होम राजनीति ममता ने कहा, अजमेर-पुष्कर रेलवे उनका ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ था, लेकिन UPA ने...

ममता ने कहा, अजमेर-पुष्कर रेलवे उनका ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ था, लेकिन UPA ने विरोध किया, इसे ‘सांप्रदायिक’ बताया

यूपीए-2 सरकार में रेल मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान बंगाल की मुख्यमंत्री ने राजस्थान के दो मंदिरों के बीच रेल लाइन को मंजूरी दी थी. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उनका आरोप 'सिर्फ कोरी कल्पना है'.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी | ANI

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को दावा किया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में अजमेर और पुष्कर को रेल नेटवर्क के जरिए जोड़े जाने वाले उनके ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ को ‘सांप्रदायिक’ करार दिया था.

उन्होंने यूपीए-2 सरकार में रेल मंत्री के रूप में 2010-11 के लिए पेश किए गए बजट में रेलवे लाइन का प्रस्ताव दिया था. उन्होंने अजमेर के लिए एक रेलवे टर्मिनल को भी मंजूरी दी. परियोजना पर काम 2010-11 में ही शुरू हो गया था.

बंगाल की सीएम की टिप्पणी, मंगलवार को राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह और पुष्कर की उनकी निर्धारित यात्रा से एक दिन पहले आई है. इस पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इसे उन्होंने ‘गलत’ और उनकी ‘कल्पना’ का एक हिस्सा बताया.

ममता जी-20 पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के लिए सोमवार को दिल्ली पहुंचीं थीं. कोलकाता हवाई अड्डे से निकलने से पहले उन्होंने प्रेस के साथ बातचीत करते हुए रेल प्रोजेक्ट और अपनी योजनाओं के बारे में बात की.

उन्होंने कहा, ‘ यह मेरी एक काफी पुरानी इच्छा (अजमेर और पुष्कर जाने की) रही है. मैं हमेशा पुष्कर और अजमेर को जोड़ना चाहती थी. यह मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट था.’ उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इसे लागू करते समय उन्हें कुछ प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

ममता ने आगे बताया, ‘पूर्व रेल मंत्रालय, मेरे अपने विभाग और सरकार ने इस परियोजना को सांप्रदायिक कहा था. मैंने उनसे सवाल किया कि वे इसे सांप्रदायिक क्यों कह रहे हैं, क्या इसलिए, क्योंकि मैं दो समुदायों के दो धर्मस्थलों – हिंदू और मुस्लिम को जोड़ने की कोशिश कर रही थी? दोनों ही पवित्र स्थान हैं और बड़ी संख्या में हिंदू अजमेर शरीफ दरगाह में नमाज अदा करने आते हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘ लेकिन मैंने परियोजना को जारी रखने का फैसला किया. मैंने उनसे (सरकार) कहा कि अगर वे इसे सांप्रदायिक के रूप में देखते हैं, तो ऐसा ही सही. लेकिन मैं प्रोजेक्ट करूंगी.’

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख के अनुसार, रेल मंत्रालय ने परियोजना को पूरी तरह से वित्तपोषित किया था. उन्होंने कहा, ‘तब से मेरी दोनों जगहों की यात्रा करने की इच्छा रही है. हाल ही में अजमेर दरगाह के कुछ लोग मुझसे मिलने आए और मुझे अपने घर आने का न्यौता दिया. इसलिए, मैं कल वहां जाऊंगी.’


यह भी पढ़ें: बिहार के स्टार्ट-अप किंग दिलखुश कुमार ‘रोडबेज़’ के जरिए कैसे छोटे शहरों में ला रहे बदलाव


‘ममता की कल्पना’

इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने दावा किया कि यूपीए-2 के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को लेकर ममता ने कभी भी ‘असुविधा’ महसूस नहीं की. और परियोजना पर ‘सांप्रदायिक’ कहने वाली जैसी कोई टिप्पणी नहीं की गई थी.

संचार के प्रभारी पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ममता का बयान ‘कोरी कल्पना है और विश्वास से परे है.’ रमेश तब पर्यावरण मंत्री थे, जब उन्होंने प्रोजेक्ट का प्रस्ताव दिया था.

कैबिनेट में ममता के अन्य पूर्व सहयोगियों में से एक और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि उन्होंने जो टिप्पणी की वह ‘गलत’ नजर आ रही है.

पूर्व विदेश मंत्री ने दिप्रिंट को बताया, ‘उन्होंने यूपीए-2 के बारे में जो टिप्पणी की है, वह सटीक नहीं लगती. मुझे उनके साथ सरकार में काम करने का मौका मिला था और वह हमेशा एक ऊर्जावान, आगामी और धर्मनिरपेक्ष पॉलिटिशियन के रूप में सामने आईं. उन्होंने तब सरकार की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति के बारे में कभी भी कोई चिंता या असुविधा का उल्लेख या जिक्र नहीं किया था.’

उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इन दोनों जगहों को जोड़ने के बारे में उनकी मंशा पर किसी ने सवाल उठाया होगा, कम से कम सरकार में तो ऐसा किसी ने नहीं किया था.

उन्होंने कहा, ‘हमें नहीं पता कि वह यहां क्या बताने की कोशिश कर रही हैं, हो सकता है ये उनका उनके अंदर चल रही बातें हो. रेल मंत्रालय में उनकी कमान थी और उनके विभाग में मंत्री से कौन सवाल करेगा?’

बंगाल की सीएम को हिंदू धार्मिक आयोजनों में भाग लेने के दौरान मंत्रों और श्लोकों का जाप करने के लिए जानी जाती हैं. और जब भी वह किसी मस्जिद में जाती हैं तो सिर ढंकने लेती हैं. पिछले साल बंगाल में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान, उन्होंने ‘चंडी पाठ’ किया था और 28 घंटे में नंदीग्राम में 19 मंदिरों और एक मस्जिद का दौरा किया था. वह नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ीं और हारी थीं.

संयोग से बुधवार को अजमेर शरीफ दरगाह की उनकी यात्रा बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर है. ममता ने हालांकि हवाईअड्डे पर साफ कर दिया था कि उनकी यात्रा किसी खास दिन के लिए नहीं है.

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्य)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: सीता के लिए मंदिर, नीतीश के लिए वोट? कैसे हिंदू धर्म बना बिहार की राजनीति का केंद्र


Exit mobile version