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कांग्रेस की नीतियां बदल रही हैं, लेकिन चुपके-चुपके

वंचित वर्ग के लिए अलग रणनीति और नए तेवर के साथ उतरी कांग्रेस. लेकिन क्या वो ये बात मतदाताओं तक पहुंचा पाएगी?

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कांग्रेस के ओबीसी अधिवेशन में राहुल गांधी के साथ अशोक गहलोत और केशव चंद यादव/फेसबुक से

कांग्रेस के घोषणापत्र के पहले पन्ने पर विशाल जनसमुदाय दिखाते हुए ‘हम निभाएंगे’ लिखा गया है. पहले पृष्ठ में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी पर बड़ा हमला है, जिस पर 2014 की चुनावी घोषणाएं पूरा न करने व वादाखिलाफी के आरोप लग रहे हैं. दूसरे पेज पर जनता के बीच घिरे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हैं और उनका बयान लिखा हुआ है, ‘मेरा किया हुआ वादा मैंने कभी नहीं तोड़ा है.’

2019 का कांग्रेस का चुनावी घोषणापत्र पार्टी के बदलते स्वरूप को भी दिखाता है. खासकर दलित, आदिवासी और उनसे भी बढ़कर, पिछड़े वर्ग की ओर से पिछले 5 साल में चलाए गए आंदोलनों में की गई कई महत्वपूर्ण मांगों को पार्टी के घोषणापत्र में शामिल कर लिया गया है. अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी भारतीय राजनीति में एक नई पहचान बनकर उभरा है, जिसे देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी ने भरपूर महत्व दिया है. घोषणापत्र में सामाजिक मोर्चे पर कुछ मुख्य घोषणाएं इस प्रकार हैं-

1- देश की एससी-एसटी-ओबीसी आबादी कुल जनसंख्या का लगभग 75 प्रतिशत है. इस वर्ग के लिए पार्टी का ‘समान अवसर आयोग’ स्थापित करने का वादा.

2- पार्टी का 200 बिंदु रोस्टर प्रणाली के मूल उद्देश्य व इरादे को बहाल करने के उद्देश्य से कानून पारित कर इसे सभी संस्थानों में लागू करने का वादा.

3- 12 महीने के भीतर सरकारी, अर्ध सरकारी और सार्वजिनक क्षेत्र के सभी केंद्रीय संगठनों में आरक्षित सभी बैकलॉग रिक्तियों को भरने का वादा.

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4- एससी, एसटी, ओबीसी के लिए पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन करने.

5- आरक्षित तबके को समान रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सरकारी स्कूलों में छठी से 12वीं तक अध्ययन की भाषा के तौर पर अंग्रेजी अपनाने पर जोर.

6- निजी उच्च शिक्षा संस्थानों में एससी, एसटी, ओबीसी को आरक्षण देने के लिए कानून.

7- एससी, एसटी, ओबीसी समुदाय के महान लोगों को पाठ्यक्रम में शामिल करना.

8- वन अधिकार अधिनियम 2006 को अक्षरशः लागू करने और 18.9 लाख परिवारों की बेदखली तत्काल रोकने का काम.

9- सरकारी खरीद और सरकारी अनुबंधों का उचित हिस्सा एससी, एसटी और ओबीसी को देने का वादा.

10. इसके अलावा वंचित समूहों की एक बड़ी मांग जजों की नियुक्तियों में कॉलिजियम सिस्टम को खत्म करने और वंचित समूहों से जज बनाने की रही है. इसे भी घोषणापत्र में शामिल कर लिया गया है.


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कांग्रेस द्वारा समाज के वंचित तबके के लिए अध्याय 36 में किए गए 17 वादों में से यह 9 वादे ऐसे हैं, जिनके लिए एससी, एसटी व ओबीसी तबका लंबे समय से आंदोलित है और उसे लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस द्वारा इन सभी मांगों को स्वीकार कर लेना बड़े राजनीतिक बदलाव का संकेत है.

कांग्रेस ने सत्ता में आने के 6 महीने के भीतर खाली पड़े 20 लाख सरकारी पदों को भरने का वादा अपने चुनावी घोषणापत्र में किया है. अगर वंचित तबके के लिए किए गए उपरोक्त वादों के साथ यह रिक्तियां भरी जाती हैं तो लाखों सरकारी नौकरियां वंचित तबके को मिलेंगी.

कांग्रेस ने विश्वविद्यालयों में 200 पॉइंट रोस्टर लागू करने के साथ 2023-24 तक समाप्त होने वाले 5 वर्षों में शिक्षा के लिए बजट आवंटन दोगुना बढ़ाकर जीडीपी का 6 प्रतिशत करने का वादा किया है. इसका भी सीधा लाभ वंचित तबके को मिलेगा, जो निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों की दबंगई से गुणवत्तायुक्त शिक्षा से वंचित होते जा रहे हैं.

पिछड़े वर्ग में करीब 90 प्रतिशत आबादी खेती किसानी से जुड़ी है. किसानों को आकर्षित करने के लिए कांग्रेस ने कर्जमाफी के साथ उचित मूल्य, कृषि लागत घटाने, बैंकों से कर्ज के माध्यम से कर्ज मुक्ति की ओर ले जाने का वादा किया है. साथ ही अलग से ‘किसान बजट’ पेश करने का वादा किया है. ‘कृषि विकास एवं योजना आयोग’ लागू करने का वादा है.

कृषि, किसान और कृषि समिति अध्याय के तहत पार्टी ने कुल 22 वादे किए हैं, जो किसानों की जिंदगी में परिवर्तनकारी साबित हो सकता है. वहीं न्यूनतम आय योजना के तहत देश की 20 प्रतिशत जनसंख्या को सालाना 72,000 रुपये देने के वादे का लाभ भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और वंचित तबके को ही सबसे ज्यादा मिलने की संभावना है. देश के 1.4 करोड़ मछुआरों के कल्याण के लिए अलग मंत्रालय गठित करने और मछुआरों व मत्स्य उद्योग के लिए राष्ट्रीय आयोग गठित करने का वादा किया गया है.

वंचित तबके की ओर से शीर्ष न्यायालयों में जगह न मिलने और उनके साथ जातीय भेदभाव के कारण न्याय न मिलने की शिकायत को भी कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में शामिल किया है. कांग्रेस ने वादा किया है कि वह महिलाओं, एससी,एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों तथा समाज के अन्य वर्गों, जिनका न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व कम है, के प्रतिनिधित्व को सभी स्तरों में बढ़ाएगी.

शीर्ष न्यायालय में जातिवाद, परिवारवाद जैसी धांधलियों व आरोपों को देखते हुए कांग्रेस ने न्यायिक नियुक्ति प्रणाली में सुधार का भी वादा किया है. पार्टी ने राष्ट्रीय न्यायायिक आयोग स्थापित करने की बात की है. राष्ट्रीय न्यायायिक आयोग उच्च और उच्चतम न्यायालयों में नियुक्तियों का काम देखेगा.


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इसके अलावा पार्टी का मानना है कि सूक्ष्म, लघु एवं कुटीर उद्योगों में ओबीसी तबके की बड़ी भागीदारी होती है. पिछले 5 साल के दौरान नोटबंदी से लेकर जीएसटी और कुछ उद्योगों को बढ़ावा दिए जाने के बीच एसएमई क्षेत्र तबाह हुआ है. कांग्रेस ने छोटे और मध्यमस्तरीय उद्यमियों को नियामकीय राहत देने का वादा किया है. घोषणापत्र में कांग्रेस ने कहा है कि 1 अप्रैल, 2019 या स्थापना की तारीख से 3 साल की अवधि तक, सभी सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए लागू कानूनों (न्यूनतम मजदूरी और कर नियम कानूनों को छोड़कर) में छूट मिलेगी.

इंदिरा गांधी ने बैंकों, निजी कंपनियों के राष्ट्रीयकरण और राजाओं के अधिकार छीनने व प्रिवी पर्स खत्म करके कांग्रेस को एक वैचारिक धार दी थी. अब एक बार फिर कांग्रेस बदलाव की ओर कदम बढ़ा चुकी है. पार्टी के घोषणापत्र में किए गए वादे उदारीकरण के बाद गरीबी और अमीरी के बीच बढ़ती खाईं को पाटने की दिशा में पार्टी के कदम बढ़ाने के संकेत दे रहे हैं.

(लेखिका वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक हैं.)

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