होम लास्ट लाफ लास्ट लॉफ: जब कानून हो जाए पाखण्डी बाबाओं से अधिक शक्तिशाली

लास्ट लॉफ: जब कानून हो जाए पाखण्डी बाबाओं से अधिक शक्तिशाली

मंजुल| डीएनए

प्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सबसे अच्छे भारतीय कार्टून।

चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं जैसे प्रिंट, ऑनलाइन या सोशल मीडिया पर, और इन्हें उचित श्रेय भी मिला है।

मंजुल ने डीएनए में आज के मुख्य कार्टून में आसाराम पर निशाना साधते हुए दिखाया है कि पाखंण्डी बाबा आसाराम के अपराधो की सूचिका खुल चुकी है क्योंकि उनके ‘आध्यात्मिक गुरु’ के ओहदे से बड़ा कानून और बेहतर शासन है।आसाराम एक पुलिस अधिकारी के सानिध्य में डरे हुए बैठे हैं, जो उन्हें सीआरपीसी और आईपीसी का पालन करने के लिए मार्गदर्शन कर रहा है।

इंडियन एक्सप्रेस के लिए ई. पी. उन्नई के मजाकिया प्रवृत्ति वाले कार्टून में कर्नाटक चुनावों में पहुँचने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केदारनाथ की हालिया यात्रा पर एक लिंगायत पुजारी और भगवान शिव के आशीर्वाद मांगने पर मजाक उड़ाया है।कार्टून में लड़का मोदी को बताता है कि ये वोट बैंक की राजनीति इंतजार कर सकती है, उनके पास, चीन में हिमालय के पार कई और मुद्दे हैं जिन पर जोर डाला जा सकता है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने हाल ही में कहा था कि कांग्रेस के हाथ मुसलमानों के खून से रंगे हुए है। कार्टून में ट्विटर पर मंसूर नकवी ने 1984 के दंगों को दर्शाया है जिसमें कांग्रेस वास्तव में सिखों के खून में डूबी हुई है,इसलिए खुर्शीद का यह बयान कांग्रेस के द्वारा अतीत में किए गए बड़े पापों की एक छोटी सी झलक है।

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साजिथ कुमार केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पारित हालिया अध्यादेश, जिसने 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के दोषी बलात्कारियों के लिए मौत की सजा को मंजूरी दी, के बेतुकेपन को उजागर करने के लिए ट्विटर के माध्यम से उन्हें दबोचा है। कार्टून भारत की कमजोर-न्याय प्रणाली का मजाक उड़ाते हैं और सुझाव देते हैं कि इस मृत्युदण्ड़ वाले फैसले से कुछ भी हासिल नहीं होगा।

बीबीसी हिंदी में कीर्तिश भट्ट बीजेपी के सदस्यों को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया आदेश के बाद, गलत-जानकारी के माध्यम से मीडिया को ‘मसाला’ (मसाला) न प्रदान करने की बात को दिखाते हैं। उसी तर्क के साथ मोदी के ‘अच्छे दिन’ के वादे और प्रत्येक नागरिक को 15 लाख रुपये देने के वादे को भी ‘मसाला’ श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि ये वादे कभी पूरे ही नहीं हुए।

मंसूर नकवी| ट्विटर
सजीत कुमार||@sajithkumar
ई. पी. उन्नई|इंडियन एक्सप्रेस
कीर्तिश भट्ट|बीबीसी हिंदी

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