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दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा ‘अदालतों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशा निर्देश पारित करेंगे’

जेल में बंद गैंगस्टर जितेंद्र गोगी और वकीलों की वेशभूषा में आए उसके दो हमलावर 24 सितंबर को रोहिणी अदालत में हुई गोलीबारी में मारे गए थे.

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दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो​:ट्विटर)

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह अदालतों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशा निर्देश पारित करेगा जो 18 अप्रैल तक प्रभावी रहेंगे.

चीफ जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने कहा कि वह एक सुरक्षा ऑडिट के आधार पर उचित संख्या में कर्मियों और उपकरणों को तैनात करके न्यायिक परिसरों में प्रवेश को सख्ती से रेगुलेट करने के बारे में पहले दिए गए अपने सुझावों को दिशा निर्देशों के तौर पर शामिल करेगा.

बेंच रोहिणी अदालत के एक रूम में 24 सितंबर को हुई गोलीबारी से जुड़े मामले में स्वत: संज्ञान सुनवाई कर रही है. इस गोलीकांड में तीन लोग मारे गए थे.

बेंच ने कहा कि इन दिशा निर्देशों की समीक्षा करने के लिए अप्रैल में फिर से मामले पर सुनवाई की जाएगी. इस दौरान सभी को इसमे सहयोग करना होगा.

चीफ जस्टिस डी एन पटेल ने कहा, ‘अगर दिशा निर्देशों को लागू करने में कोई मुश्किल आती है तो बाद में इनमें संशोधन किया जा सकता है. मैं इस मामले पर सुनवाई स्थगित कर रहा हूं. हर 15 दिनों में बदलाव नहीं किए जा सकते. दिशा निर्देश 18 अप्रैल तक लागू रहेंगे. हवाई अड्डों पर भी जांच होती है. सभी को सहयोग करना चाहिए. वहां जांच कराना बाध्यता है. कुछ समय के लिए बोझिल प्रक्रिया में सहयोग करें.’

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अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएन (डीएचसीबीए) को भी यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि वह हाई कोर्ट परिसरों के भीतर उसके सदस्यों की कारों के प्रवेश के लिए पास जारी करें. वरिष्ठ अधिवक्ता और डीएचसीबीए अध्यक्ष मोहित माथुर ने हाई कोर्ट के अंदर प्रवेश के लिए एसोसिएशन के सदस्यों को कार्ड जारी करने की अनुमति देने का भी अनुरोध किया.

दिल्ली हाई कोर्ट ने आठ नवंबर को कहा था कि उसे अदालतों में सुरक्षा के लिए दिल्ली सरकार, पुलिस और वकीलों से पूर्ण सहयोग की उम्मीद है. उसने सुझाव दिया था कि सुरक्षा ऑडिट के आधार पर उचित संख्या में कर्मियों और उपकरणों को तैनात कर कोर्ट में एंट्री को सख्ती से रेगुलेट किया जाना चाहिए.


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बेंच ने प्रस्ताव दिया था कि दिल्ली सरकार सुरक्षा उपकरणों की खरीद के वास्ते बजट के आवंटन के लिए जवाबदेह होगी और क्योंकि पुलिस के पास विशेषज्ञता है इसलिए उसे सरकार और अदालत को सूचित करते हुए इन उपकरणों की खरीद करनी चाहिए.

अदालत ने साफ किया था कि उसके सुझाव सारांश पर हितधारकों द्वारा विचार किए जाने के बाद वह उचित ‘दिशानिर्देश’ जारी करेगी. अदालत ने कहा था कि पुलिस आयुक्त अदालतों के सुरक्षा ऑडिट के लिए विशेषज्ञों की एक टीम तैयार करेंगे और उचित संख्या में कर्मियों की तैनाती करेंगे.

हाई कोर्ट ने कहा था कि वकीलों सहित सभी का प्रवेश तलाशी का विषय होगा जो मेटल डिटेक्टर के जरिए तेजी से होगा साथ ही कोई भी सामान बिना जांच के अदालत परिसर के भीतर ले जाने की अनुमति नहीं होगी.

अदालत ने सभी परिसरों को चौबीसों घंटे सीसीटीवी निगरानी में रखने, गाड़ियों के लिए ‘स्टिकर’ जारी करने और भीड़ से निपटने के लिए गाड़ियों की जांच करने के साथ-साथ ऑटोमेटिक डोर लगाने समेत कई सुझाव दिए थे.

गौरतलब है कि जेल में बंद गैंगस्टर जितेंद्र गोगी और वकीलों की वेशभूषा में आए उसके दो हमलावर 24 सितंबर को रोहिणी अदालत में हुई गोलीबारी में मारे गए थे.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन वी रमन्ना ने 24 सितंबर को खचाखच भरे रोहिणी अदालत कक्ष में गोलीबारी पर गहन चिंता जताई थी. चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना ने इस बारे में दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से बात की थी और उनसे यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस और बार दोनों से बात करने की सलाह दी थी कि अदालत का कामकाज बाधित नहीं हो.


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