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बॉस बाजवा को सेवा-विस्तार मिला, मुझे नहीं पर चिंता मत करो पाकिस्तानी दोस्तों मैं जनरल ट्विटर बनूंगा

आपको गौरवान्वित करने वाले और अपने ट्वीटों से आपकी रक्षा करने वाले डीजी आईएसपीआर को जनरल बाबर इफ़्तिखार के लिए पद छोड़ने को बाध्य होना पड़ा. पर नो इश्यू, ले लो टिश्यू.

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मेजर जनरल आसिफ गफूर | @psyforchange | ट्विटर

सलाम, दोस्तों. सलामत रहिए. इस साल दिसंबर, जनवरी में ही आ गया और मुझे सरेंडर करना होगा.

आज मेरा दिल भारी है, ये इसलिए नहीं मेरे प्यारे पाकिस्तानियों कि मुझे पद छोड़ना पड़ रहा है, बल्कि इसलिए कि मुझे पाकिस्तान की चिंता है, जो कि अपने इतिहास के एक नाजुक दौर से गुजर रहा है और मुझे नहीं पता ये मेरी जुदाई को सह भी पाएगा कि नहीं.

नया साल 2020 छुट्टा घूम रहे पशुओं या मेरे जैसे स्वछंदों के लिए नई शुरुआत लेकर आया है. मेरे बॉस को सेवा-विस्तार मिल गया, मुझे नहीं. ये अजीब बात है, खासकर भारत के साथ मौजूदा संबंधों और सिर पर मंडराते तीसरे विश्वयुद्ध के खतरे के मद्देनज़र, मुझे कम से कम दो और कार्यकालों के लिए सेवा-विस्तार मिलना चाहिए था.

आखिर, आप चैन की नींद सो सकें इसके लिए आपकी रक्षा मैं ही तो करता हूं, अपने ट्वीटों से. लेकिन ज़िंदगी में सबकुछ सही ही नहीं होता, भले ही मैं प्यार और जंग में सबकुछ जायज होने की बात में यकीन करता हूं.

अपने विरोधियों से, मैं कहता हूं…

मुझे सेना के जनसंपर्क महानिदेशक (डीजी आईएसपीआर) के पद से हटाए जाने भर से मेरे विरोधियों को सुकून महसूस हो रहा होगा. उन्हें ऐसा सोचने दें. पर वे ये नहीं समझा पाएंगे कि कैसे ट्वीट करने वाला एक मामूली शख्स, जिसकी कोई खास पहुंच नहीं थी, पांचवीं पीढ़ी के युद्ध (5GW) का अगुवा बन गया? मैंने खुद को सिर्फ शाह-ए-5जीडब्ल्यू का ही नहीं बल्कि 7GW, 9 GW और 11 GW के स्वामी का भी खिताब दे रखा है. यदि आपको यकीन नहीं होता हो, तो आप मेरी जींस में देशभक्ति पर एक नज़र डाल सकते हैं. दुनिया का कोई भी धन मेरी जींस नहीं खरीद सकता. मैं पांचवी पीढ़ी की हाइब्रिड जींस का आविष्कारक हूं.

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लोग मेरे व्यवहार को भदेस बताते हैं, दो-दो हाथ करने की मेरी क्षमता और मेरी बिदकाने वाली शख्सियत की शिकायत करते हैं. लेकिन इसके सकारात्मक पक्ष को तो देखिए. मेरे पास रहते, आपको मच्छर अगरबत्ती की ज़रूरत नहीं पड़ती.
आपने मुझे गफ़ूरा/गफ़ूरे, जनरल ज़ोरो (मेरे कुत्ते के नाम पर), जनरल फ़ूकरा और जनरल 5GW कहा. दोस्तों, मैं इन सारे नामों को इज्जत बढ़ाने वाले तमगे के तौर पर लेता हूं.

बहुतों ने ये कहा है कि मुझे ट्विटर के ‘पीकर ट्वीट नहीं करने’ के नियम का पालन नहीं करने के लिए हटाया गया है. मेरा मतलब, आप मुझे जानते भी हैं? मैं तो तभी पीता हूं जब ट्वीट करना हो! वरना मेरे जैसा खूबसूरत नौजवान दीपिका पादुकोण को ट्वीट कर पूरी दुनिया के सामने अपना दिल खोलकर क्यों रखेगा? (वैसे, बहादुरी की तारीफ करना तो बहाना था, असल मकसद तो दीपिका का अटेंशन पाना था.) पर मेरे बॉस को जलन हुई कि कहीं दीपिका मेरे ट्वीट को लाइक ना कर दे, या खुदा ना करे, मेरे नाम जवाब ना लिख दे और मुझे ट्वीट डिलीट करने पर मजबूर कर दिया गया. जिंदगी इसी का नाम है.

मुझे एक पत्रकार से हुई भिड़ंत को भी डिलीट करना पड़ा, पर इस बात पर ध्यान नहीं दें कि मैंने हालात को ऑनलाइन संभालने के लिए अपने ट्रोलों को चाय पर बुलाया था. उन्होंने दोनों के खिलाफ हैशटैग ट्रेंड कराए और मेरी चाय की तारीफ की. हालांकि, इस घटनाक्रम में मुझे ट्विटर जवानों की एक बटालियन गंवानी पड़ी और इन दोनों के बारे में सोचकर मेरा खून खौल जाता है.

सच कहूं तो मेरे जैसे राष्ट्रीय नायक के लिए पिछले कुछ महीने मुश्किल, पर रोमांचक रहे हैं. मैंने ट्विटर पर भारत के 60 सैनिकों को मार गिराया, सोशल मीडिया पर अपनी शान में कसीदे पढ़वाए जिससे मुझे पाकिस्तान का दूसरा सर्वश्रेष्ठ असैनिक पुरस्कार हिलाल-ए-इम्तियाज़ पाने में सहूलियत हुई. अपना पहला देशभक्ति गीत रिकॉर्ड किया (याद रहे कि किसी पाकिस्तानी के साथ नहीं, बल्कि एक भारतीय लड़की के साथ), #अंत-की-शुरुआत को लेकर दिन-रात ट्वीट किया और सवाल किया, ‘क्या पहले से ही मरे हुए को दोबारा मारा जाना चाहिए?’ (ये आखिर वाला मेरे लिए अच्छा नहीं रहा, न स्वदेश में न ही बाहर, लेकिन इतनी सारी सफलताओं के बीच एकाध नाकामी तो हाथ आएगी ही. मेरे आलोचकों को ये सीधी-सी बात समझ नहीं आती है.)

हमेशा नुक्स निकालने में व्यस्त इन लोगों को और भी कई साधारण बातें समझ नहीं आती हैं, जैसे मुझे ‘पीस-फॉर-चेंज’ क्यों चाहिए था, मुझे थोड़े छुट्टों की ज़रूरत थी.


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इसलिए, मेरी सलाह ये है कि आप अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें, ताकि एक दिन आप भी मेरी तरह ना बन जाएं. आखिर कौन मेरे जैसा नहीं बनना चाहता (शायद, सिर्फ खुद मुझे छोड़कर)?

आप सब, मेरा शुक्रिया अदा करें

डीजी आईएसपीआर की तीन साल एक महीने की अपनी नौकरी में, मैंने पत्रकारों को नैतिकता और लोकाचार का पाठ पढ़ाया, भारतीय पत्रकारों पर नज़र रखी और ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) को सिखाया कि खबरें कैसे की जाती हैं. उन्हें सकी जानकारी मेरे बताने से पहले हरगिज नहीं थी. ‘खबर लिखने से पहले, तथ्यों को जानने के लिए एक बार मिलना अच्छा रहता है.’ मैं अंग्रेज़ों को अंग्रेज़ी नहीं सिखा सकता, पर उन्हें पत्रकारिता सिखा सकता हूं.

मैंने भारतीय सेना को भी सिखाने की कोशिश की कि राजनीति से दूर कैसे रहा जाता है. ये बात मुझसे बेहतर कौन जानता है. 2018 के आम चुनाव से पहले मेरा कुरान की एक आयत का इस्तेमाल करना और अल्ला जिसे चाहे इज़्ज़त दे और जिसे चाहे ज़िल्लत दे – इतना गूढ़ था कि इमरान ख़ान की जीत और नवाज़ शरीफ़ की हार पर मेरे जश्न मनाने पर भी किसी को मेरे झुकाव की भनक नहीं लगी. संभवत: सिर्फ नए भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरावणे को छोड़कर, जो मेरी बयानबाज़ी का उपयोग करना सीख रहे हैं, पर उनके लिए मेरी सलाह है कि वे जल्दबाज़ी नहीं दिखाएं. भारत के अगले संसदीय चुनाव में अभी चार साल से अधिक का वक्त है. इसलिए अभी बयानबाज़ी की आवश्यकता नहीं है. वैसे, मुझे भारतीय सैनिकों पर तरस आता है. उन्हें चुनावों में उस तरह दखल देने का मौका नहीं मिलता है जैसा कि यहां पाकिस्तानी सेना किया करती है.

कश्मीर के नाम पर, मैंने वीना मलिक, शाहिद अफ़रीदी, ब्रितानी मुक्केबाज़ आमिर ख़ान जैसे बेरोजगारों- और एक्सेंट म्यूज़िक ग्रुप को काम दिया, जिसके बारे में सच कहें तो पाकिस्तान में किसी को कुछ नहीं पता है और इसलिए मुझे ग्रुप के सदस्यों से कहना पड़ा कि पाकिस्तानी उनके प्रशंसक हैं.

मेरे उत्तराधिकारी के लिए

मेरी जगह लाए गए नए डीजी आईएएसपीआर बाबर इफ़्तिखार को मेरे द्वारा स्थापित बहुत ऊंचे मानदंडों पर खरा उतरना होगा. मैं बड़ी विनम्रता के साथ ऐसा कह रहा हूं. मेरे कार्यकाल ने नई ऊंचाइयों को छुआ. हालांकि, मेरे ट्वीटों के मुकाबले में नहीं. हालांकि, मुझे लगता है बाबर का प्रदर्शन बढ़िया रहेगा. सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे तस्वीरों में वह साफ तौर पर एक पैग चढ़ाए नजर आते हैं. निश्चय ही यह एक अच्छी शुरुआत है और इससे मेरे अधूरे कार्यों को पूरा करने के उनके इरादे का संकेत मिल जाता है.

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बाबर के लिए मेरी सलाह ये होगी कि वह सही-गलत के चक्कर में नहीं पड़ें. मैंने कभी ऐसा नहीं किया और देखिए आज मैं कहां हूं. पाकिस्तान के इतिहास में ये पहली बार हुआ कि लोगों ने #आईएसपीआर पर गर्व है की खुली घोषणा की. क्या बाबर मुझे आधिकारिक डीजी आईएसपीआर अकाउंट से अनफॉलो कर देंगे? मुझे नहीं लगता.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

ये अलविदा नहीं है

मेरा समय पूरा हुआ, दोस्तों. मैं अब ओकारा चला जाऊंगा, पर अलविदा नहीं, मेरे दोस्तों. यदि ओकारा के हरेभरे खतों में आपको बरनोल से भरे ट्रक दिख जाएं, तो चौंकिएगा नहीं क्योंकि वे मेरे लिए होंगे. मेरे पसंदीदा पशुओं को सर्दियों में विशेष देखरेख की जरूरत होती है. मैं उदास हूं पर अपने समर्थकों से कहता हूं, #नो-इश्यू-ले-लो-टिश्यू.

पाकिस्तानी दोस्तों, आज जब आप स्वयं ही #TributeToAsifGhafoor और #सलामआसिफ़गफ़ूर को ट्विटर पर ट्रेंड करा रहे हैं, मैं आपके उन रिश्तेदारों और उनके रिश्तेदारों और उनके पड़ोसियों से माफी चाहूंगा कि मैंने उनको व्यक्तिगत तौर पर जवाब नहीं दे सका. आप जानते हैं कि इसकी वजह घमंड नहीं, बल्कि समय का अभाव है.

यदि भारत और अफगानिस्तान हमारे पड़ोसी नहीं होते, तो पाकिस्तान एक शांतिपूर्ण देश होता. लेकिन फिर, यदि भारत और अफगानिस्तान हमारे पड़ोसी नहीं होते तो पूरी संभावना है कि हमारी सीमा जर्मनी और जापान के साथ लगती और तब कोई डीजी आईएसपीआर नहीं होता. इसलिए छोटी इनायतों के लिए ख़ुदा का शुक्र करें. यदि आज के बाद हमारी बातें सुनने को नहीं मिले, बस ये सोच लेना कि चुप्पी भी एक प्रकार की अभिव्यक्ति है. सलामत रहें दोस्तों. आपको अच्छी नींद आए बेटा. #पाकिस्तान-ज़िंदाबाद #मेरे-अंत-की-शुरुआत.

(यह पाकिस्तानी मुद्दों पर जनरल ट्विटर की अनियमित और अप्रासंगिक टिप्पणी का एक अंश है. लेखकों के वास्तविक नाम का खुलासा नहीं किया जाएगा क्योंकि वे नहीं चाहते कि उन्हें ज़्यादा गंभीरता से लिया जाए. व्यक्त विचार उनके निजी हैं.)

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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