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पंजाब के युवाओं को लगता है कि तनाव के चलते अब कनाडा जाकर पढ़ना संभव नहीं है, कई के मन में भारी डर

भारत द्वारा कनाडाई लोगों के लिए वीजा निलंबित करने के बाद छात्रों को डर है कि ओटावा भी इसी तरह की जवाबी कार्रवाई करेगा. उनमें से कई लोगों को लगता है कि नई दिल्ली स्थिति को इससे भी बेहतर ढंग से संभाल सकती थी.

बठिंडा के अजीत रोड पर इमिग्रेशन कंपनियों के दफ्तर | फोटो: शुभांगी मिश्रा | दिप्रिंट

बठिंडा/फरीदकोट: संदीप झाझावर का फोन दो दिन से बंद आ रहा है. एक सिख अलगाववादी की हत्या के बाद भारत-कनाडाई संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है और उच्च शिक्षा के लिए कनाडा जाने के इच्छुक छात्र अपने भविष्य पर इसके असर को लेकर काफी चिंतित हैं.

लेकिन बठिंडा स्थित इमीग्रेशन फर्म बोस्टन इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक संदीप झाजावर को भरोसा है कि इसमें छात्रों को चिंता करने जैसी कोई बात नहीं है.

झाजावर दिप्रिंट से कहते हैं, “कनाडा काफी इमिग्रेशन फ्रेंडली देश है और यह सच है कि पंजाब के छात्र वहां जाकर उनकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हैं. इस बात की संभावना काफी कम है कि वे वीज़ा रद्द करेंगे या विश्वविद्यालयों में छात्रों के प्रवेश को रद्द कर देंगे.”

खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून को कनाडा के सरे में अज्ञात हमलावरों द्वारा हत्या कर दी गई थी. उसकी हत्या के साथ ही वह उस खालिस्तानी अलगाववादियों की लिस्ट में शामिल हो गया जिसकी या तो विदेश में हत्या कर दी गई या उसे जहर देकर मार दिया गया.

बोस्टन इंटरनेशनल की इमीग्रेशन फर्म के एमडी संदीप झाझावर | फोटो: शुभांगी मिश्रा | दिप्रिंट

इस घटना से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया. इस सप्ताह की शुरुआत में कनाडा की संसद में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसी ​​भारत सरकार के एजेंटों और निज्जर की हत्या के बीच “संभावित संबंध के विश्वसनीय आरोपों का सक्रिय रूप से पीछा कर रही हैं”. एक दिन बाद कनाडा ने भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया. इसके कुछ देर बाद ही भारत ने भी ऐसा ही कदम उठाया.

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गुरुवार को, भारत ने कनाडाई लोगों के लिए वीजा निलंबित कर दिया. नई दिल्ली के इस कदम से युवा पंजाबियों के मन में डर और चिंता पैदा हो गई है. उन्हें लग रहा है कि ओटावा भी इसी तरह की प्रतिक्रिया देगा.

पंजाब के कई छात्रों के लिए कनाडा एक पसंदीदा स्थान है. कथित तौर पर डेटा से पता चलता है कि वर्तमान में कनाडा में प्रवास करने वाली 40 प्रतिशत से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र आबादी भारत से है, जिसमें पंजाब का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

लेकिन झाझावर की तरह, अन्य इमीग्रेशन फर्मों का भी मानना ​​है कि छात्रों के लिए वीजा प्रभावित होने की संभावना नहीं है.

टच ड्रीम्स IELTS के संचालन प्रमुख अमनदीप कौर ने कहा, “उनकी (कनाडा की) पूरी अर्थव्यवस्था इमिग्रेशन पर निर्भर है. वो स्टूडेंट वीजा को हाथ नहीं लगाएंगे. हालांकि, ट्रैवल वीजा पर क्या फैसला होगा, मैं इसके बारे में मैं कुछ कह नहीं सकता.” कंपनी को छात्रों को शांत करने के लिए वीडियो मैसेज तक जारी करना पड़ा है.

लेकिन छात्र इस बात से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. जगप्रीत सिंह, एक युवा जो पहले ही कनाडाई विश्वविद्यालय में ट्यूशन फीस का भुगतान कर चुका है, को डर है कि इस तनाव के चलते वीजा प्रक्रिया प्रभावित होगी और उसे पैसे का नुकसान झेलना पड़ेगा.

जसप्रीत ने दिप्रिंट से कहा, “दोनों देश की सरकार को एक साथ बैठकर इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए था.”

उनके एजेंट ने उन्हें आश्वासन दिया है कि ऐसा कुछ नहीं होगा. हालांकि, जसप्रीत इस बात से सहमत नहीं हैं. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “मुझे नहीं पता कि भविष्य में क्या होने वाला है.”

इस बीच, छात्र इस मुद्दे पर सरकार के आक्रामक रुख से नाराज हैं. फरीदकोट के बरगारी की एक महिला छात्रा ने दिप्रिंट को बताया, “वे हमें यहां रोजगार नहीं दे सकते और उन्होंने उस देश के साथ अपने रिश्ते पूरी तरह से खराब कर लिए हैं जो हमारा खुले दिल से स्वागत करता है. सरकार ने हमारा भविष्य खतरे में डाल दिया है.”


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‘सिखों के खिलाफ भेदभाव’

फरदिकोट के बरगारी गांव में, सिख लोगों का एक समूह निज्जर की हत्या पर चर्चा कर रहा है. उनके पीछे सिख अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का पोस्टर लगा है. इस समूह का मानना ​​है कि कुछ भी हो लेकिन “उसकी हत्या नहीं होनी चाहिए थी”.

उनका दावा है कि भारत सरकार सिखों के पक्ष में बात करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई कर रही है.

इकबाल सिंह, जो आठ साल कनाडा में रहकर कुछ दिन पहले ही भारत वापस लौटे हैं, ने दिप्रिंट को बताया, “यह हिंदुत्व की सरकार है. जब तक कोई हिंदू राष्ट्र की बात करता है, तो सब ठीक है. लेकिन अगर सिख अपना अधिकार चाहते हैं और अपनी आवाज उठाते हैं, तो हम आतंकवादी बन जाते हैं.”

उनके मुताबिक, सरकार की कूटनीति कनाडा में रहने वाले हिंदुओं और सिखों के बीच भी मनमुटाव का कारण बन सकती है. इकबाल ने कहा, “हिंदू और सिख भाई-भाई हैं, लेकिन जब ऐसी स्थितियां बढ़ती हैं, तो कनाडा में हिंदुओं और सिखों के बीच दुश्मनी की भावना शुरू हो जाती है.”

इसके बाद वहां बैठे लोग पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या पर चर्चा करते हैं, जिनकी पिछले साल मई में पंजाब के मनसा जिले में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

साथ ही वहां बैठे लोग कट्टरपंथी सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह की भी प्रशंसा करते हैं, जिन्हें अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था. वहां बैठे एक व्यक्ति ने दिप्रिंट को बताया, “जो कोई भी सिखों के कल्याण की बात करता है उसे मार दिया जाता है.”

यहां के ग्रामीण संगरूर से शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के सांसद सिमरनजीत सिंह मान के समर्थक हैं, जो अलग सिख राज्य खालिस्तान के बड़े समर्थक हैं.

लेकिन पहले उद्धृत झाझावर के अनुसार, पंजाब का अधिकांश हिस्सा इन अलगाववादी भावनाओं में विश्वास नहीं रखता है. वो कहते हैं, “ज्यादातर पंजाबी शांति से रहना चाहते हैं. अभी हमारे पास केवल चावल और गेहूं है, और वह भी जहरीला हो चुका है. अलग देश की मांग ग़लत जानकारी है.”

फिर भी, कुछ लोग ऐसे हैं जो भारत सरकार की स्थिति से निपटने के तरीके पर सवाल उठा रहे हैं.

बठिंडा स्थित इमिग्रेशन एजेंट जसप्रीत सिंह के अनुसार, कनाडाई सरकार ने भारत सरकार की तुलना में सिखों के कल्याण के लिए अधिक काम किया है. उनका कहना है कि भारत इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाते हुए समुदाय के कल्याण के बारे में भूल गया.

उन्होंने कहा, “क्या उन्होंने कनाडा में रहने वाले प्रवासी सिखों के बारे में एक पल के लिए भी सोचना बंद किया? बहुत सारे लोग वहां फंसे हुए हैं.”

लेकिन एक और बात है जो जसप्रीत को परेशान करती है- कनाडा निवासी पंजाबी गायक शुभनीत सिंह उर्फ ​​​​शुभ का रद्द किया गया दौरा. शुभ का ‘स्टिल रोलिंग’ भारत दौरा एक पुराने सोशल मीडिया पोस्ट के कारण रद्द कर दिया गया है जिसमें उन्होंने कथित तौर पर एक सिख अलगाववादी समूह को समर्थन दिखाया था.

हालांकि, किसी निजी काम के चलते जसप्रीत शुभनीत के कार्यक्रम का टिकट नहीं खरीद पाए थे, लेकिन वह सरकार के इस फैसले से आहत हैं. वो कहते हैं, “एक पोस्ट के चलते पूरा देश इस सिख गायक पर कूद पड़ा है. यह बिल्कुल ग़लत था. उनका कार्यक्रम हमारे देश की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद ही रहता.”

(संपादन: ऋषभ राज)

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