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क्या आप उसे पहचानते हैं जो बहनजी को ट्विटर पर ट्रोल कर रहा है?

बहनजी चार बार देश के सबसे बड़े राज्य की मुख्यमंत्री रही हैं. सख्त प्रशासक मानी जाती हैं. लेकिन ट्विटर पर उनकी पहचान को लेकर अभद्र टिप्पणियां की जा रही हैं.

mayawati
मायावती को ट्विटर पर ट्रोल किया जा रहा है/ दिप्रिंट

जातीय घृणा, अंग्रेज़ी न बोलने वालों से नफरत, औरत से नफरत, सांवले रंग से घृणा, भारतीय चेहरे से नफरत…ये सब इकट्ठा एक साथ देखना हो तो आपको बीएसपी प्रमुख बहन मायावती के ट्विटर हैंडल पर आ रहे कमेंट को देखना चाहिए.

मायावती वोट शेयर के हिसाब से देश में बीजेपी और कांग्रेस के बाद तीसरे नंबर की पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. वे उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रही हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद को कई बार देश के प्रधानमंत्री के बाद दूसरा सबसे ताकतवर पद माना जाता है, क्योंकि ये बहुत बड़ा राज्य है और यहां की आबादी पाकिस्तान और रूस जैसे बड़े देशों से भी ज्यादा है.

मायावती का ट्विटर पर आना काफी देर से हुआ. वे 22 जनवरी, 2019 को ट्विटर पर आईं. उनके मुकाबले नरेंद्र मोदी 2009 से ही ट्विटर पर हैं. बीजेपी के ज़्यादातर नेता 2010 तक ट्विटर पर आ चुके थे. कांग्रेसियों ने थोड़ी देर की, लेकिन उनमें से भी लगभग हर बड़ा नेता ट्विटर पर वर्षों से है.

मायावती जब ट्विटर पर आईं तो उनके आते ही बीएसपी समर्थक और कई लोग उनसे जुड़ने लगे. लेकिन साथ ही आए ट्रोल्स. तरह तरह के ट्रोल्स. वे गंदे, अपमानजनक और आपत्तिजनक कमेंट्स के साथ आए. यह अपेक्षित ही था. मायावती के ट्विटर हैंडल पर आए कई ऐसे कमेंट अब डिलीट किए जा चुके हैं.

अगर इन ट्रोल्स के कमेंट्स को देखें तो मुख्य रूप से चार कटेगरी के कमेंट नज़र आते हैं. ये मायावती की अलग-अलग पहचान यानी आइडेंटिटी से जुड़ी हुई हैं. हम में से हरेक व्यक्ति की तरह मायावती की भी कई आईडेंटिटी हैं. मिसाल के तौर पर वे राजनेता हैं, महिला हैं, दलित हैं, बहुजन विचार को आगे बढ़ाने के लिए बनी पार्टी की अध्यक्ष हैं, उनके चेहरे का एक रंग है, जो भारत में प्रभावशाली सौंदर्यबोध के हिसाब से फिट नहीं है, उन्होंने एक खास मीडियम के स्कूल से पढ़ाई की है, आदि.

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इसके हिसाब से उन पर चार तरह के प्रमुख हमले हो रहे हैं.

मायावती दलित हैं तो उनके फॉलोवर भी दलित होंगे. ट्रोल ये लिख रहे हैं कि मायावती को अपने फॉलोवर्स में भी आरक्षण लागू कर देना चाहिए. एक ने लिखा कि मैं मायावती को फॉलो करता हूं. इसलिए मुझे भी आरक्षण मिलना चाहिए.

मायावती इंग्लिश तो क्या हिंदी भी लिखा हुआ पढ़ती हैं. वे अपने ट्वीट नहीं लिख सकतीं. हालांकि मायावती टीचर रही हैं, एलएलबी हैं, सबसे बड़े राज्य का प्रशासन चलाया है, लेकिन कुछ लोगों की नज़र में शिक्षित होने के लिए ये काफी नहीं हैं. जहां तक इंग्लिश में ट्वीट करने की बात है तो ऐसा तो नरेंद्र मोदी भी करते हैं. मोदी इंग्लिश कम ही जानते हैं और बिना टेलीप्रॉम्पटर देखे इंग्लिश नहीं बोलते. लेकिन इंग्लिश जानने या न जानने का सवाल उनसे नहीं पूछा जाता. यहां तक कि राहुल गांधी का हिंदी ज्ञान संदिग्ध है. लेकिन उनके साफ हिंदी में लिखे ट्वीट पर सवाल नहीं उठता. अपनी योग्यता साबित करने का सारा बोझ मायावती पर ही है.

https://twitter.com/abhijeetgopg/status/1093017018683383808

मायावती की डीपी यानी प्रोफाइल पिक्चर सुंदर क्यों हैं? मायावती की तस्वीर को लेकर भी टीका-टिप्पणियां आ रही हैं. किसी ने लिखा है कि उन्हें बचपन की नहीं, ताज़ा तस्वीर लगानी चाहिए. जबकि अपनी कोई खास पुरानी तस्वीर ढेरों लोग लगाते हैं. उनके चेहरे के रंग का मज़ाक उड़ाने के लिए किसी ने लिखा है कि उन्होंने फोटो में कौन सा फिल्टर इस्तेमाल किया है?

https://twitter.com/AndColorPockeT/status/1093024472884338688

मायावती खुद ट्विटर नहीं चला सकती. ट्रोल करने वालों का कहना है कि मायावती का ट्विटर हैंडल कोई और चला रहा है, और वो शायद कोई ब्राह्मण है. ऐसा कहने वाले ये मानने को तैयार नहीं है कि मायावती खुद कोई भी काम करती हैं. उनके लिए ये मानना मुश्किल हो रहा कि एक दलित महिला खुद कोई काम कर सकती हैं. उनका तर्क है कि जब मायावती बिना लिखे अपना भाषण पढ़ नहीं सकतीं तो वे ट्वीट कैसे कर सकती हैं. जबकि मायावती ये स्पष्ट कर चुकी हैं कि वे स्वास्थ्य कारणों से और डॉक्टरों की सलाह के कारण ऐसा करती हैं. यूपी की राजनीति पर नज़र रखने वाले जानते हैं कि एक समय मायावती बेहद प्रखर वक्ता रही हैं और कागज़ पढ़कर बोलना एक नई बात है.

मायावती के ट्विटर हैंडल पर आ रही टिप्पणियों को देखें तो टिप्पणी करने वालों के बारे में कुछ बातें स्पष्ट नज़र आती हैं. ऐसी ज़्यादातर टिप्पणियां उत्तर भारतीय हिंदू सवर्ण पुरुष कर रहे हैं. उनकी विचारधारा दक्षिणपंथी सांप्रदायिक है और उनमें से कई मोदी भक्त हैं.

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