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लेखन प्रतिरोध का एक रूप है : नोबेल पुरस्कार विजेता लेखक अब्दुलरजाक गुरनाह

( तस्वीरों सहित )

(मनीष सेन)

जयपुर, 19 जनवरी (भाषा) नोबेल साहित्य पुरस्कार विजेता अब्दुलरजाक गुरनाह का कहना है कि लेखन केवल कुलीनता और महानता के बारे में नहीं है बल्कि जो कुछ महत्वपूर्ण है, उसे जिंदा बचाए रखने के लिए ‘‘साधारण सांसारिक काम’’ है। रजाक ने यहां जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के रंगारंग उद्घाटन समारोह के दौरान यह बात कही।

गुलाबी नगरी जयपुर की आबोहवा में घुली खिली खिली धूप में नगाड़ों की धमक के साथ 16वें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) का धूमधाम से आगाज हुआ । मशूहर नगाड़ावादक नाथूलाल सोलंकी और उनके साजिंदों द्वारा राजस्थानी लोक वाद्य यंत्रों पर सुरों की रसीली तान छेड़ते ही क्लार्क आमेर का माहौल झूम उठा ।

इसी के साथ जेएलएफ की सह संस्थापक नमिता गोखले और विलियम डेलरिम्पल तथा टीमवर्क्स आर्ट्स के संजॉय के रॉय ने उद्घाटन किया। कोविड प्रतिबंधों के चलते तीन साल बाद जेएलएफ का आयोजन इतने बड़े पैमाने पर सार्वजनिक रूप से हो रहा है।

‘प्रतिरोध के रूप में लेखन’ पर अपने मुख्य संबोधन में तंजानियाई ब्रिटिश लेखक गुरनाह ने कहा, ‘‘ प्रतिरोध किसका ? शायद यह प्रतिरोध विस्मृति के प्रति है , यह उसके प्रति प्रतिरोध है कि हम जो जानते हैं और जो हम याद रखते हैं, वह अनकहा न गुजर जाए।’’

अपने संक्षिप्त संबोधन में गुरनाह ने कहा, ‘‘लेखन केवल कुलीनता और महानता के बारे में नहीं है बल्कि जो कुछ महत्वपूर्ण है, उसे जिंदा बचाए रखने के लिए ‘‘साधारण सांसारिक काम’’ है।

74 वर्षीय लेखक ने कहा,‘‘बहुत महत्वपूर्ण ये है कि इसमें एक प्रकार की जिम्मेदारी है, व्याकुलता के प्रति एक प्रतिरोध है, ये हमारे दिमाग को उन चीजों से दूर ले जाने के लिए है जिस पर हमारे दिमाग को ध्यान केंद्रित करना चाहिए, और उन चीजों से ध्यान हटाने के लिए जो हमें भ्रमित करती हैं। हो सकता है कि पहली नजर में देखने पर वह आकर्षक लगे या तात्कालिक संदर्भ में नजर आए।’’

‘मैमोरी आफ डिपार्चर’’ के लेखक गुरनाह ने इसी क्रम में अपनी बात को जारी रखते हुए कहा कि लेखन उपेक्षा का भी प्रतिरोध है और लेखन यह सुनिश्चित करना है कि जो चीजें अहम हैं वे उपेक्षित न रह जाएं या ‘‘अन्य विमर्शों द्वारा विकृत न हो जाएं।’’

उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि प्रतिरोध ‘जालिम से लड़ने के बारे में ही हो या मंचों पर खड़े होकर लोगों को उत्साहित करने के लिए जबरदस्त भाषण देना ही प्रतिरोध हो ।’’

गुरनाह ने कहा,‘‘ यह उन विचारों और आस्थाओं को बरकरार रखने के बारे में है जिन्हें हम महत्वपूर्ण मानते हैं और जिनकी हम कीमत समझते हैं।’’

‘‘धरती का सबसे बड़ा साहित्य उत्सव’ कहा जा रहा यह आयोजन 23 जनवरी तक चलेगा जिसमें ‘कहानी’ कहने की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए 21 भारतीय और 14 अंतरराष्ट्रीय भाषाओँ के प्रतिष्ठित साहित्यकार साहित्य पर चर्चा करेंगे।

जेएलएफ इस बार विभिन्न देशों के 350 वक्ताओं की मेजबानी कर रहा है, जिसमें सभी प्रमुख पुरस्कारों — जैसे नोबेल, बुकर, इंटरनेशनल बुकर, पुलित्ज़र, साहित्य अकादमी, बैली गिफर्ड, पेन अमेरिका लिटरेरी अवार्ड, डीएससी प्राइज, जेसीबी प्राइज – से सम्मानित लेखक हिस्सा ले रहे हैं।

समाज और समय की ज़रूरतों को ध्यान रखते हुए जलवायु परिवर्तन, महिलाओं की आवाज़ और पहचान, अपराध कथा, संस्मरण, अनुवाद, काव्य, अर्थव्यवस्था, टेक मोरालिटी और आर्टिफिशल इंटेलीजेंस, कृषि में वैश्विक संकट, रूस-यूक्रेन विवाद, ब्रिटिश साम्राज्य की हिंसा, आधुनिक समय का विज्ञान, भारत के 75 वर्ष, विभाजन की याद, जिओपॉलिटिक्स, कला और फोटोग्राफी, स्वास्थ्य और मेडिसीन समेत कई अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी।

साहित्योत्सव में इस बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अब्दुलरज़ाक गुरनाह, इतिहासकार, पटकथाकार और ब्रॉडकास्टर, एलेक्स वोन तुन्ज़ेलमन, प्रकाशक एलेक्सेंड्रा प्रिंगल, राजनयिक और लेखक अमीश, जी-20 शेरपा ऑफ़ इंडिया अमिताभ कांत, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कवयित्री अनामिका, अश्विन सांघी, बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखक बेर्नार्दिन एवारिस्तो, देश के प्रमुख अर्थशास्त्री व प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय, भारत के प्रमुख कला इतिहासकार बी.एन. गोस्वामी, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित चन्द्रप्रकाश देवल, उपन्यासकार शिगोज़ी ओबिओमा, प्रसिद्ध अभिनेत्री दीप्ति नवल, कामयाब उपन्यासकार दुर्जोय दत्ता, भारत में फ़्रांस के राजदूत एमानुएल लेनेन, संसद-सदस्य फ़िरोज़ वरुण गांधी, दादासाहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड से सम्मानित संत गौर गोपाल दास, इंटरनेशनल बुकर प्राइज से सम्मानित गीतांजलि श्री, शायर, गीतकार और लेखक गुलज़ार, पद्म विभूषण से सम्मानित हरिप्रसाद चौरसिया, इनफ़ोसिस टेक्नोलोजी लिमिटेड के सह संस्थापक और अध्यक्ष नंदन नीलेकनी, पुरस्कृत फिल्म निर्माता, पटकथाकार ओनीर, लेखिका शोभा डे और इनफ़ोसिस फाउंडेशन की संस्थापक सुधा मूर्ति समेत और भी नामचीन हस्तियां शामिल हो रही हैं।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के समानांतर चलने वाले म्यूजिकल फेस्टिवल में फ्यूज़न बैंड, ‘पक्षी’ और कंटेम्पररी इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक प्रोडक्शन हाउस, ‘लिफाफा’,और ‘कबीर कैफे’ भी लगातार अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे जो मेहमानों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होंगे।

भाषा नरेश नरेश मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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