होम देश मोदी सरकार ने राज्यों के लिए EC रैंकिंग प्रणाली का किया बचाव...

मोदी सरकार ने राज्यों के लिए EC रैंकिंग प्रणाली का किया बचाव , कहा- ‘सुरक्षा उपायों को नुकसान नहीं होगा’

पर्यावरण मंजूरी पर राज्यों की रेटिंग के लिए सरकार की नई प्रणाली की पर्यावरण विशेषज्ञों ने बहुत आलोचना की है, उन्होंने कहा है कि इससे जल्दबाजी में मंजूरी मिल सकती है.

मध्य प्रदेश में जंगलों की फोटो। कॉमन्स

नई दिल्ली: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा है कि पर्यावरण मंजूरी (ईसी) पर राज्यों की रेटिंग के लिए नई प्रणाली से किसी भी नियामक सुरक्षा उपायों को नुकसान पहुंचाए बिना ‘योग्यता में इजाफा’ होगा.

पिछले हफ्ते, पर्यावरण मंत्रालय ने सभी स्टेट एनवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (SEIAAs) को एक ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया था जिसमें एक स्टार-रेटिंग प्रणाली की घोषणा की गई थी जो कि परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी देने में कितना समय लगा, इस आधार पर SEIAAs को रैंक करेगी.

ऑफिस मेमोरेंडम के अनुसार, SEIAAs का मूल्यांकन कुल आठ अंकों के लिए सात पैमानों पर किया जाएगा. इनमें ईसी देने के लिए दिनों की औसत संख्या, परियोजना से जुड़ी जितनी बार अतिरिक्त विवरण मांगी गई और SEIAAs द्वारा संबोधित शिकायतों की संख्या को शामिल किया गया है.

सबसे ज्यादा अंक हासिल करने वाले राज्यों को सबसे अधिक स्टार से सम्मानित किया जाएगा.

इस कदम की पर्यावरणविदों और शोधकर्ताओं ने काफी आलोचना की जिनका कहना था कि इससे SEIAAs की पर्याप्त निगरानी के बिना जल्दबाजी में मंजूरी मिल सकती है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

सोमवार को जारी एक बयान में, मंत्रालय ने कहा कि रेटिंग प्रणाली 2006 के पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना के प्रावधानों के अनुरूप थी- वह कानून पर्यावरण मंजूरी मानदंडों को नियंत्रित करता है और रैंकिंग के लिए कोई नकारात्मक मार्किंग मानदंड प्रस्तावित नहीं है.

बयान में कहा गया है, ‘रैंकिंग प्रणाली ईआईए अधिसूचना 2006 के प्रावधानों और समय-समय पर मंत्रालय द्वारा जारी किए गए विभिन्न दिशानिर्देशों पर आधारित है और SEIAAs को किसी भी नियामक को कम किए बिना ईआईए अधिसूचना 2006 के प्रावधानों के अनुसार सख्ती से निर्णय लेने में अपनी योग्यता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.’


यह भी पढ़ें : डिटॉक्स ‘स्कैम’ से दूर रहें, कोई एक खाना या पीना सेहत के लिए चमत्कारी नहीं हो सकता


मंत्रालय क्या कहना है

मंत्रालय ने कहा कि इसमें एक मानदंड के रूप ईसी को देने के लिए जितने दिन लिए गए उसकी संख्या शामिल है क्योंकि 2006 की ईआईए अधिसूचना ‘ईसी देने के लिए 105 दिनों की समय अवधि देता है जिसमें मूल्यांकन के लिए 60 दिन और नियामक प्राधिकरण द्वारा फैसला लेने के लिए 45 दिन शामिल हैं.’

रैंकिंग प्रणाली 80 दिनों या उससे कम समय में अनुदान देने वाले राज्यों को दो अंक देती है, 105 दिन या उससे कम समय में अनुदान देने के लिए एक अंक और 105 दिनों से अधिक समय लेने पर 0.5 अंक देती है.

सिस्टम, राज्यों को टर्म ऑफ रेफरेंस (टीओआर) प्रस्तावों के उच्च अनुपात का निपटान करने और नए ईसी प्रस्तावों को अधिक अंक देने के लिए भी कहता है. यह ‘टीओआर प्रस्ताव पर निर्णय लेने में अनुचित देरी को कम करने’ के लिए है.

टीओआर SEIAAs द्वारा जारी एक दस्तावेज है, जो उचित पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन के लिए आवश्यक तत्वों की रूपरेखा तैयार करता है.

नई रेटिंग प्रणाली के अनुसार, जो राज्य परियोजना का प्रस्ताव देने वालों से कई बार अतिरिक्त विवरण देने के लिए कहते हैं, उन्हें कम अंक दिए जाते हैं. पर्यावरणविदों द्वारा इस मानदंड की आलोचना की गई क्योंकि अधिक जानकारी के लिए अनुरोध, जिससे आवश्यक विवरण मांगा गया या अतिरिक्त विवरण मांगा गया, SEIAA को एक निर्णय लेने के लिए पर्याप्त डेटा जमा करने में मदद कर सकता है.

जून 2021 में जारी एक ऑफिस मेमोरेंडम का जिक्र करते हुए, मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि इस मानदंड को ‘समितियों द्वारा मांगे गए आवश्यक विवरणों को कारगर बनाने’ और ‘अप्रासंगिक विवरण मांगे जाने से बचने’ के लिए शामिल किया गया था.

बयान में कहा गया है कि अगर कोई परियोजना प्रस्ताव पूरी तरह से नहीं मिली है तो राज्य प्राधिकरण ‘आवश्यक विवरण/ अतिरिक्त विवरण मांग सकता है और जिस अवधि के लिए ईडीएस/एडीएस का उत्तर प्रोजेक्‍ट प्रोपोनेंट (पीपी) के पास लंबित है तो उन दिनों की संख्या की गिनती नहीं की जाएगी.’ बयान में कहा गया है कि SEIAA को ‘समयरेखा के बारे में चिंता किए बिना परियोजना पर निर्णय लेने से पहले सभी आवश्यक परिश्रम करने की पूरी स्वतंत्रता है.’

एक और पैमाना जिसकी आलोचना की गई थी, वह SEIAAs द्वारा साइट विज़िट करने वाला रेटिंग नियम था. प्रणाली के अनुसार, 10 प्रतिशत से कम साइट विज़िट करने वाले राज्य प्राधिकरणों को सबसे ज्यादा अंक दिए गए जबकि 20 प्रतिशत या अधिक मामलों में साइट विज़िट करने वालों को कोई अंक नहीं दिया गया.

‘बयान में कहा गया है कि जबसे पर्यावरण मंजूरी आवेदन, दस्तावेजों और सार्वजनिक परामर्श की ‘विस्तृत जांच’ के आधार पर दी गई है. अनावश्यक साइट यात्राओं को रोकने के लिए यह मानदंड जोड़ा गया है.’

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: क्या देश की राजधानी की सूरत बदलने वाला है ‘दिल्ली मास्टर प्लान 2041’, कितनी बदलेगी दिल्ली


Exit mobile version