तचित्र (डॉक्यूमेंट्री) भी प्रसारित करने की योजना बना रही है, जिस पर 80 लाख रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है. यह डॉक्यूमेंट्री इस साल जनवरी से मार्च तक हर हफ्ते में एक बार दिखाई जाएगी.

डीजीआईपीआर ने राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में ‘अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों’ (एफ ए क्यू) का उत्तर देने के लिए एक चैटबॉट तैयार करने हेतु 30 लाख रुपये और दो सूचना पुस्तिकाओं को प्रकाशित करने के लिए 40 लाख रुपये का बजट भी सुरक्षित रखा है – एक पुस्तिका इसके द्वारा पूरे महाराष्ट्र में किये गए काम पर आधारित होगी, जबकि दूसरी पुस्तिका मुंबई में किये गए काम पर केंद्रित होगी. इसके अतिरिक्त, कुल अभियान बजट के एक हिस्से के रूप में, डीजीआईपीआर ने सोशल मीडिया, सामुदायिक रेडियो चैनलों, एफएम रेडियो चैनलों, ओटीटी प्लेटफार्मों आदि पर विज्ञापन के लिए अलग से कुछ धनराशि भी निर्धारित की है.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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