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कोविड का मुकाबला करने के लिए RSS ने शुरू किया अभियान, राहत कार्यों की रणनीति भी बदली

आरएसएस प्रमुख सर संघचालक मोहन भागवत मई के दूसरे सप्ताह में राष्ट्र को संबोधित करेंगे. मकसद है देश में फैले भय और अनिश्चितता को दूर एक सकारात्मक माहौल तैयार करना.

प्री-लॉकडाउन के दिनों में आरएसएस की शाखा | प्रतीकात्मक तस्वीर/ एएनआई

कोरोना की दूसरी लहर की चुनौती से निपटने के लिए देश भर में युद्धस्तर पर प्रयास जारी हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व संघ के स्वयंसेवकों द्वारा चलाए जा रहे सेवा भारती जैसे संगठन देश भर में सेवा कार्यों के माध्यम से इस चुनौती से निपटने के प्रयासों में यथासंभव सहयोग कर रहे हैं. लेकिन इस सबके बीच संघ ने अब एक और बीड़ा उठाया है— देश में फैले भय और अनिश्चितता के माहौल को दूर एक सकारात्मक माहौल तैयार करने का. इसी प्रयास के तहत सर संघचालक मोहन भागवत मई के दूसरे सप्ताह में राष्ट्र को संबोधित करेंगे.

पिछले साल भी अक्षय तृतीय के पावन अवसर पर सरसंघचालक ने इसी प्रकार का एक उद्बोधन दिया था जब भारतीय समाज कोरोना की पहली लहर में लगे लॉकडाउन के साथ तारतम्य बिताने का प्रयास कर रहा था.

संघ के अधिकारियों का मानना है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सबसे बड़ी आवश्यकता देश में एक आशा का वातावरण तैयार करने की है. इस के लिए संघ की प्रेरणा से दिल्ली में ‘कोविड रिस्पॉन्स टीम’ के नाम से एक फोरम का गठन हुआ है जो आध्यात्मिक, धार्मिक व सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी लगभग आधा दर्जन हस्तियों के व्याख्यानों की एक श्रृंखला 11 मई से आरंभ करेगा.

इस श्रृंखला में सद्भगुरू जग्गी वासुदेव (संस्थापक ईशा फाउंडेशन), श्री-श्री रविशंकर (संस्थापक-आर्ट ऑफ लिविंग), ज्ञान देवजी ( प्रमुख, निर्मल संत अखाड़ा) जैन मुनि प्राणनाथ जी (प्रमुख-तेरापंथी जैन समाज) आदि राष्ट्र के नाम अपना उद्बोधन देेंगे. इस श्रृंखला में समापन भाषण सरसंघचालक का होगा.

पूरी व्याख्यान श्रृंखला का फोकस समाज में निराशा के माहौल को समाप्त कर सकारात्मक माहौल तैयार करना है. इसी लिए इस श्रृंखला को नाम दिया गया है‘ पॉजीटिविटी अनलिमिटेड ’.

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पहले चरण के फीडबैक के बाद इस प्रकार की व्याख्यान श्रृंखला के अगले चरणों को भी आयोजन किया जाएगा.


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सेवा कार्य पर ध्यान

कोविड रिस्पॉस टीम (सीआरटी) के सदस्यों में औद्योगिक संगठन जैसे फिक्की, सीआईआई,पीएचडी-सीसीआई, एसोचैम,लघु उद्योग भारती, जेआईटीओ, सीएआईटी, प्रोफेशनल संस्थाएं जैसे आईसीएआई, आईसीएसआई, आईसीडब्ल्यूएए धार्मिक एवं आध्यात्मिक संगठन जैसे पतंजलि योगपीठ, ईशा फाउंडेशन, आर्ट ऑफ लिविंग सनातन धर्म प्रतिनिधि संस्था, आर्य समाज, तेरापंथ जैन समाज व सामाजिक संगठन जैसे सेवा भारती, लायंस क्लब, विश्व हिन्दू परिषद, स्वदेशी जागरण मंच और रोटरी क्लब आदि शामिल हैं.

इस बीच संघ ने कोरोना के संकट की व्यापकता को देखते हुए अपने सेवा कार्यों में भी तेजी से विस्तार आरंभ कर दिया है. संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर के अनुसार 29 अप्रैल तक एकत्र की गई जानकारी के अनुसार, स्वयं सेवकों द्वारा अभी 43 प्रमुख शहरों में कोविड सेवा केंद्र चलाए जा रहे हैं तथा अन्य 219 स्थानों पर कोविड अस्पतालों में प्रशासन का सहयोग किया जा रहा है.

टीकाकरण हेतु दस हजार से अधिक स्थानों पर जागरूकता अभियान के साथ 2442 टीकाकरण केंद्र अभी तक प्रारंभ किये गए हैं.

उन्होंने बताया कि बताया कि आवश्यकता के अनुसार प्लाज्मा व रक्तदान में सहयोग किया जा रहा है. पुणे में जनजागरण अभियान के माध्यम से 600 लोगों ने प्लाज्मा डोनेट किया, जिससे 1500 लोगों का जीवन बचाने में सहायता मिली. श्री आंबेकर के अनुसार विभिन्न शहरों में बुजुर्गों व अकेले रहने वालों को ध्यान में रखते हुए हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं. इनके माध्यम से जरूरतमंदों को आवश्यक सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबोले ने हाल ही में कहा था, ‘समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता हमेशा की भांति देश भर में विभिन्न प्रकार के सेवा कार्यों में सक्रिय हैं.

अनेकों धार्मिक-सामाजिक संस्थाओं के साथ सामान्य समाज भी स्वप्रेरणा से चुनौती की गम्भीरता को समझ कर सभी प्रकार के प्रयासों में जुट गया है .’

स्वयंसेवकों द्वारा किए जा रहे सेवा कार्यों में से कुछ कार्यों की जानकारी निम्नलिखित है:

कोविड केयर व आइसोलेशन केंद्रों का संचालन मुंबई, पुणे, गुजरात, मध्यप्रदेश, सौराष्ट्र, नई दिल्ली, तेलंगाना, जयपुर, देवगिरी, नागपुर आदि कई क्षेत्रों में चल रहा है. पुणे में विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से 500 बेड का कोविड केयर सेंटर चल रहा है.

विभिन्न कोविड अस्पतालों में व्यवस्थाओं में प्रबंधन का सहयोग किया जा रहा है.

ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध करवाने का काम भी स्वयंसेवक कर रहे हैं. नागपुर में प्रतिदिन 7-8 अस्पतालों को ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई जा रही है.

100 लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. ऐसे ही दिल्ली में ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. अन्य स्थानों पर भी आवश्यकता के अनुसार स्वयंसेवक सहयोग में लगे हैं.

पुणे, सौराष्ट्र, दिल्ली, उत्तरप्रदेश सहित विभिन्न स्थानों पर मुक्तिधाम में स्वयंसेवक सेवा कार्य कर रहे हैं, कच्छ में राष्ट्र सेविका समिति की सेविकाएं भी मुक्ति धाम में सेवा व सहयोग कर रही हैं. ऐसे ही भावनगर में एक साल से तीन शिफ्ट में स्वयंसेवक मुक्तिधाम में सेवा कार्य कर रहे हैं.

चिकित्सकीय व अन्य सहायता के लिए हेल्पलाइन सेवाएं आरंभ की गई हैं जिसमें सैकड़ों चिकित्सक सेवा प्रदान कर रहे हैं.

केरल, में निःशुल्क एंबुलेस सुविधा संचालित की जा रही है, जालना में आपदा निवारण समिति की ओर से एक और उपक्रम शुरू किया है, जिसमे कुछ ऑटो रिक्शा चालकों के साथ बात करके कम दाम पर ‘ऑटो एम्ब्युलेंस’ सेवा (400 रु + ऑक्सीजन 50 रु) शुरू की गई है. इसमें ऑक्सीजन की सुविधा भी उपलब्ध है. रोगियों से अत्यधिक शुल्क लिया जा रहा था, जिसे देखते हुए यह सेवा शुरू की गई.

अहमदाबाद में स्वयंसेवकों ने पैरा-मेडिकल स्टाफ की जगह ले ली है, स्वयंसेवक 23 अप्रैल से अहमदाबाद के असरवा में 1,200-बेड के सिविल अस्पताल में गैर-चिकित्सा सुविधा से जुड़कर गैर-चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहे है , ताकि पैरा-मेडिकल कर्मचारी कोविड रोगियों की चिकित्सा का ध्यान रख सकें .

इस काम के लिए, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-कर्णावती ने 430 स्वयंसेवकों की एक सूची तैयार की है, जिनमें से पहले 180 स्वयंसेवक जो 30 वर्ष से कम उम्र के हैं, काम में लगे हुए हैं और बाकी के नाम बैकअप में रखे है जो कभी भी इस कार्य से जुड़ सकते है . ये 180 स्वयंसेवक सिविल अस्पताल में तीन शिफ्टों में काम कर रहे है .

नागपुर, 8 कोविड केयर सेंटर, एक हेल्पलाइन केंद्र, प्रतिदिन 1000 लोगों की सहायता, 100 लोगों को घऱ पर ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई जा रही है, 8 अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति, प्रतिदिन 300 यूनिट रक्तदान व 80 यूनिट प्लाजमा का दान, कोविड केयर सेंटर में 800 बेड उपलब्ध करवाए.

इस बीच दिल्ली में कोविड रिस्पॉस टीम द्वारा कोरोना महामारी को परास्त करने के प्रयासों में मदद के लिए दिल्ली में 9 आइसोलेशन सेंटर्स की स्थापना की गई है. यहां मेडिकल ऑक्सीजन की सुविधा सहित 500 बेड की व्यवस्था खड़ी की जा चुकी है. लोगों को मौके पर ही ऑक्सीजन सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 7 ऑक्सीजन वैन संचालित की जा रही हैं. सभी वैन में 6 बेड लगाए गए हैं.

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अब तक 28 हजार कोरोना संक्रमित परिवारों को भोजन उपलब्ध कराया गया है. इनमें वरिष्ठ नागरिक एवं समाज के वंचित वर्ग से जुड़े लोग शामिल हैं. इसी तरह 803 प्लाज्मा डोनेशन और 1300 सीटी स्कैन कराए गए हैं. इस विषम परिस्थिति में 2619 मृतकों के अंतिम संस्कार में परिजनों को सहयोग प्रदान किया गया है. सीआरटी द्वारा स्थापित हेल्पलाइन के जरिए 1200 स्वयंसेवक तथा 130 डॉक्टर्स नि:शुल्क अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं.

संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ‘संघ की पहल पर बारह प्रकार के प्रमुख आवश्यक कार्य प्राथमिकता से प्रारंभ हुए हैं — कोविड के संभावित रोगियों हेतु आइसोलेशन केंद्र व कोविड पाज़िटिव लोगों के लिए हेतु कोविड सेवा केंद्र , सरकारी कोविड केंद्र व अस्पतालों में सहायता, हेल्पलाइन , रक्तदान, प्लाज्मादान, , अंतिम संस्कार के कार्य, आयुर्वेदिक काढ़ा वितरण, समुपदेशन (काऊंसलिंग) , ऑक्सीजन आपूर्ति व एम्बुलेन्स सेवा, भोजन व राशन तथा टीकाकरण अभियान व जागरूकता अभियान. हर जगह स्थानीय प्रशासन की भी हर संभव सहायता की जा रही है ताकि सभी मिलकर इस चुनौती पर विजय प्राप्त कर सकें.’

कुल मिलाकर आने वाले दिनों में सेवा कार्यों के साथ अब संघ का जोर समाज में नकारात्मकता के माहौल को दूर कर सकारात्मक माहौल तैयार करने पर रहेगा. इस कड़ी में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरसंघचालक मोहन भागवत अपने उद्बोधन में समाज के लिए क्या संदेश देते हैं.

(लेखक दिल्ली स्थित थिंक टैंक विचार विनिमय केंद्र में शोध निदेशक हैं. उन्होंने आरएसएस पर दो पुस्तकें लिखी हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)


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