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19 सांसदों में से 12 शिंदे कैंप में शामिल हुए, ओम बिरला से कहा- हमें ‘अलग समूह’ के तौर पर पहचान दें

इन 12 में से तकरीबन 8 सांसदों ने पिछले हफ्ते शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे द्वारा बुलाई गई बैठक में हिस्सा लिया था और कुछ ने नाराजगी जाहिर करते हुए उन्हें बीजेपी के साथ गठबंधन करने के लिए कहा था.

शिंदे का गुट | ANI

मुंबई: पिछले महीने शिवसेना में दरार पड़ने के बाद पार्टी के 19 सांसदों में से 12 ने अब लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिख कर कहा है कि उन्हें एक ‘अलग समूह’ के रूप में पहचान दी जाए.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पारटी के बागी कैंप में शामिल होने वाले 12 सांसदों ने मंगलवार सुबह लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को अपना पत्र सौंपा है.

नाशिक से शिवसेना के सांसद हेमंत तुकाराम गोडसे ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम 12 सांसदों ने स्पीकर को पत्र सौंप कर हमें राहुल शेवाले के नतृत्व में एक समूह के तौर पर पहचान देने को कहा है. हमारी चीफ व्हिप भावना घवाली होंगी. ‘

शिंदे कैंप में अब इन 12 सांसदों में से कम से कम आठ ने राष्ट्रपति चुनाव पर पार्टी के रुख पर चर्चा करने के लिए पिछले हफ्ते शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की उनके मुंबई स्थित आवास मातोश्री में बैठक में हिस्सा लिया था. शिवसेना ने चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रवादी जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करते हुए कहा कि वह एक आदिवासी और महिला हैं साथ ही राजनीति से परे समर्थन की हकदार हैं.

ठाकरे की शिवसेना का समर्थन करने वाले सांसदों में गजानन कीर्तिकर, विनायक राउत, संजय जाधव, अरविंद सावंत, राजन विचारे, ओमप्रकाश रजेनीबालकर और कलाबेन डेलकर शामिल हैं.

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गोडसे ने कहा, ‘हम में से कुछ लोगों ने उद्धव साहब से नाखुशी जाहिर की थी और उनसे कहा था कि हम चाहते हैं कि पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन करे.’

मंगलवार सुबह दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा, ‘महाराष्ट्र में कुछ सांसदों के घरों पर नजर रखी जा रही है. अचानक कुछ सांसदों के घरों के सामने काफी सुरक्षा व्यवस्था कर दी गई है. पुलिस बल, केंद्रीय बलों और पैसे का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसमें ब्लैकमेलिंग भी शामिल है. लेकिन, ठीक है. जो होगा देखा जाएगा.’


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दरार

कई सांसदों ने पिछले हफ्ते दिप्रिंट को बताया था कि उनमें से कुछ ने आपस में बैठक की थी कि ठाकरे को शिंदे को साथ कैसे मिलाया जाए और बीजेपी के साथ गठबंधन के लिए कैसे राजी किया जाए.

पिछले महीने, शिंदे ने राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार के खिलाफ विद्रोह किया था. उन्हें शिवसेना के 55 विधायकों में से 39 का समर्थन मिला और उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी.

एमवीए सरकार में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस शामिल थी.

शिंदे के सांसद पुत्र, श्रीकांत शिंदे और गवली बागी गुट को अपना समर्थन देने वाले पहले सांसदों में से थे. इसके बाद ठाकरे ने गवली को चीफ व्हिप के पद से हटा दिया था और उनके बदले विचारे को नियुक्त किया था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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