होम देश देश युवा तो संसद बुजुर्ग क्यों, लोकसभा-विधानसभा चुनाव लड़ने की उम्र 25...

देश युवा तो संसद बुजुर्ग क्यों, लोकसभा-विधानसभा चुनाव लड़ने की उम्र 25 क्यों?

जब भारत में नगर निगम, नगर पालिका, ग्राम पंचायत और ग्राम सभा के चुनाव लड़ने की उम्र 21 वर्ष है तो विधानसभा और लोकसभा में 25 वर्ष क्यों.

News on Age Reduction confrence to contest election in parliament
युवा अधिकार सम्मेलन में मंच पर मौजूद नेता | फोटो / शुभम सिंह
नई दिल्ली: हमारा देश युवाओं का देश है. भारत की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या की आयु 35 वर्ष से कम है लेकिन हमारी 2014 में गठित लोकसभा अब तक की सबसे बुजुर्ग लोकसभा है. एक ओर देश युवा हो रहा है वहीं हमारी संसद में बुजुर्ग सांसदों की संख्या बढ़ रही है. 56 से 75 वर्ष के सांसदों की संख्या संसद में बहुतायत में है जबकि 25 से 45 साल की उम्र वाले सांसदों की संख्या नाम मात्र की है.
16 वीं लोकसभा में सांसदों की औसत आयु 56 वर्ष है. अब जब भारत में नगर निगम, नगर पालिका, ग्राम पंचायत और ग्राम सभा के चुनाव लड़ने की उम्र 21 वर्ष है तो विधानसभा और लोकसभा में 25 वर्ष की बाध्यता क्यों है? युवा होते देश को युवा सोच और युवा सांसदों की जरूरत है. मंगलवार को इन्हीं मुद्दों के साथ युवा राष्ट्रीय लोकदल ने कॉस्टिट्यूशनल क्लब में ‘युवा अधिकार सम्मेलन’ का आयोजन किया . इसमें देशभर के युवा नेताओं ने भाग लिया और देश के वर्तमान हालात पर और चुनाव लड़ने उम्र की 25 वर्ष किए जाने की बात रखी.
दिल्ली में आयोजित युवा अधिकार सम्मेलन | फोटो / शुभम सिंह

युवाओं की संसद में भागदारी बढ़े

राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी जी अपने आप को देश का सबसे बड़ा यूथ आईकन बताते हैं. उनकी खुद की पार्टी में कितने युवाओं को मौका दिया गया है. उन्होंने कहा कि भारत के युवाओं को युवा नेता की दरकार है. अगर हम युवाओं को चुनाव लड़ने की उम्र सीमा को घटाने के लिए आगे आना होगा. अगर हमें देश की कठिन समस्याओं का हल निकालना है तो हम युवाओं को सत्ता में भागीदारी बढ़ानी होगी.
 मंच से नेताओं ने लोकसभा चुनाव लड़ने की उम्र सीमा घटाने पर जोर दिया.
जनता दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने युवा शक्ति की ताकत पर ज़ोर देते हुए कहा कि जवान आदमी ही चुनौतियों को स्वीकार करता है. वो जवानी किस काम की जो हर तरह के संकट के लिए तैयार न हो. उन्होंने देश की हालत पर चिंता जताते हुए कहा कि देश का हर तबका तबाह है. किसान संकट में है. देश की वर्तमान सरकार को संविधान से कोई मतलब नहीं है, इन्हें न हिंदू से मतलब है और न ही मुसलमानों से. ये सरकार केवल लोगों को बांटने का काम कर रही है. अगर देश को बचाना है तो बिना कोई जाति या मजहब देखकर वोट कर इस सरकार को उखाड़ फेंकना होगा.
कार्यक्रम में गुजरात के युवा नेता हार्दिक पटेल ने आते ही कहा, ‘मैं मोदी जी के गुजरात से नहीं, सरदार पटेल और गांधी के गुजरात से आया हूं.’ उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हुए कहा, ‘विधानसभा चुनाव लड़ने की उम्र सीमा 25 साल होने से मैं चुनाव नहीं लड़ सका.चुनाव लड़ने की उम्र सीमा घटाई जानी चाहिए.’

 हार्दिक पटेल ने कहा कि 1980 में बीजेपी दो सीट पर थी, आज भी दो ही सीट पर है ‘अमित शाह और नरेंद्र मोदी.’

युवा नेता हार्दिक पटेल | फोटो / शुभम सिंह
देश के वर्तमान हालात पर बोलते हुए उन्होंने कहा,’देश में लोगों को धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है. मैं पिछले दिनों राममंदिर निमार्ण के पोस्टर देख रहा था. जिसमें मैंने एक भी पोस्टर ऐसा नहीं देखा जहां अयोध्या का राजा राम सबरी के साथ बैठा हो.’ अंत में उन्होंंने कहा कि आज के यूथ को मैं यही कहूंगा का हमें मिलकर देश की समस्याओं को हल करना होगा. मैं आपको बता देना चाहता हूं नरेंद्र मोदी विकास पुरुष नहीं, विनाश पुरुष है.
आमआदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी सदन में चुनाव लड़ने की उम्र सीमा घटाने वाले विधेयक का पूर्ण समर्थन करेगी. वर्तमान समय में टीवी चैनलों पर केवल नफरत फैलाने का काम चल रहा है. इतिहास के गलत तथ्य प्रस्तुत किए जा रहे हैं.
वहीं कार्यक्रम में मौजूद गुजरात से राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने कहा, ‘सरकार चाहती है युवा कुछ न बोले, शांत रहे, लेकिन ये शांत नहीं रहेगा. हमारे देश का विद्यार्थी, युवा और किसान सब परेशान है लेकिन सरकार केवल मीटिंग, स्पीकिंग और एडवरटाइजिंग में व्यस्त है.’
उन्होंने कहा कि युवा अधिकार सम्मेलन तभी सफल होगा ‘जब देश का युवा आगे आए और हम सब मिलकर प्रण लें कि वर्तमान सरकार को उखाड़ फेंकेगे.’

विदेशों में क्या है स्थिति

अगर बात अन्य देशों की करें तो आस्ट्रेलिया, जर्मनी, कनाडा और डेनमार्क जैसे देशों में देशों में चुनाव लड़ने की उम्र 18 वर्ष है. वहीं ईरान में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की उम्र 21 साल (भारत में ये 35 साल) है.

एक तर्क यह भी  

जब 21 साल की उम्र में आप किसी गांव का प्रधान बन सकते हैं. 21 साल में ही पंचायती राज़ का पदाधिकारी बन सकते हैं लेकिन आप राज्य और देश की सदन में अपनी उपस्थिति नहीं दर्ज करा सकते हैं.  मंच पर बैठे सभी नेताओं ने एक सुर में  सांसद या विधायक बनने के लिए 25 साल की उम्र सीमा क्यों, पर अपने विचार दिए. यहां तक की देश में किसी भी व्यस्क के लिए शादी की उम्र सीमा भी 21 साल से ज्यादा नहीं है. लोगों का एक तर्क यह भी था कि लोकसभा में 15 दिसंबर 1988 को वोट डालने की उम्र सीमा घटा बिना किसी विवाद के 18 साल कर दी गई थी, तो चुनाव लड़ने की उम्र को लेकर इतना संशय क्यों.

Exit mobile version